Tag Archives: खोए हुए प्यार को फिर से पाने के टोटके

गणेश वशीकरण

गणेश वशीकरण

हिंदू धर्म में महादेव शिव और माता पर्वती के पुत्र भगवान गणेश की पूजा, आराधना, साधना और उपासना की महत्ता से सभी परिचित हैं। उन्हें घर या कार्यालय के प्रवेश द्वार पर स्थापित करने के साथ-साथ पूजा घर में विशिष्टिता के साथ रखा जाता है। प्रत्येक अनुष्ठान के दौरान सबसे पहले उनकी पूजा की जाती है। यही वजह है कि हर शुभ कार्य के शुभारंभ को ‘श्रीगणेश’ कहकर संबोधित किया जाता है और ‘ ऊँ  गणेशाय नमः!’ मंत्र के जाप से एकाग्रता एवं कार्यारंभ की प्रेरणा मिलती है।

गणेश वशीकरण
गणेश वशीकरण

वैदिक ग्रंथों की मान्यताओं के अनुसार गणेश भगवान की विशिष्ट पूजा और उनके मंत्रों की साधना-सिद्धि से वशीकरण की अद्भुत क्षमता भी हासिल की जा सकती है, जिसका विभिन्न या कहें विशेष कार्यों के लिए उपयोग किया जाता है। आईए, एक नजर डालते हैं वशीकरण के लिए श्रीगणेश अर्थात गौरी पुत्र गजानन को प्रसन्न करने के लिए गणेश चतुर्थी के दिन से शुरू की जाने वाली पूजा के विधान और मंत्रों के बारे में, जो अचूक प्रभाव देते हैं।

वशीकरण की साधना

भगवान गणेश को भी रूप-सौंदर्य के था आकर्षित करने वाले ईष्टदेव रूप में पूजा की जाती है तथा उनमें आकर्षण या सम्मोहन शक्ति बढ़ाने की क्षमता है। और तो और श्रीगणेश को सभी सिद्धियों विधाता और वशीकरण के आधार देव माने जाते हैं। उनका वशीकरण का बहुपयोगी मंत्र हैः-

ऊँ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद्र सर्व जनं मे वशमानाय स्वाहा!!

विधि-विधानः भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर के सामने आसन पर ब्रह्म मुहूर्त में पूर्व या पश्चिम की दिशा में बैठकर इस मंत्र के स्पष्ट उच्चारण के साथ उनका ध्यान करना चाहिए। उसके बाद निम्न मंत्र का पाठ करना चाहिए।

मंत्रः ऊँ अस्य हस्तिमुख गणेश मंत्रस्य श्री गणक ऋषिः गायत्री छंदः।

     श्री हस्तिमुख गणपति देवता ममाभीष्ट सिद्धयर्थे विनियोगः।। 

अर्थात् अपने दोनों हाथों में इक्षुदण्ड धारण किए हुए, उनमें पाश और अंकुश लिए हुए। एक हाथ में कमल धारण कर श्यामांगी को बगल में बिठाए हुए त्रिनेत्र रक्त वर्ण वाले गणपति का मैं ध्यान करता हूूं। ऐसी विनती की वाणी के साथ श्रीगणेश के समक्ष जल का छिड़काव करना चाहिए। उसके बाद निम्न मंत्र का पाठ करने से वशीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाई जा सकती है। वह मंत्र इस प्रकार हैः-

ऊँ गं अंगुष्ठाभ्यां नमः हृदयाय नमः

ऊँ गं तर्जनीभ्यां नमः शिरसे स्वाहा

ऊँ गं मध्यमाभ्यां नमः शिखाये वषट्

ऊँ गं अनामिकभ्यां नमः कवचाय हुम्

ऊँ कनिष्ठिकाभ्यां नमः नैत्रत्रयाय वौषट्

ऊँ गं करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः अस्त्राय फट्!!

इस हस्तिमुख गणपति के तीन लाख मंत्र का जाप दस दिनों के अनुष्ठान के दरम्यान पूर्ण करने के बाद दशांश हवन ईख और घी या तेल में तले हुए पुए से करने का विधान है। इस तरह से किए गए गणेश पूजन से वशीकरण की सिद्धि प्राप्त हो जाती है। उसके बाद वशीकरण संबंधी उपाय किए जा सकते हैं। वे इस प्रकार हैंः-

  • पानी में गुड़ मिलाकर बने शरबत से 444 बार वश मं किए जाने वाले व्यक्ति को ध्यान कर तर्पण करें।
  • घी, शहद और शक्कर यानि त्रिमधु को हवन सामग्री में मिलाकर हवन करने से वशीकरण का कार्य संपन्न होता है, तथा नारियल से हवन करने पर श्रेष्ठता और समृ़िद्ध की प्राप्ति होती है।
  • किसी स्त्री को वश में करने के लिए शहद में थोड़ा नमक मिलाकर हवन करने का अचूक लाभ मिलता है। इसके प्रयोग से पहले सामान्य गणेश पूजन आवश्यक है।
  • गणेश पूजन से ग्रहों की बिगड़ी हुई दशा को भी सही कर सकारात्मक प्रभाव देने जैसा बनाया जा सकता है।

गणेश मोहिनी वशीकरण

सम्मोहन या वशीकरण के लिए मेहिनी अर्थात प्रेम-भावना के लिए कई प्रचलित साधनाओं में एक गणेश मोहिनी वशीकरण भी है। इसके जरिए अगर प्रेमी-प्रमिकाएं अपने प्रिय या दंपति जीवनसाथी के प्रेमपाश में बंधे रहने की चाहत रखते हैं। यह एक तरह से यौनाकर्षण बढ़ाने वाले उपयों में से भी एक है। गणेश माहिनी वशीकरण के लिए एक साधना करनी होती है, जिसे घर में नहीं किया जाता है। इसके लिए शाबर मंत्र का 1100 बार आहूति के साथ जाप किया जाता है। वह मंत्र हैः-

ऊँ गणपति वीर वसे मसानेजो मैं मांगु सो तुम आन!

पांच लड्डू वा सिर सिंदूर त्रीभुवन मांगे चंपे के फूल!

अष्ट कुली नाग मोहा जो नाड़ी 72 कोठा मोहु!

इंदर की बैठी सभा मोहु आवती जावती ईस्त्री मोहु!

जाता जाता पुरुष मोहुडावा अंग वसे नरसिंह जीवने क्षेत्र पाला ये!

आवे मारकरनाता सो जावी हमारे पाउ पडंता!

गुरु की शक्ति हमारी भगती चलो मंत्र आदेश गुरुका!!

साधना-सिद्धिः इस मंत्र को साधने और सिद्धि के लिए किसी जंगल, बाग-बगीचे, नदी, तालाब के किनारे,  पार्क या घर के पिछवाड़े एकांत कोने में गणपति के पूजन की तैयारी करनी चाहिए। पूजन सामग्रियों में फूल, पान, नारियल गोला, सफेद चंदन, लाल चंदन, किशमिश, बादाम, काला तिल एवं हवन की सभी सामग्रियों को अनुपातिक मात्रा में मिलाया जाना चाहिए। साथ में भोग के लिए पांच लड्डू और सिंदूर की एक डिब्बी रखना जरूरी है। रात के नौ-दस बजे के बाद हवन की शुरूआत के बाद रात्री के एक बजे तक संपन्न कर लिया जाना चाहिए।

हवन की पूर्णहुति के बाद पूजन की सारी सामग्री वहीं छोड़ देना चाहिए और अभिमंत्रित सिंदूर की डिब्बी को साथ घर लाना चाहिए। वशीकरण के लिए उस सिंदूर का तिलक लगाकर वश में किए जाने वाले व्यक्ति के पास जाने से वह वशीभूत हो जाता है। इस साधना को समस्त नियमों का पालन कर किसी जानकार के सानिध्य और मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।

तांत्रिक गणेश मंत्र

श्री गणेश के कुछ मंत्र इतने प्रभावशाली हैं कि उनसे एक सप्ताह के भीतर ही जीवन में चमत्कारी बदलाव आ जाता है। इन्हीं में एक तांत्रिक गणेश मंत्र इस प्रकार हैः-

ऊँ ग्लौम गौरी पुत्रवक्रतुंडगणपति गुरु गणेश।

ग्लौम गणपतिऋद्धि पतिसिद्धि पतिमेरे कर दूर क्लेश।।

विधि-विधानः इस मंत्र की साधान अलग ढंग से की जाती है तथा कुछ खास चीजों के इस्तेमाल और नियम पालन का ध्यान रखा जाता है। जैसे इस मंत्र की साधना के दिन अपने मन को नियंत्रित रखते हुए क्रोध, अपशब्द, कड़वी या व्यंग्यात्मक वाणी के बचने के साथ-साथ मांस-मदिरा, परस्त्री गमन आदि से दूर रहना होता है। सच्चे मन से प्रातः स्नानआदि के बाद भगवान शिव, पार्वती और गणेशजी की सामान्य ढंग से विधिवत पूजा करें। उसके बाद उपर दिए गए मंत्र का 108 बार उच्चारण के साथ जाप करें और यह संकल्प लें कि आपके द्वारा किए जाने वाले कार्य किसी को अहित पहुंचाने या किसी के मन को ठेस पहुंचाने वाले नहीं होंगे। सात दिनों तक ऐसा करने से सुख-समृद्धि की अनुभूति होगी और कार्यक्षेत्र में आने वाली समस्त बाधाएं हट जाएंगी। सहकर्मी, जीवनसााथी, मित्र आदि से हुए वैचारिक मतभेद दूर हो जाएंगे।

इच्छा पूर्ति

मनोकामना सिद्धि या मानेवांछित फल की कामना के लिए दिए गए मंत्र का विधिवत जाप करने से लाभ मिलता है। वह मंत्र हैः-

ऊँ गणपति वशे मशानजो फल मांगु देवे आन,

पांच लड्डू सेर सिंदूरभर आना आता आनंद,

भरपूर नेद्वतीमानफूले फलत जागे मर लियावे,

एक फूले हाथीजो तू माहन रहे,

सूबा बात साथ करो जाऊं तो मुट्ठी करो!!

विधिः इस मंत्र की सिद्धि के लिए किसी भी बुधवार को अनुष्ठान शुरू किया जा सकता है। देसी घी के ज्योत जलाई जाती है, श्रीगणेश की मूर्ति का पूजन किया जाता है और दो लड्डुओं का भोग लगाने के बाद पांच माला जाप किया जाता है। इस मंत्र का 21 दिनों तक जाप करते हुए गणेश भगवान से अपनी इच्छपूर्ति की मन्नत मांगी जाती है।

शिव वशीकरण मन्त्र तंत्र सिद्धि

शिव वशीकरण मन्त्र तंत्र सिद्धि

शिव वशीकरण मन्त्रशिव साधना के उपायशिव को प्रसन्न करने की तंत्र सिद्धि – सृष्टि के संहारक रूप में ज्ञात शिव का स्वरूप अनिर्वचनीय है| सृष्टि व्यवस्था में ब्रम्हा सृजनकर्ता, विष्णु पालनकर्ता तथा शिव संहारकर्ता माने जाते हैं| परंतु उनका स्वरूप यहीं तक सीमित नहीं है| जब वह क्रोधित होते हैं, उनका त्रिनेत्र खुल जाता है, तथा सम्मुख खड़ा कोई भी हो वह भस्म हो जाता है| कामदेव ने भी एक बार इसी प्रकार उन्हें रुष्ट कर दिया था, परिणामस्वरूप वह शिव के कोप भाजनबनकर वहीं भस्म हो गए| कामदेव की पत्नी रति के विलाप से द्रवित होकर उन्हें पुनः पृथ्वी पर जन्म लेने का आशीर्वाद दिया| अपने सौम्य रूप में वह भोलेनाथ हैं| अर्थात, अपने भक्तो पर सर्वाधिक कृपालु शिव को ही माना जाता है| भस्मासुर को वर देने वाले भोलेनाथ शिव ही थे| रावण शिव का आराधक ही था| वर देते समय उन्हें इस बात का भान नहीं रहता कि वह देव है अथवा दानव| इतना ही नहीं संगीत के अधिष्ठाता भी शिव ही हैं| विशेष रूप से नृत्य प्रवीण कलाकार शिव भक्त ही होते हैं| उनका नटराज स्वरूप उनकी उत्प्रेरणा होती है| दूसरी तरफ तंत्र मार्ग में भी  शिव प्रमुखता से उपस्थित हैं| यहाँ पार्वती उनकी शक्ति रूप में पूजित होती हैं| वास्तविकता तो यह है कि सम्पूर्ण तंत्र विज्ञान शिव-और शक्ति की अवधारणा पर ही आधारित है|

शिव वशीकरण मन्त्र तंत्र सिद्धि
शिव वशीकरण मन्त्र तंत्र सिद्धि

शिव साधना के उपाय

शिव की साधना तंत्र मार्ग तथा भक्ति मार्ग दोनों ही विधियों से की जा सकती है|

भक्ति मार्ग के तहत निम्नलिखित प्रकार से साधना की जा सकती है|

  • सोमवार का व्रत रखें|
  • महादेव को बिल्वपत्र, आक, धतूरा, भंग आदि का भोग लगाएँ|
  • पंचामृत(दूध, दही, घी, शक्कर तथा शहद अर्पित करें|
  • ढेर सारे मंत्र नहीं आते हों तो मात्र ॐ नमः शिवाय का जाप ही काफी है| इस मंत्र में अपार शक्ति है| आदि शंकराचार्य ने इस पंचाक्षर मंत्र पर आधारित शिव पंचाक्षर स्तोत्र की रचना की है| जिसका पहला पद है – नागेंद्र हाराय त्रिलोचनाय भसमांग रागाय महेश्वराय, नित्याय शुध्याय दिगंबराय, तस्मै नकाराय नम: शिवाय| प्रत्येक पद में नकाराय, मकाराय, शिकाराय आदि के क्रम के साथ पूर्ण किया गया है|

तंत्र मार्ग के तहत शिव की आराधना –

तंत्र मार्ग में एकल शिव पूजित नहीं है| बल्कि शक्ति के साथ ही उनकी आराधना होती है| तंत्र में भी कई मार्ग हैं, वाम मार्ग में मांस, मदिरा तथा मैथुन तीनों ही प्राथमिक रूप से अपनाए जाते हैं| अघोरपंथी शमशान में शव साधना करते हैं| शिव को यहाँ भैरव माना जाता है, तथा अखंड कुमारी कन्याएँ भैरवी मानी जाती हैं| भैरवी पूजन के बिना यह साधना संभव नहीं है| कई अघोरपंथी तांत्रिक इसके लिए छोटी-छोटी कन्याओं का अपहरण कर लेते हैं जिसे जायज नहीं कहा जा सकता| प्राचीन काल में तंत्र सिद्धि हेतु शिव को नरबलि दी जाती थी| परंतु वर्तमान में यह संभव नहीं है| इस साधना में विश्व की निकृष्टम वस्तुओं को अपने जीवन शैली का हिस्सा बना लेना पड़ता है| एक शिवत्व प्राप्त तांत्रिक के लिए मिष्ठान्न और विष्ठा में कोई फर्क नहीं है| वह सूअर के साथ सो सकता है| गले हुए मुरदों का मांस भक्षण कर सकता है| यह साधना बिना गुरु के नहीं करना चाहिए| इस पथ पर एक बार चल पड़ने के बाद लौटकर आना संभव नहीं होता|

शिव मंत्र साधना

पूरब की ओर मुख करके बैठे, अपने सामने शिवलिंग स्थापित करें| पूजा घर में कर रहे हों तो पार्थिव महादेव(मिट्टी के बने शिवलिंग) भी स्थापित कर सकते हैं| उनके सम्मुख सुगंधित अगरबत्ती तथा घी का दीपक जलाएँ| अब पंचोपचार विधि से पूजन करें| अब हाथ जोड़कर अपनी अभिलाषा मन ही मन दोहराएँ तथा सफ़ेद फूल उन्हें अर्पित करें| इसके बाद शिव के मनोहारी स्वरूप की कल्पना करें तथा नेत्र बंद कर उनका ध्यान करें| इसके बाद निम्नलिखित मंत्र का जाप 11 माला 21 माला अथवा51 माला करें-

              ह्रीं-ओम-हौं-शंभो-नमो-भगवते-सदाशिवाय

जाप के लिए रुद्राक्ष की माला श्रेष्ठ है| इस मंत्र की ऊर्जा से बदन में गर्मी बढ़ जाती है| अधिक संख्या में जाप के उपरांत तनिक नशा जैसा अनुभव होता है| इसके बाद आरती करें, प्रसाद बांटे तथा स्वयं भी ग्रहण करें| पुनः थोड़ी देर के लिए एकांत कक्ष में लेट जाएँ| संभवतः तुरंत नींद आ जाएगी| न भी आए तो कुछ देर लेते रहें उसके बाद सामान्य दिनचर्या में लग जाएँ| इस साधना से घर में सब मंगल होता है| दृढ़ निश्चय के साथ अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु की गई यह साधना कभी निष्फल नहीं जाती|

यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि भक्ति मार्ग में विधि विधान से अधिक भक्ति की भावना प्रमुख है| निश्चय ही बड़े-बड़े तांत्रिक और मांत्रिक शिव की आराधना से असीम शक्ति प्राप्त कर लेते हैं| लेकिन दूसरी तरह यह भी सत्य है कि मात्र सोलह सोमवार दुग्ध अथवा जल से अभिषेक करने पर वह कन्याओं को सुयोग्य वर भी देते हैं| अर्थात हृदय में भक्ति रहकर शिव का ध्यान करने वाला कभी खाली हाथ नहीं रहता|

शिव वशीकरण मंत्र

सोमवार के दिन मंदिर अथवा अपने आवास पर ही विशेष शिव मंत्र की साधना से किसी को भी वशीभूत किया जा सकता है| इस दिन अपने पूजा स्थल पर समस्त पूजन सामग्री का इंतजाम पहले से ही कर लें| जैसे –रुद्राक्ष की माला, धूप, दीप, ताम्बूल आदि| वशीकरण हेतु पूजा में सदैव पूरब की ओर मुख करके बैठना चाहिए|  हाथ में अछिंजल(गंगाजल अथवा कोई भी स्वच्छ पात्र में भरा जल) लेकर चारो ओर सिक्त कर दिशा शोधन करें| पंचोपचार विधि से शिव विग्रह, चित्र अथवा शिवलिंग का पूजन करें| जिसका वशीकरण करना है उसका नाम लेकर शिव से प्रार्थना करें तथा निम्नलिखित मंत्र का जाप 21 माला करें –

ओम हंससोहं परमशिवाय नमः

यह विधि 11 सोमवार तक करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है| इसके उपरांत मुट्ठी में कोई खाद्य पदार्थ रखें,  जिसे वश में करना हो उसका नाम लेते हुए 11 बार इस मंत्र को पढ़कर मुट्ठी में फूँक मारें तथा लक्षित व्यक्ति को खिला दें| वह वशीभूत हो जाएगा| इस मंत्र का दुरुपयोग करने से आप शिव के कोपभाजन भी बन सकते हैं| स्मरण रखें वह ब्रम्हपिशाचिनी अथवा जिन्न नहीं है जिसे अपना दास बनाकर आप अपना काम निकलवा लेंगे| वह शिव हैं, अंतर्यामी हैं, आपकी आराधना का ध्येय भी जानते हैं और आपकी नीयत भी|

खून से वशीकरण मंत्र

खून से वशीकरण मंत्र

खून से वशीकरण मंत्र, कहते हैं कि रक्त यानी कि खून का संबंध काफी गहरा होता है। उसकी बदौलता ही विचार और व्यवहार मिलते हैं। यह संबंधों की मधुरता का ऐहसास देता है। इसकी सच्चाई से कोई इनकार नहीं कर सकता है। इसके साथ ही एक सच और भी है कि खून के रंग और गंध में गजब का आकर्षण होता है।

खून से वशीकरण मंत्र
खून से वशीकरण मंत्र

इस आकर्षण में छिपी हुई शक्ति का उपयोग तंत्रविद्या में सदियों से होता आया है। वशीकरण के लिए रक्त का उपयोग एक अद्भुत वस्तु की तरह किया जाता रहा है। किसी स्त्री को अपने वश मंे करना हो, पत्नी या प्रेमिका को वशीभूत कर उसपर अपना वर्चस्व कायम करना हो, या फिर किसी अन्य व्यक्ति को अपने वश में कर उसके दिलो-दिमाग पर अधिपत्य जमाना हो, इत्यादि।

रक्त वशीकरण के मंत्र और प्रभावशाली टोटके इसके लिए उपयोगी साबित होते हैं। वशीकरण के लिए मात्र दू बूंद खून ही खाफी होता है। यहां दिए गए खून से वशीकरण कुछ अचूक उपाय और तरीके इस प्रकार हैंः-

अनामिका के दो  बूंद:   अनामिका यानी कि अंगूठी पहनी जाने वाली अंगुली के दो बूंद खून से किसी लड़की या प्रेमिका को कुछ प्रयोग के साथ अपने वश मंे किया जा सकता है। इसके अपनाए जाने वाले टोटके के लिए जिस किसी पर वशीकरण का प्रयोग करना है उसका कपड़ा या फिर बाएं पैर का मोजा लें। उसे खरल में रखकर फटने और धागा निकल आने तक कूट लें।

कूटते समय ही कपड़े के साथ अपनी अनामिका के दो बूंद रक्त के पीसे हुए पांच लौंग को मिला दें। रक्त और लौंग के अच्छी तरह मिल जाने के बाद फटे कपड़े की सात बाती बना लें और चमेली तेल का सात दिनों तक प्रातः स्नान के बाद पूजा करते समय दीपक में जलाएं। दीपक जलाने के एक-दो दिनों के बाद ही असर दिखना शुरू हो जाएगा और वह व्यक्ति आपकी हर बात को सहर्ष मानने लगेगा।

माहवारी का रक्तः स्त्री पर वशीकरण उसके ही मासिक धर्म यानी माहवारी के रक्त से भी किया जा सकता है। इस वशीकरण में काफी प्रबलता होती है। हालांकि इसके लिए अपनाया जानेवाला तरीका काफी मुश्किल है। सबसे पहली मुश्किल तो उस स्त्री के मासिक धर्म का रक्त हासिल करना है।

अमूमन इसमें सफलता शायद ही मिल पाती है। ऐसी स्थिति में वशीकरण किए जाने वाली स्त्री या लड़की की माहवारी के दौरान तांत्रिक तरीका अपनाया जाता है। उसके बाद तांत्रिक गुरु के द्वारा गुप्त विधि अपनाई जाती है। मंत्र सिद्धी के बाद उस मंत्र का प्रयोग किया जाता है।

पति या प्रेमी का वशीकरणः अलगाव का जीवन गुजारने वाली विवाहिता या फिर प्रेमी के प्यार में कमी का एहसास करने वाली प्रेमिका हो, वह अपनी माहवारी के दौरान वशीकरण के तांत्रिक टोटके अपना सकती है। इसके लिए अपनाया जाने वाला नुस्खा ज्योतिषीय जन्म कुंडली से जुड़ा हुआ है। जिस किसी पर वशीकरण  करना है, उसकी जन्म कुंडली हासिल कर लें या फिर उसका जन्म स्थान, तारीख ओर सही समय की जानकारी जुटा लें।

ज्योतिष के पास जाकर पता करें कि कुंडली में वैवाहिक सुख देने वाले सातवें स्थान में ग्रह की स्थिति क्या है? यदि आपको मालूम हो जाता है कि उसमें राहु है तब टोटके के तौर पर बहते पानी में बादाम या नारियल प्रवाहित करें। इसकी शुरूआत भी माहवारी के दिन से ही करें। ऐसा चालीस दिनों तक करने से पति या प्रेमी के साथ सुखद संबंध कायम हो जाएगा।

मासिक धर्म के दिन: माहवारी के दौरान अपनी अंदरूनी शक्ति को जुटाने का भी समय होता है। इस दौरान पति या प्रेमी पर आधी रात को एक टोटके का प्रयोग किया जा सकता है। मासिक धर्म चलने के दौरान अपनी प्रेमी या पति के पास आधी रात को तब जाएं जब वह सो रहा हो। यदि वह समय गुरुवार या शुक्रवार की रात्री का हो तो और भी अच्छा है।

उसके सिर पर चोटी वाले हिस्से से कुछ बाल काट लें। उसे कहीं गुप्त स्थान पर छिपा दें। ध्यान रहे कि उसपर किसी की भी नजर नहीं जाए।  आप पाएंगे कि कुछ दिनों में पति या प्रेमी के व्यवहार में आपके प्रति नरमी आ गई है। उसके प्रेम उमड़ने का भी ऐहसास होगा।  अगले मासिक धर्म के समय छिपाए हुए बाल को नजर बचाकर जला दें और अपने पैरों से कुचल डालें।

कामाख्या मंत्रः पति या प्रेमी को आकर्षित करने के लिए कामाख्या मंत्र का प्रयोग बहुत ही सरल उपाय है, लेकिन इसका प्रभावकशाली असर होता है। एक भोजपत्र लें और उसपर अपनी अनामिका के खून से पति या प्रेमी का नाम लिख दें। उसके बाद नीचे दिए गए कामाख्या मंत्र का 108 बार जाप करें। जाप पूरा हो जाने के बाद उस भोजपत्र को शहद में डूबाकर रखना चाहिए। इससे पति या प्रेमी का आपके प्रति सम्मोहन बढ़ता है। मंत्र हैः-

ओम नमोहः महापाक्षिणी पति मे वश्यः कुरु कुरु स्वाहः!

रक्त का तिलकः इस प्रयोग को कोई भी सम्मोहन बढ़ाने के लिए आजमा सकता है। इसके जरिए चाहे तो स्त्री अपने पति या प्रेमी को वशीभूत कर सकती है या फिर पुरुष अपनी प्रेमिका या पत्नी को अपनी ओर सम्मोहित कर सकता है। इसके लिए बहुत ही साधारण नुस्खा अपनाने की जरूरत है। शुरूआत के लिए खास दिन शुक्रवार का चुनें। सुबह के समय साबुत हल्दी की गांठ को सिलबट्टे पर पीस लें, या फिर उसे चंदन की तरह घिस लें।

इस दौरान जिस किसी को वशीकरण करना चाहते हैं, उसका मन में नाम अवश्य लेते रहे। इसमें करीब तीन-चार मिनट का समय दें। उसके बाद अपनी अनामिका से एक-दो बूंद पिन या सूई चुभोकर निकाल लें। उसके घिसी हुई हल्दी मंे मिला दें। इस तरह से तैयार पेस्ट को तिलक के लिए प्रयाग मंे लाएं।

स्नान और दैनिक पूजा-पाठ के बाद अनमिका से ही माथे पर सम्मोहित किए जाने व्यक्ति का नाम लेकर तिलक लगाएं और उसके सामने जाएं। कोशिश करें उसकी दृष्टि आपके तिलक पर जरूर पड़े। यानी कि वह व्यक्ति आपके तिलक की तारीफ जरूर करे।

ऐसा होने का अर्थ होगा आपका यह टोटका असर दिखाना शुरू कर दिया है। यह प्रयोग लगातार सात दिनों तक करे। इन सात दिनों में कम से कम चार दिनों में तिलक की तारीफ सुनने का अर्थ होगा उस व्यक्ति का अपके प्रति पूरी तरह से सम्मोहित हो जाना।

रूठे हुए प्यार को मनाने के टोटके

रूठे हुए प्यार को मनाने के टोटके

रूठे हुए प्यार को मनाने के टोटके, प्यार में छोटी-छोटी बातों को लेकर रूठना-मनाना लगा रहता है, लेकिन कई बार जब प्रेमियों के बीच अनबन होने पर बात अधिक बिगड़ जाती है तो रूठे हुए प्यार को मनाना मुश्किल हो जाता है। इसपर किसी शायर ने क्या खूब लिखा है- रूठे रब को मनाना आसान है, लेकिन रूठे यार को मनाना मुश्किल!

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रूठे हुए प्यार को मनाने के टोटके
रूठे हुए प्यार को मनाने के टोटके

हालांकि यदि कुछ टोटके के उपाय से यह मुमकिन किया जा सकता है। वैदिक तंत्र-मंत्र और शाबर मंत्र की विद्या में प्रेमी या प्रेमिका को मनाने के अलग-अलग, लेकिन अचूक प्रभाव वाले टोटके बताए गए हैं। इसके लिए उपाय करने से पहले रूठने का कारण अवश्य पता करना चाहिए। यदि प्रेमी या पति किसी दूसरी प्रेमिका या औरत के वश मंे आ गया हो, तो खोया हुआ प्यार पुनः पाने का टोटका प्रयोग में लाना चाहिए।

पीपल के पत्तेः इस टोटके को प्रेमी या प्रेमिका कोई भी अपने प्यार को पाने के लिए आजमा सकते हैं। अमावस्या के दिन पीपल के दो पत्ते तोड़ लाएं। पत्ते पीले हों, लेकिन सूखे नहीं होने चाहिए। एक पर काजल से अपने प्रिय व्यक्ति का नाम लिख दें, और उन्हें वहीं पीपल के पेड़ के पास ही उलटकर किसी भारी पत्थर से दबाकर रख दें।

दूसरे पर सिंदूर से नाम लिखें और उसे अपने घर की छत पर उल्टा कर पहले की तरह किसी भारी पत्थर या सामान से दबा दें। इस काम को लगातार 15 दिनों तक करें। पूर्णिमा के दिन दोनों जगहों से सभी पत्तों को निकलें और प्रिय व्यक्ति का नाम लेते हुए उसपर जल का अध्र्य दें। उन पत्तों को पीपल के पेड़ के पास ही गड्ढे में दबा दें। इसका असर कुछ दिनों में अवश्य दिखेगा।

तिलक का असरः रूठे हुई प्रेमिका को मनाने का यह बेहद की सरल और अचूक उपाय है। नारियाल के तेल में धतूरे के बीज को पीस लें। उसमें थोड़ी मात्रा शहद की मिला दें। प्रातः स्नान आदि के बाद उस मिश्रण का तिलक लगाएं और प्रेमिका के सामने जाएं। प्रेमिका से बातें का सिलसिला शुरू करते हुए कोशिश करें कि आपके माथे पर लगे तिलक पर उसकी दृष्टि अवश्य पड़े। या फिर वह अनायास आपके तिलक को देखकर चैंक जाए। यदि ऐसा हो गया तो समझें आपके रूठे प्यार की नाराजगी दूर हो गई है।

तीन इलायचीः रूठे प्रेमी या पति को मनाने के लिए यह टोटका किया जाना चाहिए। इसके लिए तीन इलायची लें और भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण करते हुए शुक्रवार को उसे अपने शरीर से स्पर्श कर पहने हुए कपड़े में छिपाकर रख लें। जैसे दुपट्टे या साड़ी के पल्लू के कोने में बांध लें या फिर रूमाल में सहेज लें। अगले दिन यानी शनिवार की सुबह या दिन में जब भी प्रेमी या पति से मिलें तब उसे वही इलायची भेंट करें या फिर किसी व्यंजन में चुपके से मिलाकर खिलाने की कोशिश करें।

कुछ ज्योतिषीय उपायः यादि प्यार में प्रेमी या प्रेमिका का रूठना बार-बार होने लगे तो समझें प्यार की कृपा-दृष्टि बरसाने वाले ग्रह-सितारें की दशा ठीक नहीं है। इसके लिए जन्म कुंडली के जरिए ज्योतिषीय सलाह लें। उनके बताए निर्देशों का पालन करते हुए कुछ साधारण टोटके भी करें। जैसे-

  • जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह को मजबूत करने का उपाय करवाएं।
  • कुंडली के पांचवें भाव में रहने वाले स्वामी ग्रह को अधिक मजबूत बनाने के अतिरिक्त सप्तम भाव और सप्तमेश में ग्रह की बिगड़ी स्थिति को अवश्य शांत करवाएं।
  • प्रेमियों को सख्त हिदायत दी जाती है वे एक-दूसरे को काली वस्तु उपहार में नहीं भेंट करें।
  • उपहार में देने के लिए अक्सर लाल, गुलाबी और पीले रंग की वस्तु का ही चयन करें।
  • प्रेमी के रूठे स्वभाव को खत्म करने के लिए लड़की को चाहिए कि वह अपने हाथों में हरी चूड़ियां और गुरूवार को पीला पहनावा पहने।
  • जन्म कुंडली में कालसर्प दोष हो तो उसकी शांति के वैदिक उपाय करें।
  • यदि जन्म कुंडली में मंगल दोष हो तब इससे मुक्ति के उपाय अवश्य करें, वरना प्यार मिलकर भी दूर हो जाएगा
  • प्रेम में मुधरता बनी रहे इसके लिए प्रेमियों को डेटिंग या मिलने के जगह का चुनाव भी सोच-विचारकर करना चाहिए। जैसे लाल रंग की अधिकता वाले दक्षिण-पश्चिम दिशा वाले जगह पर नहीं जाएं।

शाबर मंत्र का टोटकाः रूठे हुए प्रेमी या प्रेमिका को मनाने के लिए एक अचूक मंत्र है-

मोहिनी माता, भूत पिता, भूत सिर बेताल,

उड़ ऐं काली नगिनी को जा लग।

ऐसी जा के लाग कि नागिन को लग जावै हमारी मुहब्बत की आग।

न खड़े सुख, न लेटे सुख, न सोते सुख।

सिंदूर चढ़ाऊं मंगलवार, कभी न छोड़े हमारा ख्याल।

जब तक न देखे हमारा मुख, काया तड़प-तड़प मर जाए।

चलो मंत्र, फुरो वाचा। दिखाओ रे शब्द, अपने गुरु के इल्म का तमाशा।

इस मंत्र का शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से आठ दिनों तक विधि-विधान के साथ जाप किया जाना चाहिए। जाप के लिए एक शांत-एकांत जगह चुनें, जो घर का कोई हिस्सा हो सकता है। रात को दस बजे कंबल के आसन पर पूरब की ओर मुंह कर बैठ जाएं। धुला हुआ कपड़ा पहनें और अपने सामने पानी का एक लोटा और दीपक या धूपबत्ती रखें।

जाप प्रारंभ करने से पहले दीपक जला लें धूपबत्ती से वातावरण को सुगंधित कर लें। अब उसका स्मरण करे, जिसे मनाना चाहते हैं। काफी मनोयोग से आंखें बंदकर मंत्र का जाप तबतक करें जबतक कि रूठे या खोए प्यार की तस्वीर आंखों के सामने नहीं आ जाए। मंत्र मंे नागिन शब्द के जगह प्रेमी या प्रेमिका नाम लें।

सोलह सोमवारः जिस किसी का प्रेमी रूठ गया हो या फिर किसी दूसरे के प्रति आकर्षित हा गया हो उसके सच्चे प्यार को पाने के लिए प्रेमिका को चाहिए कि वह सच्चे मन से सोलह सोमवार का व्रत रखे। उन्हें भगवान शिव का वरदान अवश्य मिलेगा।

मंत्र जापः अपने प्यार की सुरक्षा और प्रिय को रूठने से बचाने के लिए एक बीज मंत्र का एक सप्ताह तक प्रतिदिन जाप करें। मंत्र हैः- ऊँ हीं नमः! इसके जाप के समय लाल परिधान पहनें और कुमकुम की माला से एक हजार बार जाप करें।

मां दुर्गा की पूजाः रूठे हुए प्यार को पाने या मनाने के मां दुर्गा की शरण में जाएं और उनकी प्रतिमा पर लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं। प्यार की सलामती का मन्नत मांगें।

भगवान विष्णु और मां लक्ष्मीः प्यार की मधुरता कायम रखने के लिए भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की तीन माह तक पूजा करें। इस पूजा को शुक्ल पक्ष में गुरुवार के दिन से प्रारंभ करें तथा पूजन के बाद ऊँ लक्ष्मी नारायण नमः का तीन माला यानि 324 बार जाप करें।