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भैरव तंत्र साधना

भैरव तंत्र साधना

भैरव तंत्र साधना- एक सामान्य व्यक्ति का जीवन तमाम तरह की बिध्न-बाधाओं से भरा रहता है। कुछ आपत्तियां तो कुछ विपत्तियों का सामना करते हुए गुजरती जिंदगी में कई मौके ऐसे भी आते हैं जब मुश्किलों का हल आसानी से नहीं निकल पाता है। खासकर तब जब शत्रु के द्वारा पैदा की गई समस्याएं आफत बनकर सामने आ जाती हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए किए जाने वाले उपायों में तंत्र साधना को काफी उपुक्त बताया गया है। इसका जीवन में विशिष्ट महत्व है और ये दिनचर्या को सहज-सरल बनाने में काफी मददगार साबित होते हैं। यह भैरव तंत्र साधना से संभव है, जिसमें भगवान शिव की अद्भुत और विपुल शक्ति को जागृत किया जाता है।

भैरव तंत्र साधना
भैरव तंत्र साधना

हिंदू शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव सर्वव्यापि हैं और संसार सत्व, रज और तम गुणों से मिलकर बनी हुई है। इनपर शिव का नियंत्रण रहता है। शिव में अगर आनंद और उग्रता का रूप है, तो वे सात्विक गुण से भी परिपूर्ण माने गए हैं। इन तीनों गुणों की अपार शक्ति उनके भैरव अवतार में होती है। इस बारे चली आ रही मान्यता के अनुसार भगवान शिव प्रदोषकाल में काल और कलह रूपी अंधकार से संसार की रक्षा के लिए भैरव रूप में प्रकट हुए थे। शिव महापुराण में बताया गया है- ‘‘भैरवः पूर्णरूपो हृशंकरः परात्मनः,मूढ़ास्ते वै न जानन्ति मोहिता शिवमायया।’’

इसे ही रुद्रावतार कहा गया है। रुद्रायमल तंत्र में कुल 64 भैरवों की चर्चा की गई है, लेकिन तंत्र साधन में भैरव के दस रूप ही ज्यादा उल्लेखित किए हैं और कहा गया है कि कोई भी महाविद्या तभी सिद्ध हो सकती है, यदि  भैरव के दस रूपों से संबंधित भैरव की सिद्धि नहीं कर ली जाए। हालंकि रूद्र भैरव के रूपो में 1. असितांग भैरव, 2. चण्ड भैरव, 3. रु-रु भैरव, 4. क्रोधोन्मत्त भैरव, 5. भयंकर भैरव, 6. कपाली भैरव, 7. भीषण भैरव और 8. संहार भैरव सर्वाधिक लोकप्रिय हैं। अदि शंकराचार्य ने भी अपनी पुस्तक प्रपंञ्च-सार तंत्र में भी इन्हीं आठ भैरवों की चर्चा विशेष तौर पर की है।

इस कारण भैरव के सभी स्वरूपों की पूजा फलदायी मानी गई है। भैरव का शब्दिक अर्थ भरण-पोषण करने वाला होता है। वैसे इसे अकाल मौत से बचाने वाला भी माना गया है। इनमें मुख्य तौर पर तीन रूप इस प्रकार हैंः-

  • आनंद भैरवः यह रजो गुण अर्थात राजस्व को दर्शाता है और इनमें अर्थ, धर्म व काम की सिद्धियों के फल मिलते हैं। इनके साथ भैरवी की उपासना भी तांत्रिक साधना-सिद्धि के रूप में की जाती है।
  • काल भैरवः तम गुण वाले इस स्वरूप की साधना काल-भय, संकट, दुःख और शत्रुओं से मुक्ति के लिए की जाती है। इनकी मान्यता कल्याणकारी स्वरूप में है और इनमें काल को नियंत्रित करने की अद्भुत शक्ति होती है।
  • बटुक भैरवः- इन्हें सात्विक स्वरूप के तौर पर जाना जाता है, जिनकी उपासना से सभी तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति निरोगी जीवन व्यतीत करते हुए सुख-ऐश्वर्य, पद-प्रतिष्ठा और मान-सम्मान में वृद्धि प्राप्त करता है।

भैरव तंत्र साधना

भैरव तंत्र साधना के बारे में समझने से पहले तंत्र साधना के षट्कर्म के बारे में जानना जरूरी है, जिसमें शांति कर्म, वशीकरण, स्तंभन, विद्वेषण, उच्चारण और मारण प्रयोग होते हैं। इनके अतिरिक्त मोहनं, यक्षिणी साधना और रसायन क्रिया के प्रयोग भी किए जाते हैं। ये सभी कई देवी-देवताओं की उपासना, आराधना व साधना-सिद्धि से किए जाते हैं। इन्हीं में भैरव तंत्र साधना भी है, जिसे अघोरी श्मशान में विधि-विधान के साथ संपन्न करवाते हैं। हालांकि इसे कोई भी व्यक्ति सहजता के साथ कर सकता है।

ऐसे करें भैरव साधना

प्राचीन तांत्रिक ग्रंथों में भैरव की साधना के कई तरीके बताए गए हैं, लेकिन इसके श्रेष्ठ तरीके के के अनुसार आधी रात को निम्न नियमानुसार की जानी चाहिए।

  • भैरवी की पूजा के लिए आवश्यक पूजन सामग्रियों के साथ कुछ तांत्रिक भले ही शराब को नवैद्य के रूप में महत्व देते हों, लेकिन यह दिन के अनुसार बदलता रहता है। जैसे यदि रविवार को पूजा की जाए तो चावल-दूध की खीर, सोमवार को लड्डू, मंगलवार को घी-गुड़ की बनी सामग्री, बुधवार को दही-चिवड़ा, गुरुवार को बेसन के लड्डू या हलवा, शुक्रवार को भुने हुए चने और शनिवार को उड़द के बने पकौड़े या तली हुई खाने की नमकीन सामग्रियों का भोग लगाना चाहिए।
  • पूजन की तैयारी पूरी होने पर भैरव का आवाहन् के बताए गए मंत्र का उच्चारण करें और भैरवाय नमः बोलते हुए चंदन, अक्षत, फूल, सुपारी, दक्षिणा, नवैद्य आदि के साथ धूप और दीप से आरती करें। वह मंत्र हैः- आयाहि भगवान् रुद्रो भैरवः भैरवीपतेप्रसन्नोभव देवेश नमस्तुभ्यं कृपानिधि।
  • भैरव के आवहन् के बाद काल भैरव की उपासना करते हुए बताए गए शाबर मंत्र का जाप करें। मंत्र हैः- जय काली कंकाली महाकाली के पुत काल भैरव, हुक्म है- हाजिर रहे, मेरा कहा काज तुरंत करे, काला-भैरव किल-किल करके चली आई सवारी, इसी पल इसी घड़ी यही भगत रुके, ना रुके तो तो दुहाई काली माई की, दुहाई कामरू कामाक्षा की , गुरू गोरखनाथ बाबा की आण छु वाचापुरी!!
  • भैरवी साधना किसी भी रविवार, मंगलवार या कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आरंभ किया जा सकता है। परिधान लाल वस्त्र का होना चाहिए।
  • साधना की शुरुआत करने से पहले अपने आसन के ठीक सामने भैरव का चित्र या मूर्ति को स्थापित किया जाना चाहिए। उसके सामने आपका दक्षिण दिशा की ओर होनी चाहिए। इनकी पूजा तेल का दीपक जलाकर की जाती है। इसके अतिरिक्त गुग्गल, धूप-अगरबत्ती जलाई जा सकती है।
  • भैरव पूजा के बाद अर्पित की हुई नवैद्य सामग्री को पूजा-स्थल से बाहर नहीं ले जाना चाहिए, बल्कि उसे प्रसाद के तौर पर उसी समय सेवन करना चाहिए।
  • मंत्र जाप के लिए काली हकीक के माला का प्रयोग होना चाहिए।
  • विभिन्न उपायों के कुछ मंत्र बहुत उपयोगी होते हैं, जिनका तुरंत लाभ मिलता है। इन्हीं में एक भय नाशक मंत्र इस प्रकार हैः-ऊँ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय भयं हन्! इस मंत्र का दक्षिण दिशा मुंह कर छह माला जाप करना चाहिए।
  • शत्रु नाशक मंत्रः ऊँ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय शत्रु नाशं कुरु! इस मंत्र को नारियल को काले कपड़े में लपेटकर भैरवी को अर्पित करना चाहिए। गुग्गल धूनी जलाते हुए पांच माला का जाप करना चाहिए।
  • जादू-टोना नाशक मंत्रः ऊँ भं भैरवाय अप्द्दुदारानाय तंत्र बाधाम नाशय नाशय! इस मंत्र का सात माल जाप करना चाहिए। इससे पहले आटे के तीन दिये जलाकर कपूर से आरती करनी चाहिए।
  • प्रतियोगिता-परीक्षा में सफलता का मंत्रः ऊँ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय साफल्यं देहि स्वाहाः! इस मंत्र का जाप बेसन का हलवा प्रसाद के रूप में भोग लगाने के बाद अखंड दीप जलाएं और उसे पूर्व की ओर मुख कर आठ माला का जाप करें।
  • बच्चों की सुरक्षा का मंत्रः ऊँ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय कुमारं रक्ष रक्ष! इस मंत्र का छह माला जाप मीठी रोटी का भोग लगाकर पश्चिम की ओर मुंह कर किया जाना चाहिए।
  • लंबी आयु मंत्रः ऊँ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय कुमारं रु रु स्वरूपाय स्वाहाः! इस मंत्र का पांच माला जाप पूरब की ओर मुख करना चाहिए। गरीबों को भोजन करवाएं।
  • बल-वृद्धि देने वाला मंत्रः ऊँ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय शौर्य प्रयच्छ! इस मंत्र का सात माला जाप काले कंबल पर बैठकर करना चाहिए।

गणेश वशीकरण

गणेश वशीकरण

हिंदू धर्म में महादेव शिव और माता पर्वती के पुत्र भगवान गणेश की पूजा, आराधना, साधना और उपासना की महत्ता से सभी परिचित हैं। उन्हें घर या कार्यालय के प्रवेश द्वार पर स्थापित करने के साथ-साथ पूजा घर में विशिष्टिता के साथ रखा जाता है। प्रत्येक अनुष्ठान के दौरान सबसे पहले उनकी पूजा की जाती है। यही वजह है कि हर शुभ कार्य के शुभारंभ को ‘श्रीगणेश’ कहकर संबोधित किया जाता है और ‘ ऊँ  गणेशाय नमः!’ मंत्र के जाप से एकाग्रता एवं कार्यारंभ की प्रेरणा मिलती है।

गणेश वशीकरण
गणेश वशीकरण

वैदिक ग्रंथों की मान्यताओं के अनुसार गणेश भगवान की विशिष्ट पूजा और उनके मंत्रों की साधना-सिद्धि से वशीकरण की अद्भुत क्षमता भी हासिल की जा सकती है, जिसका विभिन्न या कहें विशेष कार्यों के लिए उपयोग किया जाता है। आईए, एक नजर डालते हैं वशीकरण के लिए श्रीगणेश अर्थात गौरी पुत्र गजानन को प्रसन्न करने के लिए गणेश चतुर्थी के दिन से शुरू की जाने वाली पूजा के विधान और मंत्रों के बारे में, जो अचूक प्रभाव देते हैं।

वशीकरण की साधना

भगवान गणेश को भी रूप-सौंदर्य के था आकर्षित करने वाले ईष्टदेव रूप में पूजा की जाती है तथा उनमें आकर्षण या सम्मोहन शक्ति बढ़ाने की क्षमता है। और तो और श्रीगणेश को सभी सिद्धियों विधाता और वशीकरण के आधार देव माने जाते हैं। उनका वशीकरण का बहुपयोगी मंत्र हैः-

ऊँ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद्र सर्व जनं मे वशमानाय स्वाहा!!

विधि-विधानः भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर के सामने आसन पर ब्रह्म मुहूर्त में पूर्व या पश्चिम की दिशा में बैठकर इस मंत्र के स्पष्ट उच्चारण के साथ उनका ध्यान करना चाहिए। उसके बाद निम्न मंत्र का पाठ करना चाहिए।

मंत्रः ऊँ अस्य हस्तिमुख गणेश मंत्रस्य श्री गणक ऋषिः गायत्री छंदः।

     श्री हस्तिमुख गणपति देवता ममाभीष्ट सिद्धयर्थे विनियोगः।। 

अर्थात् अपने दोनों हाथों में इक्षुदण्ड धारण किए हुए, उनमें पाश और अंकुश लिए हुए। एक हाथ में कमल धारण कर श्यामांगी को बगल में बिठाए हुए त्रिनेत्र रक्त वर्ण वाले गणपति का मैं ध्यान करता हूूं। ऐसी विनती की वाणी के साथ श्रीगणेश के समक्ष जल का छिड़काव करना चाहिए। उसके बाद निम्न मंत्र का पाठ करने से वशीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाई जा सकती है। वह मंत्र इस प्रकार हैः-

ऊँ गं अंगुष्ठाभ्यां नमः हृदयाय नमः

ऊँ गं तर्जनीभ्यां नमः शिरसे स्वाहा

ऊँ गं मध्यमाभ्यां नमः शिखाये वषट्

ऊँ गं अनामिकभ्यां नमः कवचाय हुम्

ऊँ कनिष्ठिकाभ्यां नमः नैत्रत्रयाय वौषट्

ऊँ गं करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः अस्त्राय फट्!!

इस हस्तिमुख गणपति के तीन लाख मंत्र का जाप दस दिनों के अनुष्ठान के दरम्यान पूर्ण करने के बाद दशांश हवन ईख और घी या तेल में तले हुए पुए से करने का विधान है। इस तरह से किए गए गणेश पूजन से वशीकरण की सिद्धि प्राप्त हो जाती है। उसके बाद वशीकरण संबंधी उपाय किए जा सकते हैं। वे इस प्रकार हैंः-

  • पानी में गुड़ मिलाकर बने शरबत से 444 बार वश मं किए जाने वाले व्यक्ति को ध्यान कर तर्पण करें।
  • घी, शहद और शक्कर यानि त्रिमधु को हवन सामग्री में मिलाकर हवन करने से वशीकरण का कार्य संपन्न होता है, तथा नारियल से हवन करने पर श्रेष्ठता और समृ़िद्ध की प्राप्ति होती है।
  • किसी स्त्री को वश में करने के लिए शहद में थोड़ा नमक मिलाकर हवन करने का अचूक लाभ मिलता है। इसके प्रयोग से पहले सामान्य गणेश पूजन आवश्यक है।
  • गणेश पूजन से ग्रहों की बिगड़ी हुई दशा को भी सही कर सकारात्मक प्रभाव देने जैसा बनाया जा सकता है।

गणेश मोहिनी वशीकरण

सम्मोहन या वशीकरण के लिए मेहिनी अर्थात प्रेम-भावना के लिए कई प्रचलित साधनाओं में एक गणेश मोहिनी वशीकरण भी है। इसके जरिए अगर प्रेमी-प्रमिकाएं अपने प्रिय या दंपति जीवनसाथी के प्रेमपाश में बंधे रहने की चाहत रखते हैं। यह एक तरह से यौनाकर्षण बढ़ाने वाले उपयों में से भी एक है। गणेश माहिनी वशीकरण के लिए एक साधना करनी होती है, जिसे घर में नहीं किया जाता है। इसके लिए शाबर मंत्र का 1100 बार आहूति के साथ जाप किया जाता है। वह मंत्र हैः-

ऊँ गणपति वीर वसे मसानेजो मैं मांगु सो तुम आन!

पांच लड्डू वा सिर सिंदूर त्रीभुवन मांगे चंपे के फूल!

अष्ट कुली नाग मोहा जो नाड़ी 72 कोठा मोहु!

इंदर की बैठी सभा मोहु आवती जावती ईस्त्री मोहु!

जाता जाता पुरुष मोहुडावा अंग वसे नरसिंह जीवने क्षेत्र पाला ये!

आवे मारकरनाता सो जावी हमारे पाउ पडंता!

गुरु की शक्ति हमारी भगती चलो मंत्र आदेश गुरुका!!

साधना-सिद्धिः इस मंत्र को साधने और सिद्धि के लिए किसी जंगल, बाग-बगीचे, नदी, तालाब के किनारे,  पार्क या घर के पिछवाड़े एकांत कोने में गणपति के पूजन की तैयारी करनी चाहिए। पूजन सामग्रियों में फूल, पान, नारियल गोला, सफेद चंदन, लाल चंदन, किशमिश, बादाम, काला तिल एवं हवन की सभी सामग्रियों को अनुपातिक मात्रा में मिलाया जाना चाहिए। साथ में भोग के लिए पांच लड्डू और सिंदूर की एक डिब्बी रखना जरूरी है। रात के नौ-दस बजे के बाद हवन की शुरूआत के बाद रात्री के एक बजे तक संपन्न कर लिया जाना चाहिए।

हवन की पूर्णहुति के बाद पूजन की सारी सामग्री वहीं छोड़ देना चाहिए और अभिमंत्रित सिंदूर की डिब्बी को साथ घर लाना चाहिए। वशीकरण के लिए उस सिंदूर का तिलक लगाकर वश में किए जाने वाले व्यक्ति के पास जाने से वह वशीभूत हो जाता है। इस साधना को समस्त नियमों का पालन कर किसी जानकार के सानिध्य और मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।

तांत्रिक गणेश मंत्र

श्री गणेश के कुछ मंत्र इतने प्रभावशाली हैं कि उनसे एक सप्ताह के भीतर ही जीवन में चमत्कारी बदलाव आ जाता है। इन्हीं में एक तांत्रिक गणेश मंत्र इस प्रकार हैः-

ऊँ ग्लौम गौरी पुत्रवक्रतुंडगणपति गुरु गणेश।

ग्लौम गणपतिऋद्धि पतिसिद्धि पतिमेरे कर दूर क्लेश।।

विधि-विधानः इस मंत्र की साधान अलग ढंग से की जाती है तथा कुछ खास चीजों के इस्तेमाल और नियम पालन का ध्यान रखा जाता है। जैसे इस मंत्र की साधना के दिन अपने मन को नियंत्रित रखते हुए क्रोध, अपशब्द, कड़वी या व्यंग्यात्मक वाणी के बचने के साथ-साथ मांस-मदिरा, परस्त्री गमन आदि से दूर रहना होता है। सच्चे मन से प्रातः स्नानआदि के बाद भगवान शिव, पार्वती और गणेशजी की सामान्य ढंग से विधिवत पूजा करें। उसके बाद उपर दिए गए मंत्र का 108 बार उच्चारण के साथ जाप करें और यह संकल्प लें कि आपके द्वारा किए जाने वाले कार्य किसी को अहित पहुंचाने या किसी के मन को ठेस पहुंचाने वाले नहीं होंगे। सात दिनों तक ऐसा करने से सुख-समृद्धि की अनुभूति होगी और कार्यक्षेत्र में आने वाली समस्त बाधाएं हट जाएंगी। सहकर्मी, जीवनसााथी, मित्र आदि से हुए वैचारिक मतभेद दूर हो जाएंगे।

इच्छा पूर्ति

मनोकामना सिद्धि या मानेवांछित फल की कामना के लिए दिए गए मंत्र का विधिवत जाप करने से लाभ मिलता है। वह मंत्र हैः-

ऊँ गणपति वशे मशानजो फल मांगु देवे आन,

पांच लड्डू सेर सिंदूरभर आना आता आनंद,

भरपूर नेद्वतीमानफूले फलत जागे मर लियावे,

एक फूले हाथीजो तू माहन रहे,

सूबा बात साथ करो जाऊं तो मुट्ठी करो!!

विधिः इस मंत्र की सिद्धि के लिए किसी भी बुधवार को अनुष्ठान शुरू किया जा सकता है। देसी घी के ज्योत जलाई जाती है, श्रीगणेश की मूर्ति का पूजन किया जाता है और दो लड्डुओं का भोग लगाने के बाद पांच माला जाप किया जाता है। इस मंत्र का 21 दिनों तक जाप करते हुए गणेश भगवान से अपनी इच्छपूर्ति की मन्नत मांगी जाती है।

प्रेम विवाह वशीकरण

प्रेम विवाह वशीकरण

प्रेम विवाह वशीकरण, दोस्तों क्या आप चाहते हैं कि आपका प्रेम विवाह हो और आप का विवाह उसी व्यक्ति से ही हो जिस व्यक्ति से आप  प्रेम करते हैं और आप चाहते हैं कि वही व्यक्ति आपके साथ जीवन भर रहे आपका जीवन साथी बन कर आपकी अर्धांगिनी बनकर।

दोस्तों यह सब बिल्कुल हो सकता है अगर आप चाहे तो दरअसल ज्योतिष शास्त्र में हर चीज संभव है जो चीज असंभव हम मानवों को लगता है वह सब ज्योतिष शास्त्र में संभव है क्योंकि ज्योतिष शास्त्र के पास आज बहुत से उपचार है बहुत से उपाय हैं जिसको अपनाकर लोग अपने जीवन में आने वाले हर समस्याओं से बच सकते हैं।

आइए जानते हैं उन उपायों के बारे में जिनको आप अपना कर प्रेम विवाह कर सकते हैं प्रेम विवाह का वशीकरण मंत्र आज हम आपको बताने जा रहे हैं अगर आप किसी से प्यार करते हैं और वह व्यक्ति प्रेम विवाह के लिए राजी नहीं हो रहा है।

प्रेम विवाह वशीकरण
प्रेम विवाह वशीकरण

तो भी आप इस उपाय को करके सफलता प्राप्त कर सकते हैं और अगर आपके प्रेम विवाह के मार्ग में बाधा सृष्टि हो रही है तो यह उपाय करके वह बांधाएं भी दूर हो जाएगी तो चलिए जानते हैं कि किस तरह उपाय करके आप प्रेम विवाह कर सकते हैं।

इन उपायों को करने से पहले हम आपको बता दें कि अगर आप किसी को सच्चे मन से प्यार करते हैं तो ही आप इस उपाय को अपनाना क्योंकि अगर आपके मन में किसी के भी प्रति गलत भावना है और आप किसी गलत कारणवश से यह उपाय करना चाहते हैं तो इन उपायों को बिल्कुल भी ना करें क्योंकि इसका गलत प्रभाव वापस मुड़कर आपके पास ही आ जाता है इसलिए अगर आप सच्चे मन से वशीकरण करना चाहते तो तभी यह वशीकरण का उपाय कीजिएगा।

प्रेम विवाह के लिए हर किसी की राशि में सप्तम भाव का मजबूत होना बहुत जरूरी होता है अगर आपके जन्म कुंडली में सप्तम भाव कमजोर है तो आपका प्रेम विवाह कभी भी नहीं हो सकता है। इसलिए विवाह करने से पूर्व अपने सप्तम भाव को मजबूत बना कर तभी प्रेम विवाह कीजिए।

अगर आप सप्तम भाव को कमजोर रखते हुए प्रेम विवाह करते हैं तो आपका प्रेम विवाह ज्यादा दिन तक टिकेगा नहीं कुछ एकाध 2 महीने के अंदर आपका परिवार टूट जाएगा इसलिए सप्तम भाव को मजबूत करने के बाद ही प्रेम विवाह के ओर अपना कदम बढ़ाए।

ॐ क्लीं कृष्णाय गोपीजन वल्लभाय स्वाहा:

अगर आप चाहते हैं कि आपका विवाह  जल्दी से उस व्यक्ति के साथ ही हो जाए जिससे आप प्यार करते हैं तो आपको भगवान कृष्ण की पूजा आराधना अवश्य करनी चाहिए। इसके लिए हमने ऊपर जो मंत्र उपलब्ध करवाया है उस मंत्र का जाप आपको शुक्रवार को  सुबह प्रातः काल नहा धोकर साफ सुथरा कपड़े पहन कर भगवान कृष्ण के तस्वीर के सामने बैठकर इस मंत्र का जाप करना चाहिए आपको हर शुक्रवार को यह उपाय करना चाहिए जब तक कि आपका विवाह उससे नहीं हो जाता जिससे आप शादी करना चाहते हैं।

उपाय को करने से आपको यह लाभ होगा कि आप अपने वैवाहिक जीवन में सुखमयी तरीके से रहेंगे आप अपने पति या अपनी पत्नी के साथ हंसी-खुशी अपना जीवन बिताएंगे।

आप जिस व्यक्ति से प्रेम करते हैं और यदि वह व्यक्ति मांगलिक है जिस वजह से आपके विवाह में बाधा आ रही है तो उसके लिए भी चिंता मत कीजिए पहले मांगलिक दोष का निवारण कीजिए फिर प्रेम विवाह किजिए।

अगर आप भगवान शिव के भक्त हैं तो सोलह सोमवार भगवान शिव का व्रत उपासना करके मनचाहा जीवनसाथी पा सकते हैं क्योंकि भगवान शिव अपने भक्तों से जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और उनके मन की इच्छा को सफल करते हैं। अगर आप 16 सोमवार व्रत रखते हैं तो आपको अवश्य ही अच्छा परिणाम मिलेगा और आपका विवाह जल्दी हो जाएगा।

अपनी प्रेमी या प्रेमिका को भूल से भी कभी भी कोई काली रंग की वस्तु उपहार के रूप में बिल्कुल भी ना दें क्योंकि काले रंग का वस्तु रिश्तों में बहुत गहरा प्रभाव डालता है। काला रंग अशुभ रंग का संकेत है इसलिए काले चीजों को देने से बचें।

अगर आप काली चीज को लगातार अपने प्रेमी या प्रेमिका को देते जाएंगे तो आप के रिश्तो में फूप शुरू हो जाएगी बाधा उत्पन्न होने लगेंगे और आप एक दूसरे से लड़ाई झगड़ा करने लगेंगे इसलिए अगर आप उन सारी समस्याओं से बचना चाहते हैं तो कृपया अपने प्रेमी या प्रेमिका को काले रंग की कोई भी वस्तु को उपहार स्वरूप ना दें।

अगर आपके घर के आसपास कृष्ण मंदिर है तो आप हर सुबह उस मंदिर में माथा टेक आएं और अगर आपका सामार्थ्य हो तो आप उस मंदिर में एक बांसुरी अर्पित कर आएं। इससे भगवान कृष्ण खुश होंगे और प्रेम विवाह में आपकी मदद करेंगे।

अगर आप पुरुष हैं और आप सच में चाहते हैं कि आपका विवाह प्रेम विवाह ही हो तो आप अपने हाथ में एक पन्ना धारण कर लीजिए पन्ना बुध को मजबूत करता है और कभी-कभी बुध की दशा सही ना होने के कारण प्रेम विवाह में बाधा सृष्टि होती है इसलिए आप जल्द से जल्द एक पन्ना बनाकर हाथ में पहन लिजिए जिससे आपका प्रेम विवाह जल्दी से जल्दी संपन्न हो जाएगा।

अगर आप नारी है तो आप पीले वस्त्रों को ज्यादा से ज्यादा पहनें आप गुरुवार के दिन पीले वस्त्र पहनकर ही भगवान कृष्ण की पूजा आराधना कीजिए उनको फूल अर्पित कीजिए और मन ही मन प्रार्थना किजिए की हे प्रभु मेरा विवाह उसी व्यक्ति से करवा दीजिए जिससे मैं प्रेम करती हूं भगवान कृष्ण आपकी बात  सुनेंगे और आपकी मनोकामना पूरी होंगी।

इसके अलावा दोस्तों आप प्राण प्रतिष्ठित गौरी शंकर रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं रुद्राक्ष बहुत से लोगों ने धारण किया है अलग अलग काम के लिए। रूद्राक्ष जल्दी परिणाम देता है अगर आप प्राण प्रतिष्ठित गौरी शंकर रुद्राक्ष पहन लेते हैं तब आपका प्रेम विवाह निश्चित।

दोस्तों तो यह थे वे सारे आसान उपाय जिनको आप अपना कर अपना विवाह जल्दी से जल्दी करवा सकते हैं जल्दी नहीं प्रेम विवाह करवा सकते हैं प्रेम एक ऐसा बंधन है जो सभी को एक दूसरे के साथ जोड़ कर रखता है अगर आप भी, प्रेम विवाह करना चाहते हैं और इन उपायों से सिद्धि हासिल करना चाहते तो आपको सफलता अवश्य मिलेगी।