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कर्ण पिशाच साधना

कर्ण पिशाच साधना

कर्ण पिशाचिनी विद्या प्रयोग, कर्ण पिशाचिनी साधना मंत्र, कर्ण पिशाचिनी सिद्धि विधि – कर्ण पिशाचिनी साधना के बारे मे सबके अपने मत है, कुछ का मानना है की ये एक अनोखी साधना है जिसे व्यक्ति को कभी अकेले नहीं करना चाहिए, अगर उसको इस साधना करने का पूर्ण ज्ञान नहीं, क्यूकी एक गलत कदम भी उस व्यक्ति के जीवन पर बुरा असर डाल सकता है। इसलिए इस कर्ण पिशाचिनी साधना को करते वक़्त व्यक्ति किसी गुरु की मदद ले। दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी है जो ये बात कहते है की कर्ण पिशाचिनी को भी देवी का रूप माना गया है, जैसे की कई मंत्रों मे यह देवी शब्द आता है। यहाँ तक भी कहा गया है की ये साधना पारलौकिक शक्तियों को अपने वश में करने की एक गोपनीय विद्या है, जिसके बारे मे आम लोगों को कम ही पता है।

कर्ण पिशाच साधना
कर्ण पिशाच साधना

तो चलिये कर्ण पिशाचिनी साधना को करने के लिए हम पहले मंत्र से आपको परिचित करवाते है। मंत्र है: “”।।ॐ नम: कर्णपिशाचिनी अमोघ सत्यवादिनि मम कर्णे अवतरावतर अतीता नागतवर्त मानानि दर्शय दर्शय मम भविष्य कथय-कथय ह्यीं कर्ण पिशाचिनी स्वहा।।“” अब इस साधना को करने से पहले ध्यान रखे की इसके दौरान आपको काले रंग का कपड़ा पहनना होगा, स्त्री से बात करने की मनाही होती है इस समय काल मे व आपको सिर्फ एक समय ही भोजन लेना होता है। साधना के लिए शमशान की राख, काली हकीक की माला, काला आसान, एक अनार व लाल रंग के फूल सामग्री के तौर पर चाहिए होंगी। इन बातों को ध्यान मे रख कर अब आप साधना को शुरू कर सकते है, जिसके लिए जरूरी है कि आप सबसे पहले काँसे की एक थाली  में सिंदूर से त्रिशूल बना ले और मंत्र द्वारा इस त्रिशूल कि पूजा करे। आप गाय के शुद्ध घी का दीपक भी जलाए और ऊपर बताए गए मंत्र का 1100 बार जप करे। रात के समय भी त्रिशूल कि पूजा करनी होगी। इस साधना को आपको 11 दिन रोज करनी होगी, वो भी रात और दिन को उचित चौघड़िया में करे। इस तरीके से आप कर्ण पिशाचिनी साधना को सिद्ध कर सकेंगे। इसके बाद आप जो सवाल भी मन मे करेंगे ‍पिशाचिनी कान मे उसका उत्तर देगी।

एक अन्य प्रयोग ये भी कर सकते है जिसके अंतर्गत आपको काले कपड़े की जगह इसमे लाल रंग के वस्त्र पहनने होते है। फिर रात को घी का दीपक जालना होगा और उसके बाद मंत्र – “”ओम् भगवति चंडकर्णे पिशाचिनी स्वाहा”” का नित्य 10,000 बार जप करना होता है। 21 दिन रोज इस विधि को करने के बाद इस साधना को सिद्ध किया जाता है। कर्ण पिशाचिनी साधना के लिए आप इस मंत्र का सहारा भी ले सकते है, मंत्र: ॐ ह्यीं नमोहः भगवतीयः कर्णपिशाचिनी चंडवेगिनी वद वद स्वहः। इस साधना के लिए आपको चाहिए कि गाय के गोबर मे सेंधा नमक मिला ले पूजा वाली जगह को अच्छे से लीप ले। जैसे ही वो जगह सुख जाये तो ऊपर से वहां कुमकुम, हल्दी ,अक्षत डाल दे, फिर वहां कुश का आसन बिछा ले। अब आपको रुद्राक्ष की माला से 11 दिन रोज 10,000 बार बताए मंत्र का जप करना होगा। ऐसा करके आप कर्णपिशाचिनी साधना को सिद्ध कर पाएंगे और इसके उपरांत आपकी सभी इच्छा भी पूरी हो जाएगी।

कर्ण पिशाचिनी साधना को पूर्ण करने के लिए क्यूकी काफी सारे मंत्रों कि चर्चा की गई है तो आप एक और मंत्र को जान ले। मंत्र है: ॐ लिंग सर्वनाम शक्ति भगवती कर्ण-पिशाचिनी चड रुपी सच-सच मम वचन दे स्वाहा। इस साधना को आप किसी भी नवरात्र में भूत-शुद्धि, स्थान-शुद्धि, गुरु स्मरण या गणेश पूजन से पहले करे। साधना शुरू करने से पहले एक चौकी पर साफ़ लाल कपडा बिछा ले। फिर उसपर एक तांबे का लोटा रखे। उसपर या कलश पर सूखा नारियल रख दे। अब धन दे की उस कलश के चारों ओर आपको पान, सिन्दूर, दो लड्डू, एक कटा हुआ मुर्गा व एक लोटे मे उस मुर्गे का खून रख दे। उस कलश की पूजा करने के बाद सारी सामग्री के चारों ओर उस खून से स्तंभित कर दे। ये सब कर लेने के बाद आप अपने कंधे पर उस लाल कपड़े को रखे और बताए गए मंत्र का जप शुरू करे। 9 दिन तक प्रतिदिन 1000 बार मंत्र जप करना होगा और फिर दसवें दिन इसी मंत्र का 1000 बार जप किसी शमशान या कब्रिस्तान में जाकर करें। इस प्रकार साधना सिद्ध होते ही आप पिशाचिनी के माध्यम से अपने किसी भी सवाल का जवाब पा सकते है व अपनी समस्या हल कर सकते है।

अंत मे हम यही कहेंगे की जो साधक इस कर्ण पिशाचिनी विद्या पर यकीन करते है, वो इसे करने से नहीं डरते। पर फिर भी बहुत से ऐसी बाते कही गई है इस विद्या के बारे मे की जिसे जान एक आम व्यक्ति जरूर भयभीत होगा, जैसा की इस साधना का संबंध होता है पिशाच पर वशीकरण करके उसके द्वारा मन मे उठने वाले हर सवाल का जवाब पाना। वैसे ये बाते तभी मायने रखती है, जब कोई व्यक्ति सच्च मे आपके खयालों मे चलने वाले सवालों के जवाब पाकर पहले ही होने वाली घटना से सतर्क होना चाहे। पर ये कहा भी गया है कि एक बार पिशाचिनी को वश मे करने के बाद वो उस साधक के शरीर से ही जुड़ जाती है और उसे छोड़कर कभी नहीं जाती, यहा तक की मृत्यु के बाद भी और इसमे कोई भी दूसरा व्यक्ति सड़क की मदद नहीं कर पता। ये बात जरूर डराने वाली है, पर हम यही कहेंगे की ऊपर बताए गई साधना को अकेले न करे, बिना ज्ञान के। किसी गुरु की मदद से विधि को साधा जा सकता है।