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खाली नहीं जाते काली हल्‍दी के टोटके

खाली नहीं जाते काली हल्‍दी के टोटके

काली हल्दी के प्रयोगकाली हल्दी के तांत्रिक उपायकाली हल्दी वशीकरण तंत्र- काली हल्दी एक दुर्लभ तांत्रिक प्रयोग की वस्तु है. काली हल्दी के टोटके बहुत ही चमत्कारिक प्रभाव उत्पन्न करते हैं. काली हल्दी अपने आप में ही बहुत ही चमत्कारिक औषधी है. काली हल्दी का मुख्य प्रयोग तांत्रिक उपायों में ही है  तथा इसको घरेलु कार्यों में उपयोग नही किया जाता. इसके तांत्रिक, ज्योतिषिक और आयुर्वेदिक उपाय अपने आप में एक मिसाल हैं. काली हल्दी को माँ काली की पूजा में पूजन सामग्री के रूप में भी उपयोग किया जाता है. इसके प्रयोग से घर में बुरी शक्तियों का प्रवेश संभव नही हो पाता|

खाली नहीं जाते काली हल्‍दी के टोटके
खाली नहीं जाते काली हल्‍दी के टोटके

काली हल्दी के उपाय करने से पहले काली हल्दी की पहचान करना बहुत ज़रूरी होता है. आप काली हल्दी के पौधे को देखकर इसकी पहचान कर सकते हैं. इसकी पत्तियां लम्बी होती है और उनके बीचों-बीच एक काली लकीर होती है. आप काली हल्दी को किसी पंसारी की दुकान से प्राप्त कर सकते हैं. काली हल्दी अपने तांत्रिक प्रयोगों के कारण बहुत प्रसिद्ध है. काली हल्दी से किया गया कोई भी टोटका या उपाय निश्चित ही अपना असर दिखता है. इसलिए जो भी व्यक्ति इसका प्रयोग करता है उसे इसके परिणामों के बारे में एकदम निश्चिंत हो जाना चाहिए.

छोटे बच्चे को अगर नज़र लग जाती है तो आप काले कपड़ा लेकर उसमें काली हल्दी बाँध दें. अब इसे बच्चे के सिर से 7 बार उतारा देकर नदी में बहा दें. इस प्रयोग से बच्चे पर से बुरी नज़र का साया हट जाएगा. घर में अगर कोई सदस्य बीमार है तो आप काली हल्दी का ये प्रयोग ज़रूर करें. आप दो आटें के पेड़े बनाकर उसमें गुड़, चने की दाल और पीसी हुई काली हल्दी दबाकर बीमार व्यक्ति के शरीर से 7 बार उतारा दें और किसी गाय को खिला दें. इस काली हल्दी के टोटके को लगातार 3 गुरुवार करने से बीमारी से मुक्ति मिल जाएगी.

काली हल्दी के प्रयोग

कई लोग अपने जीवन में बहुत सारा धन अर्जित करते हैं लेकिन फिर भी धन उनके घर में टिक नही पाता है. अगर आपके घर में भी ये समस्या है तो आपको ये उपाय करना चाहिए. आप शुल्क पक्ष के पहले शुक्रवार के दिन नागकेशर, सिंदूर और काली हल्दी किसी चांदी की डिबिया में रखकर माँ लक्ष्मी के चरणों से स्पर्श करा के अपनी तिजोरी में रख दें. ये प्रयोग करने से आपके घर में पैसा टिकने लगेगा. काली हल्दी के टोटके गृह दोष की समस्या से निपटने के लिए भी बहुत उपयोगी होते हैं. गुरु या शनि की बुरी स्थिति से निपटने के लिए जातक को शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से प्रतिदिन काली हल्दी पीस कर उससे तिलक करना चाहिए. इससे गृह दोष को मिटेगा ही आपके लिए धन की बचत के अवसर भी खुल जायेंगे.

अगर आपके व्यापार में पर्याप्त मेहनत करने पर भी आपको सफलता नही मिल रही है तो आप शुक्ल पक्ष में पहले गुरुवार के दिन 11 सिद्ध किये गोमती चक्र, चांदी का एक सिक्का, काली हल्दी और 11 अभिमंत्रित कौड़ियों को एक पीले रंग के कपड़े में बांध लें. अब आप इसके सम्मुख बैठकर ‘ ओम नमो भगवते वासुदेव नम:’ इस मन्त्र का 108 बार उच्चारण करें. मन्त्र का उच्चारण पूरा होने पर इस पोटली को अपने ऑफिस या व्यवसाय की जगह पर रख दें. इस काली हल्दी के टोटके से आपका व्यापार तेज़ गति से तरक्की करने लगेगा. धन की प्राप्ति के लिए आप दीवाली के दिन लक्ष्मी पूजा में काली हल्दी के साथ एक चांदी का सिक्का पीले कपड़ों में रखें. इस उपाय से आप पर माँ लक्ष्मी की कृपा वर्षभर बनी रहेगी.

काली हल्दी के तांत्रिक उपाय

अगर आपके कारखाने में मशीने बार-बार ख़राब हो रही हैं तो आप केसर और काली हल्दी को गंगा जल छिड़क कर लेप तैयार कर लें. इस लेप से मशीनों के ऊपर स्वस्तिक का चिन्ह बना दें. ऐसा करने से आपको इस समस्या से मुक्ति मिल जायेगी. मिर्गी या पागलपन से पीड़ित व्यक्ति का इलाज़ करने के लिए काली हल्दी को कटोरी में रखकर लोभान की धूप दें. अब कटोरी में से के टुकड़ा हल्दी का लेकर उसे एक धागे में पिरोकर मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति के गले में टांग दें. कटोरी की हल्दी को पीसकर चूर्ण बना लें और इसे पानी में डालकर मरीज को पिलाते रहें. इस उपाय से मिर्गी से रोगी को राहत मिलती है. इस प्रयोग को किसी शुभ मुहूर्त में करने से मिर्गी, अनिंद्रा और मानसिक रोगों से राहत मिलती है.

अगर आप चाहते हैं कि आपको अपूर्व मात्रा में धन प्राप्त हो तो आप काली हल्दी के टोटके के अंतर्गत ये उपाय गुरु पुष्य नक्षत्र में ज़रूर करें. आप एक लाल कपड़ा लें और इसमें काली हल्दी, कुछ सिक्के और सिंदूर रखकर लपेट दें. इस इस कपड़े को अपनी तिजोरी के भीतर रख दें. इस प्रयोग को करने पर आपको अपने धन में आश्चर्यजनक वृद्धि देखने को मिलेगी. काली हल्दी को वशीकरण तंत्र में भी प्रयोग किया जाता है. किसी भी व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए काली हल्दी में अपनी कनिष्ठा उंगली से रक्त निकाल कर उसमे मिला दें और उसका तिलक करें. इस तरह से तिलक लगाने वाले व्यक्ति के शरीर में अद्भुत आकर्षण की शक्ति उत्पन्न हो जाती है.

काली हल्‍दी के टोटके

अगर आप किसी स्त्री या पुरुष जिससे आप प्यार करते हैं उसे आकर्षित करना चाहते हैं तो काली हल्दी के टोटके के अंतर्गत ये प्रयोग ज़रूर करें. आप काली हल्दी, सफ़ेद चन्दन, श्वेतार्क, गोरोचन, मूल, हरसिंगार की जड़ और पान को लेकर पत्थर पर अच्छे से पीस लें. अब इसके लेप को किसी डिबिया में भरकर रख लें. जब भी आप किसी व्यक्ति पर वशीकरण करना चाहते हो, उसके सम्मुख इस लेप से तिलक लगाकर जाएँ. इस टोटके से उस व्यक्ति पर आपका वशीकरण हो जायेगा और वह आपके अनुरूप कार्य करने लगेगा.

घर को बुरी नज़र, बाधा, टोनों, टोटकों के प्रभाव से बचाने के लिए हनुमान मंदिर से लायी गयी हवन की विभूति, काली हल्दी, रक्त चन्दन, श्वेतार्क मूल आदि मिलाकर एक लेप तैयार कर लें. अब इस लेप से घर के मुख्य द्वार और बाकी सभी द्वार पर स्वस्तिक का चिन्ह बना दें. इस उपाय को करने से आपका घर हर तरह की बुरी नज़र से बचा रहेगा. काली हल्दी के उपाय हर तरह की बाधाओं से रक्षा करने तथा मनोकामना पूर्ति में सहायक होता है. आप काली हल्दी के टोटके इश्तेमाल करके अपने आर्थिक, मानसिक, शारीरिक समस्याओं का समाधान कर सकते हैं इसके अलावा घर में सुख-सम्रद्धि के लिए भी इसका प्रयोग आपको बहुत अच्छा परिणाम देगा.

भैरव तंत्र साधना

भैरव तंत्र साधना

भैरव तंत्र साधना- एक सामान्य व्यक्ति का जीवन तमाम तरह की बिध्न-बाधाओं से भरा रहता है। कुछ आपत्तियां तो कुछ विपत्तियों का सामना करते हुए गुजरती जिंदगी में कई मौके ऐसे भी आते हैं जब मुश्किलों का हल आसानी से नहीं निकल पाता है। खासकर तब जब शत्रु के द्वारा पैदा की गई समस्याएं आफत बनकर सामने आ जाती हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए किए जाने वाले उपायों में तंत्र साधना को काफी उपुक्त बताया गया है। इसका जीवन में विशिष्ट महत्व है और ये दिनचर्या को सहज-सरल बनाने में काफी मददगार साबित होते हैं। यह भैरव तंत्र साधना से संभव है, जिसमें भगवान शिव की अद्भुत और विपुल शक्ति को जागृत किया जाता है।

भैरव तंत्र साधना
भैरव तंत्र साधना

हिंदू शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव सर्वव्यापि हैं और संसार सत्व, रज और तम गुणों से मिलकर बनी हुई है। इनपर शिव का नियंत्रण रहता है। शिव में अगर आनंद और उग्रता का रूप है, तो वे सात्विक गुण से भी परिपूर्ण माने गए हैं। इन तीनों गुणों की अपार शक्ति उनके भैरव अवतार में होती है। इस बारे चली आ रही मान्यता के अनुसार भगवान शिव प्रदोषकाल में काल और कलह रूपी अंधकार से संसार की रक्षा के लिए भैरव रूप में प्रकट हुए थे। शिव महापुराण में बताया गया है- ‘‘भैरवः पूर्णरूपो हृशंकरः परात्मनः,मूढ़ास्ते वै न जानन्ति मोहिता शिवमायया।’’

इसे ही रुद्रावतार कहा गया है। रुद्रायमल तंत्र में कुल 64 भैरवों की चर्चा की गई है, लेकिन तंत्र साधन में भैरव के दस रूप ही ज्यादा उल्लेखित किए हैं और कहा गया है कि कोई भी महाविद्या तभी सिद्ध हो सकती है, यदि  भैरव के दस रूपों से संबंधित भैरव की सिद्धि नहीं कर ली जाए। हालंकि रूद्र भैरव के रूपो में 1. असितांग भैरव, 2. चण्ड भैरव, 3. रु-रु भैरव, 4. क्रोधोन्मत्त भैरव, 5. भयंकर भैरव, 6. कपाली भैरव, 7. भीषण भैरव और 8. संहार भैरव सर्वाधिक लोकप्रिय हैं। अदि शंकराचार्य ने भी अपनी पुस्तक प्रपंञ्च-सार तंत्र में भी इन्हीं आठ भैरवों की चर्चा विशेष तौर पर की है।

इस कारण भैरव के सभी स्वरूपों की पूजा फलदायी मानी गई है। भैरव का शब्दिक अर्थ भरण-पोषण करने वाला होता है। वैसे इसे अकाल मौत से बचाने वाला भी माना गया है। इनमें मुख्य तौर पर तीन रूप इस प्रकार हैंः-

  • आनंद भैरवः यह रजो गुण अर्थात राजस्व को दर्शाता है और इनमें अर्थ, धर्म व काम की सिद्धियों के फल मिलते हैं। इनके साथ भैरवी की उपासना भी तांत्रिक साधना-सिद्धि के रूप में की जाती है।
  • काल भैरवः तम गुण वाले इस स्वरूप की साधना काल-भय, संकट, दुःख और शत्रुओं से मुक्ति के लिए की जाती है। इनकी मान्यता कल्याणकारी स्वरूप में है और इनमें काल को नियंत्रित करने की अद्भुत शक्ति होती है।
  • बटुक भैरवः- इन्हें सात्विक स्वरूप के तौर पर जाना जाता है, जिनकी उपासना से सभी तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति निरोगी जीवन व्यतीत करते हुए सुख-ऐश्वर्य, पद-प्रतिष्ठा और मान-सम्मान में वृद्धि प्राप्त करता है।

भैरव तंत्र साधना

भैरव तंत्र साधना के बारे में समझने से पहले तंत्र साधना के षट्कर्म के बारे में जानना जरूरी है, जिसमें शांति कर्म, वशीकरण, स्तंभन, विद्वेषण, उच्चारण और मारण प्रयोग होते हैं। इनके अतिरिक्त मोहनं, यक्षिणी साधना और रसायन क्रिया के प्रयोग भी किए जाते हैं। ये सभी कई देवी-देवताओं की उपासना, आराधना व साधना-सिद्धि से किए जाते हैं। इन्हीं में भैरव तंत्र साधना भी है, जिसे अघोरी श्मशान में विधि-विधान के साथ संपन्न करवाते हैं। हालांकि इसे कोई भी व्यक्ति सहजता के साथ कर सकता है।

ऐसे करें भैरव साधना

प्राचीन तांत्रिक ग्रंथों में भैरव की साधना के कई तरीके बताए गए हैं, लेकिन इसके श्रेष्ठ तरीके के के अनुसार आधी रात को निम्न नियमानुसार की जानी चाहिए।

  • भैरवी की पूजा के लिए आवश्यक पूजन सामग्रियों के साथ कुछ तांत्रिक भले ही शराब को नवैद्य के रूप में महत्व देते हों, लेकिन यह दिन के अनुसार बदलता रहता है। जैसे यदि रविवार को पूजा की जाए तो चावल-दूध की खीर, सोमवार को लड्डू, मंगलवार को घी-गुड़ की बनी सामग्री, बुधवार को दही-चिवड़ा, गुरुवार को बेसन के लड्डू या हलवा, शुक्रवार को भुने हुए चने और शनिवार को उड़द के बने पकौड़े या तली हुई खाने की नमकीन सामग्रियों का भोग लगाना चाहिए।
  • पूजन की तैयारी पूरी होने पर भैरव का आवाहन् के बताए गए मंत्र का उच्चारण करें और भैरवाय नमः बोलते हुए चंदन, अक्षत, फूल, सुपारी, दक्षिणा, नवैद्य आदि के साथ धूप और दीप से आरती करें। वह मंत्र हैः- आयाहि भगवान् रुद्रो भैरवः भैरवीपतेप्रसन्नोभव देवेश नमस्तुभ्यं कृपानिधि।
  • भैरव के आवहन् के बाद काल भैरव की उपासना करते हुए बताए गए शाबर मंत्र का जाप करें। मंत्र हैः- जय काली कंकाली महाकाली के पुत काल भैरव, हुक्म है- हाजिर रहे, मेरा कहा काज तुरंत करे, काला-भैरव किल-किल करके चली आई सवारी, इसी पल इसी घड़ी यही भगत रुके, ना रुके तो तो दुहाई काली माई की, दुहाई कामरू कामाक्षा की , गुरू गोरखनाथ बाबा की आण छु वाचापुरी!!
  • भैरवी साधना किसी भी रविवार, मंगलवार या कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आरंभ किया जा सकता है। परिधान लाल वस्त्र का होना चाहिए।
  • साधना की शुरुआत करने से पहले अपने आसन के ठीक सामने भैरव का चित्र या मूर्ति को स्थापित किया जाना चाहिए। उसके सामने आपका दक्षिण दिशा की ओर होनी चाहिए। इनकी पूजा तेल का दीपक जलाकर की जाती है। इसके अतिरिक्त गुग्गल, धूप-अगरबत्ती जलाई जा सकती है।
  • भैरव पूजा के बाद अर्पित की हुई नवैद्य सामग्री को पूजा-स्थल से बाहर नहीं ले जाना चाहिए, बल्कि उसे प्रसाद के तौर पर उसी समय सेवन करना चाहिए।
  • मंत्र जाप के लिए काली हकीक के माला का प्रयोग होना चाहिए।
  • विभिन्न उपायों के कुछ मंत्र बहुत उपयोगी होते हैं, जिनका तुरंत लाभ मिलता है। इन्हीं में एक भय नाशक मंत्र इस प्रकार हैः-ऊँ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय भयं हन्! इस मंत्र का दक्षिण दिशा मुंह कर छह माला जाप करना चाहिए।
  • शत्रु नाशक मंत्रः ऊँ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय शत्रु नाशं कुरु! इस मंत्र को नारियल को काले कपड़े में लपेटकर भैरवी को अर्पित करना चाहिए। गुग्गल धूनी जलाते हुए पांच माला का जाप करना चाहिए।
  • जादू-टोना नाशक मंत्रः ऊँ भं भैरवाय अप्द्दुदारानाय तंत्र बाधाम नाशय नाशय! इस मंत्र का सात माल जाप करना चाहिए। इससे पहले आटे के तीन दिये जलाकर कपूर से आरती करनी चाहिए।
  • प्रतियोगिता-परीक्षा में सफलता का मंत्रः ऊँ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय साफल्यं देहि स्वाहाः! इस मंत्र का जाप बेसन का हलवा प्रसाद के रूप में भोग लगाने के बाद अखंड दीप जलाएं और उसे पूर्व की ओर मुख कर आठ माला का जाप करें।
  • बच्चों की सुरक्षा का मंत्रः ऊँ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय कुमारं रक्ष रक्ष! इस मंत्र का छह माला जाप मीठी रोटी का भोग लगाकर पश्चिम की ओर मुंह कर किया जाना चाहिए।
  • लंबी आयु मंत्रः ऊँ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय कुमारं रु रु स्वरूपाय स्वाहाः! इस मंत्र का पांच माला जाप पूरब की ओर मुख करना चाहिए। गरीबों को भोजन करवाएं।
  • बल-वृद्धि देने वाला मंत्रः ऊँ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय शौर्य प्रयच्छ! इस मंत्र का सात माला जाप काले कंबल पर बैठकर करना चाहिए।

लव मैरिज प्रॉब्लम सलूशन

लव मैरिज प्रॉब्लम सलूशन

लव मैरिज करने के उपाय, लव मैरिज के योग, लव मैरिज सफल होने के लिए टोटके- दुनिया की सबसे सुखद अनुभूति है प्रेम| यदि जीवनसाथी के रूप में आपको आपका प्यार मिला जाता है, तो उसके बाद बाकी सभी ख्वाहिशें खामोशी ओढ़ लेती हैं| उसके बाद फिर कुछ भी नज़र नहीं आता| प्यार योजना बनाकर अथवा रणनीति बनाकर नहीं किया जाता, इसलिए असल समस्या तब उपस्थित होती है जब प्रेमी युगल विवाह सूत्र में बंधना चाहते हैं| उस वक्त परिवार, समाज, जाति, पद प्रतिष्ठा जैसी तमाम रुकावटें दीवार की तरह बीच में खड़ी हो जातीं हैं| इन परिस्थितियों से निबटने के लिए कुछ ज्योतिषीय उपायों को आजमाया जा सकता है| किसी भी उपाय को आजमाने से पूर्व इस बात की भी पड़ताल करें, कि आपकी कुंडली में लव मैरिज के योग हैं या नहीं|

लव मैरिज प्रॉब्लम सलूशन

लव मैरिज प्रॉब्लम सलूशन

लव मैरिज के योग

ग्रह नक्षत्रों के निश्चित योग में लव मैरिज होने की स्थिति निर्मित होती है| कुछ प्रमुख स्थितियाँ निम्नलिखित हैं –

  • ज्योतिष विद्या में पंचम भाव प्रेम का तथा सप्तम भाव विवाह का माना जाता है| इसलिए यदि कुंडली में पंचम भाव का संबंध सप्तम भाव भावेश से हो|
  • यदि नवम भाव भावेश का प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष संबंध पंचम तथा सप्तम भाव के स्वामी से संबंध बने तो लव मैरिज के लिए पारिवारिक रूप से अनुकूल स्थिति निर्मित हो जाती है|
  • यदि शुक्र लग्न स्थान पर बैठा हो तथा चंद्र कुंडली में पंचम स्थान पर बैठा हो |
  • सप्तम भाव के स्वामी से राहु-केतु का संबंध हो |
  • वृष तथा तुला राशि में राहु, मंगल तथा सप्तमेश तीनों उपस्थित हों |
  • यदि लग्नेश चंद्र हो अथवा सप्तम भाव में चंद्र के साथ सप्तमेश हो |
  • यदि शुक्र सप्तम भाव के स्वामी से संबन्धित होकर पांचवे स्थान पर बैठा हो|
  • शुक्र तथा मंगल की दृष्टि आपस में मिल रही हो|
  • पंचम अथवा सप्तम भाव में यदि सूर्य एवं हर्षल की युति हो|

 

लव मैरिज करने के उपाय

जब योग सही नहीं होते, तब लव मैरिज में नाना प्रकार की समस्याएँ खड़ी हो जातीं हैं| परंतु, भारतीय ज्योतिष शास्त्र में कठिन से कठिन समस्या के लिए उपचार विद्यमान है| यदि आपकी कुंडली में उपर्युक्त योग नहीं भी है, तो आप निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं –

  • दोषपूर्ण कुंडली के कारण लव मैरिज न हो रही हो, तो लाल किताब के अनुसार किसी भी मंदिर में पान तथा बांसुरी चढ़ाएँ|
  • शिवमंदिर में जाकर शहद से रुद्राभिषेक करें|
  • अपने प्रेमी को काली अथवा नुकीली वस्तु भेंट में न दें, इससे संबंध बिगड़ता है|
  • किसी भी धार्मिक स्थान पर श्वेत वस्त्र धारणकर लाल गुलाब व इत्र चढ़ाएँ|
  • लड़कों को पन्ना धारण करना चाहिये|
  • प्रेयस तथा प्रेयसी शुक्रवार तथा पूर्णिमा के दिन अवश्य मिलें|
  • प्रेयस तथा प्रेयसी राधा-कृष्ण मंदिर में जाकर पूजा करे| प्रेयस लाल गुलाब की माला राधा जी के गले में डालकर 14 इलायची का भोग लगाए तथा प्रेयसी गुलाब के फूलों की माला कृष्ण के गले में डाले तथा एक मुट्ठी मिश्री का भोग लगाए| राधा कृष्ण से प्रार्थना करे तथा दोनों अपना-अपना प्रसाद तथा माला आपस में अदल-बदल ले| दोनों इस प्रसाद को अपने-अपने घर के मंदिर में रख दे तथा प्रसाद परिवार के सदस्यों को खिलाकर खुद भी खा ले| इस पूजा से राधा-कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है तथा शादी बिना किसी अड़चन के हो जाती है|
  • यदि परिवार का कोई सदस्य आपके लव मैरिज के खिलाफ है तो उसके शयन कक्ष में बिस्तर के पास तांबे से निर्मित छोटा सा कछुआ रखे दें तथा मन ही मन प्रार्थना करें कि आपकी शादी में वह अवरोध उत्पन्न न करे|
  • किसी भी शुक्रवार को एक शहद की बोतल तथा चांदी का पत्तर लें| उस पत्तर पर अपना, अपनी प्रेयस/प्रेयसी, परिवारजन का नाम लिखेँ तथा उस शहद की बोतल में डालकर ढक्कन कसकर बंद कर दें| बोतल को किसी अखबार के पन्ने में अच्छी तरह लपेटकर अपने कपड़ों की अलमारी में रख दें| इससे समस्त ग्रह दोष समाप्त होते हैं|
  • यदि मंगल दोष के कारण लव मैरिज में दिक्कतें आ रही हो, तो प्रत्येक शनिवार चंडिका स्तोत्र का पाठ करें|

 

लव मैरिज हेतु मंत्र व आराधना

कुछ विशेष मंत्र व पूजा से भी लव मैरिज में आ रही कठिनाइयों को दूर किया जा सकता है| आप अपनी सुविधा से निम्नलिखित में से किसी एक का चयन कर सकते हैं –

  • श्री कृष्ण की आराधना लव मैरिज में आ रही तमाम बाधाओं को नष्ट कर देती है| इसलिए, शुक्रवार के दिन राधा-कृष्ण मंदिर अथवा मूर्ति के समक्ष निम्नलिखित मंत्र का जाप 108 बार करें –

केशवी केशवाराध्या किशोरी केशवस्तुता,

रूद्र रूपा रूद्र मूर्ति: रूद्राणी रूद्र देवता। अथवा

ॐ क्लीं कृष्णाय गोपीजन वल्लभाय स्वाहा:

तीन माह के भीतर समस्त बाधाएँ दूर हो जाएंगी और आप प्रेमी संग विवाह सूत्र में बंध जाएंगे|

  • स्फटिक की माला पर विष्णु-लक्ष्मी जी की मूर्ति के समक्ष ॐ लक्ष्मी नारायणाय नमः’’ मंत्र का जाप तीन बार करें|
  • शिव जी की प्रतिमा के समक्ष पाँच नारियल रखकर रुद्राक्ष की माला पर ‘‘ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नमः मंत्र का जाप पाँच माला करें| जाप के उपरांत नारियल किसी शिव मंदिर में चढ़ा दें| सभी अड़चनें दूर हो जाएंगी|
  • किसी शिव मंदिर में शिवलिंग पर दूध मिश्रित जल से अभिषेक करें तथा ॐ सोमेश्वराय नमः मंत्र का जाप एक माला नित्य रुद्राक्ष की माला पर करें|
  • यदि प्रेमी-प्रेमिका के मध्य मनमुटाव हो गया हो तथा विवाह की स्थिति नहीं बन रही हो, तो ॐ ज्लौम रहौं क्रोम उत्तरनाथ भैरवाय स्वाहा: मंत्र का जाप करें तथा भैरव देव को मीठी रोटी का भोग लगाएँ|

लव मैरिज सफल होने के लिए टोटके

  • शनिवार के दिन तिल अथवा सरसो के तेल का दीपक लगाकर सुंदरकांड का पाठ करें|
  • नेपाली गौरी-शंकर रुद्राक्ष स्वेत स्वर्ण में पिरोकर धारण करें|
  • पूर्णिमा के दिन वट वृक्ष की एक सौ आठ परिक्रमा करें|
  • अपनी सबसे छोटी उंगली में पुखराज, जरकिन अथवा हीरा तीन रत्ती से अधिक धारण करें|
  • प्रति माह प्रदोष तिथि में देवी पार्वती की विधिवत पूजा करें|
  • प्रेयस अथवा प्रेयसी को हीरा भेंट करें| हीरा यदि न खरीद सकें तो अमेरिकन डायमंड भी दिया जा सकता, परंतु वह नीला अथवा काला नहीं होना चाहिए|
  • प्रेयस अथवा प्रेयसी एक दूसरे को पीला, लाल गुलाब अथवा कोई भी वस्तु भेंट करे|
  • विधि-विधान से सोलह सोमवार व्रत रखें|
  • देवी दुर्गा की विधिवत पूजा अर्चना के पश्चात लाल ध्वजा चढ़ाएँ|