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भैरव तंत्र साधना

भैरव तंत्र साधना

भैरव तंत्र साधना- एक सामान्य व्यक्ति का जीवन तमाम तरह की बिध्न-बाधाओं से भरा रहता है। कुछ आपत्तियां तो कुछ विपत्तियों का सामना करते हुए गुजरती जिंदगी में कई मौके ऐसे भी आते हैं जब मुश्किलों का हल आसानी से नहीं निकल पाता है। खासकर तब जब शत्रु के द्वारा पैदा की गई समस्याएं आफत बनकर सामने आ जाती हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए किए जाने वाले उपायों में तंत्र साधना को काफी उपुक्त बताया गया है। इसका जीवन में विशिष्ट महत्व है और ये दिनचर्या को सहज-सरल बनाने में काफी मददगार साबित होते हैं। यह भैरव तंत्र साधना से संभव है, जिसमें भगवान शिव की अद्भुत और विपुल शक्ति को जागृत किया जाता है।

भैरव तंत्र साधना
भैरव तंत्र साधना

हिंदू शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव सर्वव्यापि हैं और संसार सत्व, रज और तम गुणों से मिलकर बनी हुई है। इनपर शिव का नियंत्रण रहता है। शिव में अगर आनंद और उग्रता का रूप है, तो वे सात्विक गुण से भी परिपूर्ण माने गए हैं। इन तीनों गुणों की अपार शक्ति उनके भैरव अवतार में होती है। इस बारे चली आ रही मान्यता के अनुसार भगवान शिव प्रदोषकाल में काल और कलह रूपी अंधकार से संसार की रक्षा के लिए भैरव रूप में प्रकट हुए थे। शिव महापुराण में बताया गया है- ‘‘भैरवः पूर्णरूपो हृशंकरः परात्मनः,मूढ़ास्ते वै न जानन्ति मोहिता शिवमायया।’’

इसे ही रुद्रावतार कहा गया है। रुद्रायमल तंत्र में कुल 64 भैरवों की चर्चा की गई है, लेकिन तंत्र साधन में भैरव के दस रूप ही ज्यादा उल्लेखित किए हैं और कहा गया है कि कोई भी महाविद्या तभी सिद्ध हो सकती है, यदि  भैरव के दस रूपों से संबंधित भैरव की सिद्धि नहीं कर ली जाए। हालंकि रूद्र भैरव के रूपो में 1. असितांग भैरव, 2. चण्ड भैरव, 3. रु-रु भैरव, 4. क्रोधोन्मत्त भैरव, 5. भयंकर भैरव, 6. कपाली भैरव, 7. भीषण भैरव और 8. संहार भैरव सर्वाधिक लोकप्रिय हैं। अदि शंकराचार्य ने भी अपनी पुस्तक प्रपंञ्च-सार तंत्र में भी इन्हीं आठ भैरवों की चर्चा विशेष तौर पर की है।

इस कारण भैरव के सभी स्वरूपों की पूजा फलदायी मानी गई है। भैरव का शब्दिक अर्थ भरण-पोषण करने वाला होता है। वैसे इसे अकाल मौत से बचाने वाला भी माना गया है। इनमें मुख्य तौर पर तीन रूप इस प्रकार हैंः-

  • आनंद भैरवः यह रजो गुण अर्थात राजस्व को दर्शाता है और इनमें अर्थ, धर्म व काम की सिद्धियों के फल मिलते हैं। इनके साथ भैरवी की उपासना भी तांत्रिक साधना-सिद्धि के रूप में की जाती है।
  • काल भैरवः तम गुण वाले इस स्वरूप की साधना काल-भय, संकट, दुःख और शत्रुओं से मुक्ति के लिए की जाती है। इनकी मान्यता कल्याणकारी स्वरूप में है और इनमें काल को नियंत्रित करने की अद्भुत शक्ति होती है।
  • बटुक भैरवः- इन्हें सात्विक स्वरूप के तौर पर जाना जाता है, जिनकी उपासना से सभी तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति निरोगी जीवन व्यतीत करते हुए सुख-ऐश्वर्य, पद-प्रतिष्ठा और मान-सम्मान में वृद्धि प्राप्त करता है।

भैरव तंत्र साधना

भैरव तंत्र साधना के बारे में समझने से पहले तंत्र साधना के षट्कर्म के बारे में जानना जरूरी है, जिसमें शांति कर्म, वशीकरण, स्तंभन, विद्वेषण, उच्चारण और मारण प्रयोग होते हैं। इनके अतिरिक्त मोहनं, यक्षिणी साधना और रसायन क्रिया के प्रयोग भी किए जाते हैं। ये सभी कई देवी-देवताओं की उपासना, आराधना व साधना-सिद्धि से किए जाते हैं। इन्हीं में भैरव तंत्र साधना भी है, जिसे अघोरी श्मशान में विधि-विधान के साथ संपन्न करवाते हैं। हालांकि इसे कोई भी व्यक्ति सहजता के साथ कर सकता है।

ऐसे करें भैरव साधना

प्राचीन तांत्रिक ग्रंथों में भैरव की साधना के कई तरीके बताए गए हैं, लेकिन इसके श्रेष्ठ तरीके के के अनुसार आधी रात को निम्न नियमानुसार की जानी चाहिए।

  • भैरवी की पूजा के लिए आवश्यक पूजन सामग्रियों के साथ कुछ तांत्रिक भले ही शराब को नवैद्य के रूप में महत्व देते हों, लेकिन यह दिन के अनुसार बदलता रहता है। जैसे यदि रविवार को पूजा की जाए तो चावल-दूध की खीर, सोमवार को लड्डू, मंगलवार को घी-गुड़ की बनी सामग्री, बुधवार को दही-चिवड़ा, गुरुवार को बेसन के लड्डू या हलवा, शुक्रवार को भुने हुए चने और शनिवार को उड़द के बने पकौड़े या तली हुई खाने की नमकीन सामग्रियों का भोग लगाना चाहिए।
  • पूजन की तैयारी पूरी होने पर भैरव का आवाहन् के बताए गए मंत्र का उच्चारण करें और भैरवाय नमः बोलते हुए चंदन, अक्षत, फूल, सुपारी, दक्षिणा, नवैद्य आदि के साथ धूप और दीप से आरती करें। वह मंत्र हैः- आयाहि भगवान् रुद्रो भैरवः भैरवीपतेप्रसन्नोभव देवेश नमस्तुभ्यं कृपानिधि।
  • भैरव के आवहन् के बाद काल भैरव की उपासना करते हुए बताए गए शाबर मंत्र का जाप करें। मंत्र हैः- जय काली कंकाली महाकाली के पुत काल भैरव, हुक्म है- हाजिर रहे, मेरा कहा काज तुरंत करे, काला-भैरव किल-किल करके चली आई सवारी, इसी पल इसी घड़ी यही भगत रुके, ना रुके तो तो दुहाई काली माई की, दुहाई कामरू कामाक्षा की , गुरू गोरखनाथ बाबा की आण छु वाचापुरी!!
  • भैरवी साधना किसी भी रविवार, मंगलवार या कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आरंभ किया जा सकता है। परिधान लाल वस्त्र का होना चाहिए।
  • साधना की शुरुआत करने से पहले अपने आसन के ठीक सामने भैरव का चित्र या मूर्ति को स्थापित किया जाना चाहिए। उसके सामने आपका दक्षिण दिशा की ओर होनी चाहिए। इनकी पूजा तेल का दीपक जलाकर की जाती है। इसके अतिरिक्त गुग्गल, धूप-अगरबत्ती जलाई जा सकती है।
  • भैरव पूजा के बाद अर्पित की हुई नवैद्य सामग्री को पूजा-स्थल से बाहर नहीं ले जाना चाहिए, बल्कि उसे प्रसाद के तौर पर उसी समय सेवन करना चाहिए।
  • मंत्र जाप के लिए काली हकीक के माला का प्रयोग होना चाहिए।
  • विभिन्न उपायों के कुछ मंत्र बहुत उपयोगी होते हैं, जिनका तुरंत लाभ मिलता है। इन्हीं में एक भय नाशक मंत्र इस प्रकार हैः-ऊँ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय भयं हन्! इस मंत्र का दक्षिण दिशा मुंह कर छह माला जाप करना चाहिए।
  • शत्रु नाशक मंत्रः ऊँ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय शत्रु नाशं कुरु! इस मंत्र को नारियल को काले कपड़े में लपेटकर भैरवी को अर्पित करना चाहिए। गुग्गल धूनी जलाते हुए पांच माला का जाप करना चाहिए।
  • जादू-टोना नाशक मंत्रः ऊँ भं भैरवाय अप्द्दुदारानाय तंत्र बाधाम नाशय नाशय! इस मंत्र का सात माल जाप करना चाहिए। इससे पहले आटे के तीन दिये जलाकर कपूर से आरती करनी चाहिए।
  • प्रतियोगिता-परीक्षा में सफलता का मंत्रः ऊँ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय साफल्यं देहि स्वाहाः! इस मंत्र का जाप बेसन का हलवा प्रसाद के रूप में भोग लगाने के बाद अखंड दीप जलाएं और उसे पूर्व की ओर मुख कर आठ माला का जाप करें।
  • बच्चों की सुरक्षा का मंत्रः ऊँ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय कुमारं रक्ष रक्ष! इस मंत्र का छह माला जाप मीठी रोटी का भोग लगाकर पश्चिम की ओर मुंह कर किया जाना चाहिए।
  • लंबी आयु मंत्रः ऊँ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय कुमारं रु रु स्वरूपाय स्वाहाः! इस मंत्र का पांच माला जाप पूरब की ओर मुख करना चाहिए। गरीबों को भोजन करवाएं।
  • बल-वृद्धि देने वाला मंत्रः ऊँ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय शौर्य प्रयच्छ! इस मंत्र का सात माला जाप काले कंबल पर बैठकर करना चाहिए।

रूठे हुए प्यार को मनाने के टोटके

रूठे हुए प्यार को मनाने के टोटके

रूठे हुए प्यार को मनाने के टोटके, प्यार एक ऐसा शब्द है जिस की व्याख्या हर एक व्यक्ति अलग- अलग शब्दों में अलग-अलग तरीके से करता है। एक तरहसे कहा जाए तो प्यार का कोई निश्चित व्याख्या है ही नहीं जिसे शब्दों में ब्याह कियाजाए।

अगर आपसे कोई पूछे कि आपके लिए प्यार का मतलब क्या होता है तो आप कहेंगे कि हमारे लिए प्यार का मतलब भरोसा होता है, एक साथ होता है ,एक अपनापन होता है। हर इंसान का प्यार एवं प्यार करने का तरीका अलग होता है।

रूठे हुए प्यार को मनाने के टोटके
रूठे हुए प्यार को मनाने के टोटके

हर इंसान कहीं ना कहीं कभी ना कभी अपने उस प्यार से अवश्य मिलता है जिसके साथ वह बंध कर जिंदगी भर साथ निभाने की बात करता है। यह प्यार किसी को बहुत पहले मिलता है तो किसी को बहुत तपस्या करने के बाद और किसी को शादीकेबादप्यारहोताहै।

अब अगर आपका कोई प्यारा व्यक्ति जिसे आप बहुत बहुत बहुत प्यार करते हैं और जिसकेबिना आप अपने जीवन का कोई भी महत्वपूर्ण कार्य , कोईभीफैसलबिनाअपनेप्यारकेसहमतिके नहीं करते। अब अगर आपका वह प्यार आपसे किसी कारणवश रूठाहुआ है या आपका कोई बात सुनने को तैयारही नहीं है।

रूठे हुए प्यार को मनाने के उपाय

कोई गलतफहमी आपकी जिंदगी में आ पड़ी है और उस समस्या का समाधान नहीं हो रहा है तो आप परेशान मत होइए क्योंकि हम आज जिस संपर्क में बात करने जा रहे हैं वह वह शीर्षक है –“रूठे हुए प्यार को मनाने के टोटके”

इस टोटके को आप अच्छे से पढ़िए समझिए और फिर इस टोटके का अनुकरण अपने निजी जीवन में अपनाएं और आपको फल अवश्य मिलेगा आपको सफलता अवश्य मिलेगा। आपका रूठा हुआ प्यार आपकी जिंदगी में वापस फिर से आएगा उसके लिए सबसे पहले आपको यह टोटका अच्छे से पढ़ना पड़ेगा।

उपाय:-

आप सबसे पहले किसी भी दिनदो पीपल के पत्ते लेंलीजिए याद रखिएगा आप को पीपल के पत्ते को तोड़नातोड़नाहैनकि नीचे से उठाना है। बहुत लोगपीपल के पेड़ तक पहुंच नहीं पाते हैंऔर वह नीचे गिरेहुए पीपल के पत्ते को उठा लेतेहैं।

आपको पत्ते को उठाना नहीं है आपको पीपलके2 पत्ते तोड़ने हैं और उन पत्तों पर उस व्यक्ति का नाम लिखना है जिससे आप प्यार करते हैं और जो वर्तमान में आपसे रूठ कर बैठा हुआ है आपको दोनों पत्तोंपर उस व्यक्ति का नाम लिखना है।

नाम लिखने के बाद आपको एक पीपल के पत्ते को वही उसी पेड़ के सामने उल्टा करके रखना है जिस पीपल का पत्ता आप ने तोड़ा हुआ है। नाम लिखे हुए साइट को आप को उल्टा करके रखना है

रूठे हुए प्यार को मनाने का टोटका

और पत्ते को किसी भारी चीज पत्थर से ढक के रखनाहैऔरउसदिन रख कर चले आना है और दूसरे पीपल के पत्ते को जिस पर आपने अपनी प्रेमिका नाम लिखा है उस पत्ते को आप अपने घर पर ले कर आइए और अपने घर के छत के ऊपर उल्टा करके ईटा से ढक कर रख दीजिए।

आपको हर रोज सुबह जाकर उसपीपलकेपेड़परपानी चढ़ाना है जिसका पत्ता आपने नाम लिखकर प्रयोग किया है।इस तरह आपको दो-तीन दिनों के अंदर ही उस व्यक्ति का कॉल आ सकता है या फिर वह व्यक्ति आपको खुद मिलकर आपको अपनी मन की बातों को बताएगा या फिर आपसीजो भी आपके मन-मोटाव हुआ है वह व्यक्ति स्वयं दूर करेगा और फिर से आपके प्रेम संपर्क में एक नया मोड़ आएगा यानी कि आपका प्रेम संबंध पहले जैसा हो जाएगा।

प्रेम संपर्क जो होता है ना वह खट्टा और मीठा जैसा होता है।जब प्रेम होता है तब वह संपर्क बिल्कुल मीठा- मीठा सा लगता है और जब उसे संपर्क में कोई बाधा विघ्न आ जाता है तो वह संपर्क खट्टा -खट्टा सा हो जाता है।

अगर आपके रिश्ते में भी ऐसा ही खटास आ चुका है तो डरने की आवश्यकता नहीं है हम हैं ना जो आपको आपके रूठे हुए प्यार को वापस ला करके देंगेवहभी टोटकों के माध्यम से।

“ॐ क्लीं कृष्णाय गोपीजन वल्लभाय स्वाहा:”—  इस मंत्र का जाप अगर आप हर दिन 108 बार करते हैं और हर शुक्रवार को भगवान कृष्ण के मंदिर में जाकर उनकी पूजा उपासना आदि अपने हाथों से स्वयं करते हैं तो भगवान कृष्ण आपके प्रेम संपर्क में आने वाले हर बाधा विघ्नों को दूर कर देगा और आपके प्रेमी को आपके जीवन में वापस भेज देगा।

ओम कलीम कृष्णय—  यह मंत्र रूठे हुए लोगों को वापस अपनी जिंदगी में बुलाने के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध हो सकता है।मगर इस मंत्र सेसिद्धि पाने के लिए आपको अपना मन पवित्र रखना होगा

आपके मन के अंदर कोई द्वेष, कोई ईर्ष्या भावना नहीं रखनी होगी और बिल्कुल सात्विक तरीके से बिल्कुल भक्ति भाव से आप कोइस मंत्र का हर शुक्रवार को 551 बार जापकरना होगा। इस मंत्र को पढ़ने से पहले आपको सात पान के पत्ते, सिंदूर एवं पानी की आवश्यकता होगी।

पान के पत्ते से सिंदूर एवं पानी के साथ आपको ओम क्लीम कृष्णाय इस मंत्र का जाप हर शुक्रवार को करना होगा और तब तक इस मंत्र को हर शुक्रवार तक पढ़ना होगा जब तक कि आपके जीवन का वह सदस्य आपके जीवन में वापस नहीं हो जा आ जाता जो आपसे रूठ कर चला गया

यानी कि आपका प्रेम आपकी प्रेमिका आपको जब तक वापस फिर से नहीं मिल जाता है तब तक आपकोयह मंत्र पढ़ना ही होगा और बिल्कुल याद से हर शुक्रवार आपको इस मंत्र को पानी से पान के पत्ते को अच्छे से धोकर उसमें सिंदूर रख कर इस मंत्र को पढ़ना है।

रूठे हुए प्यार को मनाने का उपाय

ओम कामदेवाय विद्महे रति प्रियायै धीमहि टैनो अनंग प्रचोदयात एल—इसके अलावा अगर आप किसी व्यक्ति को मन ही मन चाहते हैं और अपने मन की बात को आप ने उनसे कह दिया लेकिन फिर भी वह व्यक्ति आपको कोई जवाब नहीं दे रहा है तो उससे भी निराश होने की कोई आवश्यकता नहींहै।इस मंत्र को आप को 11 दिन तक लगातार आधी रात को करना होगा वह भी पूरे 108 बार।

याद रखे इन 11 दिनों में आपको कोई भी मांसाहारी भोजन नहीं खाना है। बिल्कुल सात्विक तरीके से रहना है और अर्ध रात्रि को ही इस मंत्र को आप को पढ़ना है इससे यह लाभ होगा कि आप ने जिसको मन ही मन चाहा है या फिर जिस व्यक्ति को आप अपने जीवन में एक प्रेमी के रूप में या एक प्रेमिका के रूप में चाहते हैं वह व्यक्ति आपको जरूर मिलेगा और आपको सफलता अवश्य मिलेगी।