दत्तात्रेय तंत्र वशीकरण प्रयोग

दत्तात्रेय तंत्र वशीकरण प्रयोग

दत्तात्रेय तंत्र वशीकरण प्रयोग- प्रभु दत्तात्रेय का रूप साक्षात भगवान शंकर से मिलता है। महाराज दत्तात्रेय की आराधना बहुत ही फलदायक औरशीघ्र फल देने वाली है। महाराज दत्तात्रेय तीनो ईश्वरीय शक्तियो से समाहित आजन्म ब्रह्मचारी, अवधूत, और दिगम्बर रहे थे, वे कण–कण मेंसमाए हैं और अपने भक्तों की किसी भी प्रकार के संकट में बहुत जल्दी सुध लेते हैं, यदि मन, कर्म और वाणी से महाराज दत्तात्रेय की उपासना कीजाए तो किसी भी कठिनाई का बहुत ही सरलता से अंत हो जाता है।

दत्तात्रोय तंत्र वशीकरण प्रयोग
दत्तात्रोय तंत्र वशीकरण प्रयोग

भगवान दत्तात्रेय की उपासना विधि

श्री दत्तात्रेय जी की मूर्ति, चित्र अथवा यंत्र को लाल कपडे पर स्थापित करें और चन्दन लगाकर, फूल चढाकर, नैवेद्य चढाकर धूप की धूनी देकर, आरती उतारकर पूजा करें। पूजा करते समय पहले स्तोत्र को ध्यान से पढ़ें और फिर मन्त्र का जाप करें। उनकी उपासना का प्रभाव तुरंत ही प्रारंभ होजाता है और वे शीघ्र ही भक्त को अपनी उपस्थिति का आभास देने लगते हैं। भक्तों को प्रायः साधना के समय अचानक स्फूर्ति के आने से उनकीउपस्थिति का आभास होता है। भगवान दत्तात्रेय बड़ हीे दयालू और सरल हैं, जब भी भक्त संकट में पड़ने पर उन्हें सहायता के लिए पुकारतें हैं वे तुरंतही सहायता के लिये अपनी शक्ति को भेजते है।

भगवान दत्तात्रेय की उपासना में विनियोग विधि

पूजा की शुरूआत में भगवान श्री दत्तात्रेय का आवाहन किया जाता है। इसके लिए एक साफ बर्तन में पानी लेकर पास में रखें और बायें हाथ में एकफूल और चावल के दाने लेकर इस प्रकार से विनियोग करें –

‘‘ष्ऊँ अस्य श्री दत्तात्रेय स्तोत्र मंत्रस्य भगवान नारद ऋषिरू अनुष्टुप छन्दरू,श्री दत्त परमात्मा देवतारू, श्री दत्त प्रीत्यर्थे जपे विनोयोगरूष’’

यह उच्चारण करके दाहिने हाथ में फूल और चावल लेकर भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति, चित्र या यंत्र पर सिर को झुकाकर चढ़ाएँ। इसके पश्चात हाथों कोपानी से साफ कर लें और दोनों हाथों को जोडकर उनके लिये जप स्तुति करें। जो इस प्रकार से है –

‘‘ष्जटाधरं पाण्डुरंगं शूलहस्तं कृपानिधिम। सर्व रोग हरं देव,दत्तात्रेयमहं भज’’

अपने भक्तों पर आने वाले संकटों को दत्त भगवान तुरंत दूर करते हैं और उनके जीवन में खुशहाली लाते हैं। दत्तात्रेय जयंती के दिन इन मंत्रों कास्फटिक की माला से हर रोज 108 बार मंत्र जाप करने से मनुष्य जीवन के समस्त कष्ट और संकट शीघ्र ही दूर  हो जाते हैं।

तांत्रोक्त दत्तात्रेय मंत्र–   ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः

यह भगवान दत्तात्रेय का प्रिय दत्त गायत्री मंत्र है –

‘‘ॐ दिगंबराय विद्महे योगीश्रारय् धीमही तन्नो दतरू प्रचोदयात’’

एक समय ऐसा था, जब वैदिक कर्मों का, धर्म का तथा वर्णव्यवस्था का लोप हो गया था। उस समय भगवान दत्तात्रेय ही थे, जिन्होंने इन सबकापुनरूद्धार किया था।

दत्तात्रेय तंत्र में यह जिक्र भी आता है कि भगवान् शिव ने स्वयं ऋषि दत्तात्रेय को वरदान दिया था कि मैं स्वयं तीन अवस्थाओ मे भक्तों  के साथरहूँगा

  • जहाँ किसी की स्त्री का हरण हुआ हो
  • जहाँ किसी का किसी ने धन चुराया या कब्ज़ा किया हो
  • किसी ने किसी दूसरे की जमीन को अनधिकृत जप्त किया हो

उस समय मैं उस भक्त के साथ उस दुष्ट के विरुद्ध स्वयं विराजमान होता हूँ परंतु जब कोई अपनी शक्ति का दुरूपयोग या अनैतिक कर्म करे, तो मैंउस साधक का विनाश भी कर सकता हूँ। इसलिए इस लिए तंत्र विद्या का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए केवल बहुत जरुरी होने पर ही इस काप्रयोग करना चाहिए।

दत्तात्रेय तंत्र वशीकरण प्रयोग –

किसी भी बुधवार की रात को पीले वस्त्र पहनकर पीले रंग के आसन पर बैठें और आपका मुख उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए। अपने सामने एकचैकी पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर दत्तात्रेय यंत्र रखें और उस पर सिंदूर रखें। घी का एक दीपक जलाएँ और मूल मंत्र का रुद्राक्ष माला से 11 मालाका जप करें। जप के पूरा होने पर सिंदूर को एक चाँदी की डिबिया में संभालकर रख लें। अब जब भी आपको किसी व्यक्ति को अपनी बात मनवानी होया कोई काम करवाना हो, तो मंत्र का 11 बार जप करके चाँदी की डिबिया में रखे सिंदूर को अपने माथे पर लगाकर उस व्यक्ति के पास चले जाएँ, आपका कार्य अवश्य ही सफल होगा।

जिन महिलाओं के पति गलत संगत में पड़ गए हों, और उन्हें सुधारने के सभी उपाय विफल हो चुके हों, वे महिलाएँ इस सिंदूर को अपनी माँग में भरें याइसका टीका लगाएँ। उनका पति अवश्य ही सही मार्ग पर आ जाएगा। बस इस साधना को पूर्ण विश्वास और धैर्य के साथ सही प्रकार से विधिपूर्वककरें।

मंत्र – ‘‘ॐ श्रीं हृीं क्लीं ग्लौं द्राम दत्तात्रेयाय नमः’’

तंत्र को कामना की शीघ्रता से सिद्धि करने वाला कहा जाता है। भगवान् दत्तात्रेय को अवतार माना गया है। कलियुग में अमर और प्रत्यक्ष देवता के रूपमें भगवान् दत्तात्रेय का स्थान हमेशा प्रशंसित एवं प्रतिष्ठित रहेगा। दत्तात्रेय तंत्र देवाधिदेव महादेव शंकर के साथ महर्षि दत्तात्रेय का एक संवाद पत्रहै।

  • मोहन प्रयोग– ‘‘तुलसी–बीजचूर्ण तु सहदेव्य रसेन सह। रवौ यस्तिलकं कुर्यान्मोहयेत् सकलं जगत’’।

तुलसी के बीज के चूर्ण को सहदेवी के रस के साथ पीसकर तिलक के रूप में उसे माथे पर लगाएं। ऐसा करने पर उसको देखने वाला मोहित हो जाता है।

  • ‘‘हरितालं चाश्वगन्धां पेषयेत् कदलीरसे। गोरोचनेन संयुक्तं तिलके लोकमोहनम’’

हरताल तथा असगन्ध को केले के रस के साथ पीसकर उसमें गोरोचन मिलाएं तथा उसका मस्तक पर तिलक लगाएं तो उसको देखने से सामने वालाव्यक्ति मोहित हो जाता है।

  • ‘‘श्रृङ्गि–चन्दन–संयुक्तो वचा–कुष्ठ समन्वितः। धूपौ गेहे तथा वस्त्रे मुखे चैव विशेषतः। राजा प्रजा पशु–पक्षि दर्शनान्मोहकारकः। गृहीत्वामूलमाम्बूलं तिलकं लोकमोहनम।’’

काकडा सिंगी, चंदन, वच और कुष्ठ इनको मिलाकर चूर्ण बना लें और इससे बनी धूप से अपने शरीर तथा वस्त्रों पर धूप देने तथा इसी चूर्ण से तिलकलगाने पर राजा, प्रजा, पशु और पक्षी उसे देखने से ही मोहित हो जाते हैं। इसी प्रकार ताम्बूल की जड़ को घिस कर उसका तिलक करने से लोगों कोमोहन होता है।

  • ‘‘सिन्दूरं कुङ्कुमं चैव गोरोचन समन्वितम। धात्रीरसेन सम्पिष्टं तिलकं लोकमोहनम’’

सिन्दूर, केशर, और गोरोचन इन तीनों को आंवले के रस में पीसकर तिलक लगाने से लोग मोहित हो जाते हैं।

  • ‘‘सिन्दूरं च श्वेत वचा ताम्बूल रस पेषिता। अनेनैव तु मन्त्रेण तिलकं लोकनोहनम’’

सिन्दूर और सफेद वच को पान के रस में पीस कर नीचे दिए गए मंत्र से तिलक करें तो लोग मोहित हो जाते हैं।

  • अपामार्गों भृङ्गराजो लाजा च सहदेविका। एभिस्तु तिलकं कृत्वा त्रैलोक्यं मोहयेन्नरः।

अपामार्ग–ओंगा, भांगरा, लाजा, धान की खोल और सहदेवी इनको पीस कर उसका तिलक करने से व्यक्ति वांछित व्यक्ति को मोहित करने में सफलसहता है।

बॉस वशीकरण

बॉस वशीकरण

बॉस वशीकरण टोटकेबॉस को वश में करनाबॉस को इम्प्रेस कैसे करे- किसी भी नौकरी में अगर बॉस अच्छा मिल जाए तो फिर ऑफिस की 90 प्रतिशत समस्याएँ अपने आप ही हल हो जाती हैं. लेकिन अच्छा बॉस मिलना एक बहुत ही कठिन काम होता है. हर बॉस चाहता है कि वह आपने ऑफिस के कर्मचारियों से ज़्यादा से ज़्यादा काम ले. एक बॉस को अपने कर्मचारी से बहुत ज़्यादा उम्मीदें होती है. ऐसे में एक बॉस से हमेशा अच्छा व्यवहार और सहयोग मिले ये ज़रूरी नही है. अगर आपके ऑफिस में भी आपको अपने बॉस के साथ तालमेल बिठाने में या उनका सहयोग पाने में परेशानी हो रही है तो आप बॉस वशीकरण का सहारा ले सकते हैं|

बॉस वशीकरण
बॉस वशीकरण

बॉस वशीकरण की सहायता से आप बहुत ही आसानी से अपने बॉस का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं और नौकरी में उन्नति और वेतन, छुट्टी, बोनस आदि में विशेष लाभ प्राप्त कर सकते हैं. बॉस का सहयोग और समर्थन आपको अपनी नौकरी में उच्चपद प्राप्त करने में बहुत उपयोगी होता है. आप यहाँ दिए गए बॉस वशीकरण उपायों से अपने काम आसन कर सकते हैं|

अगर आप चाहते हैं कि आपका बॉस आपके वश में रहे तब होली के एक दिन बाद ये टोटका करें. होली के अगले दिन बॉस की एक फ़ोटो लेकर उसे पर थोड़ा सा शहद और घी लगा दें. अब एक कुल्लड़ लेकर इसमे थोड़ा दही डाल दें और थोड़ी सी मात्रा में होलिका की राख को भी इसमें डाल दें. अब इस कुल्लड़ को फ़ोटो के ऊपर रख दें. इसके बाद इसे किसी लाल रंग के कपड़े में बांधकर किसी ऊँचे स्थान पर रख दें. इस टोटके के प्रयोग से आपके बॉस पर आपका वशीकरण हो जायेगा और बॉस का व्यवहार आपके प्रति काफी बेहतर हो जायेगा|

आप बॉस वशीकरण के लिए ये एक छोटा सा टोटका ज़रूर करें. आपको अपने बॉस का हस्ताक्षर किया हुआ कोई भी कागज लेना होगा. जहाँ पर आपके बॉस ने हस्ताक्षर किया है वहां पर काले या लाल रंग की स्याही वाले पेन से गोल-लोग घेरा बनाते जाएँ और कल्पना करें कि बॉस को आप मोटे रस्सों से जकड़ रहे हैं. अब इस कागज को कहीं कीचड़ में गाड़ दें या फिर कहीं गड्डा करके उसके अंदर दबा दें. कुछ ही दिनों में आप अपने बॉस के व्यवहार में आश्चर्यजनक बदलाव देखेंगे|

बॉस को इम्प्रेस कैसे करे?

कौन नही चाहता कि बॉस उसकी बात को महत्व दे और उसकी बात से सहमत हो. आप एक छोटा का बॉस वशीकरण का उपाय करें. जब भी बॉस से आपकी मीटिंग हो आप घर से कुछ सरसों या राई के दाने लायें और बॉस जिस कुर्सी पर बैठते हो उसके ऊपर डाल दें. इस छोटे से उपाय से आपका बॉस आपसे सहमत होगा और आपके पक्ष में निर्णय लेने लगेगा| अगर आपके ऑफिस में कोई काम बिगड़ जाता है तो बॉस का गुस्सा होना एकदम स्वाभाविक है. कई बार किसी न किसी को बॉस के कोप का भाजन बनना पड़ता है. अगर आप चाहते हैं कि आप बॉस के गुस्से बचे रहें तो ये प्रयोग करें. आप पांच लौंग और एक नींबू लेकर उसे अपने रुमाल में बाँध लें और ऑफिस जाते समय इसे आपने जेब के अंदर रख लें. इस प्रयोग से आपकी गलती होने पर भी बॉस आपको ज़्यादा कुछ नही कह पाएंगे और माफ़ कर देंगे|

बॉस वशीकरण टोटके

आप शुक्ल पक्ष में रविवार के दिन बॉस वशीकरण का ये प्रयोग करें. इस दिन सवेरे स्नान आदि से निपट कर 5 लौंग लेकर अपने शरीर पर ऐसी जगह रखें जहाँ पर आपको पसीना अधिक आता है. अब इन लौंग को धूप में सूखा लें और पीसकर पाउडर बना लें. इस पाउडर को चाय, पानी, दूध या शरबत में मिलाकर अपने बॉस को पिला दें. इस छोटे से टोकते से बॉस को वश में करने का उपाय पूरा हो जाएगा. इसके प्रयोग के बाद आपका बॉस हर तरह से नौकरी में आपकी मदद के लिए प्रयास करने लगेगा|

अगर आपकी ये चाहत है कि आप अपने ऑफिस में चर्चित और बॉस के विश्वास पात्र बन जाएँ तो ये प्रयोग 21 दिन तक लगातार करें. आप हल्दी, गौमूत्र, पान का रस, सरसों, गौ-घृत, को एकसाथ मिलाएं और उसका अपने मस्तक पर तिलक करने के बाद ही ऑफिस जाएँ. इस प्रयोग को प्रतिदिन 21 दिन तक दोहराने पर बॉस और पूरे ऑफिस पर आपका वशीकरण हो जायेगा और आपकी तरक्की और उन्नति ने नए रास्ते खुलने लगेंगे|

आप बॉस को किसी दिन घर पर आने के लिए निमंत्रण दें. जब आपका बॉस आने के हाँ कर दें तो एक रात पहले गाय के दूध लेकर इसमें 5 इलायची, 5 लौंग और पांच सुपारी भिगो दें. जब बॉस आपके घर आये तो उन्हें खीर बनायें और उसमे ये लौंग, इलायची और सुपारी को दांत से चबाकर डाल दें. जब आपका बॉस इसे खायेगा तो उस पर आपका पूर्ण वशीकरण हो जायेगा| अगर आप शीघ्र प्रमोशन चाहते हैं तो उसके लिए ये उपाय करें. आप लगातार 40 दिनों तक हर रोज अपने बॉस का नाम लेकर एक लौंग लें और उसे जलाएं. इस टोटके को करने से आप देखेंगे कि आपका बॉस आपकी हर बात में सहमति दिखाने लगा है. इस प्रयोग से आपके प्रमोशन के अवसर बढ़ जायेंगे|

बॉस को वश में करना

अगर आपकी कुंडली में वृहष्पति कमजोर है तब आपको इसको मज़बूत करने का उपाय करना चाहिए. वृहष्पति को मज़बूत करने पर आपके अपने बॉस से संबंध सकारात्मक हो जाते हैं. आप प्रतिदिन स्नान आदि करने के बाद केसर से तिलक करें. इसके अलावा केले के सेवन से भी वृहष्पति की स्थिति मज़बूत होती है| अगर आपका बॉस कोई स्त्री है तो आपको उसे अपने पक्ष में करने हेतु इस बॉस वशीकरण टोटके को करना चाहिए. स्त्री बॉस के वशीकरण के लिए एक चांदी गिलास में थोड़ा सा पानी लेकर पी लें. इसके बाद अपनी स्त्री बॉस का नाम लेकर थोड़ा सा कपूर जला दें. इस आसान से प्रयोग से आपकी महिला बॉस पर आपके वशीकरण का प्रभाव हो जायेगा|

अब जानते हैं कि बूढ़े बॉस को इम्प्रेस कैसे करे. अगर आपका बॉस बूढ़ा है तो आपको ये आसन सा बॉस वशीकरण का टोटका करना होगा. आप एक शनि यंत्र लेकर इसकी धुप-दीप से पूजा करें और इसे अपने गले में पहन लें. इस आसन से उपाय से आपका बूढ़ा बॉस आपके वश में हो जायेगा. आप बूढ़े बॉस के वशीकरण के लिए शनि को प्रसन्न करने का हर संभव प्रयास करें. शनिवार के दिन मदिरा मांस से दूर रहें| कार्यालय में बॉस का सहयोग आपकी तरक्की के लिए बहुत ज़रूरी होता है. एक सहयोगी बॉस आपके लिए सुनहरा भविष्य और प्रसिद्धि के द्वार खोल सकता है. इसलिए यहाँ दिए गए बॉस वशीकरण के टोटके और उपायों को अवश्य आजमायें|

गोरखनाथ वशीकरण सिद्धि

गोरखनाथ वशीकरण सिद्धि

गोरखनाथ मंत्र साधनागोरखनाथ शाबर मंत्रगुरु गोरखनाथ के उपाय- गोरखनाथ वशीकरण सिद्धि तीव्र असर करने वाली तंत्र विद्या के अंतर्गत आती है. इस विद्या को उपयोग में लाने से पहले आवश्यक दिशा-निर्देशों को जान लेना ज़रूरी है. प्राचीन तंत्र विद्या में भगवान शिव के मुख से निकले मंत्रो को भी शामिल किया गया है. इन मन्त्रों का असर तीव्र होता है. इसलिए गोरखनाथ विद्या का प्रयोग करने वाले को सावधानियां बरतनी चाहिए.

गोरखनाथ वशीकरण सिद्धि
गोरखनाथ वशीकरण सिद्धि

गोरखनाथ वशीकरण सिद्धि एक प्राचीन तंत्र विद्या है. इसका प्रयोग करके कोई भी साधक अपनी ज़िन्दगी में सफलता प्राप्त कर सकता है. इस वशीकरण साधना में किसी व्यक्ति को सम्मोहित करके उससे अपने अनुरूप काम करवाना जा सकता है.

गुरू गोरखनाथ चैरासी सिद्धियों में प्रमुख माने जाते हैं. इनका दूसरा नाम गोरक्षनाथ भी है. वे योगी, अवधूत, और सिद्ध हठयोगी पुरुष माने जाते हैं. गोरखनाथ वशीकरण सिद्धि में कुछ ख़ास मंत्र दिए गए हैं जिनके प्रयोग से आश्चर्यजनक से परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं. इनके द्वारा सिद्ध किया गया शाबर मंत्र अपने आप में बहुत असरदार है.

गुरु गोरखनाथ ने कई शाबर मन्त्रों की रचना की थी. नाथपंथ के अनुसार भगवान शिव को आदिनाथ भी कहा जाता है. उन्होंने तंत्र-मंत्र की विद्या भीलों को प्रदान की थी. भीलों से ये विद्या मत्स्येन्द्रनाथ तक और फिर गुरु गोरखनाथ तक पहुंची.

गोरखनाथ वशीकरण सिद्धि में शक्तिशाली शाबर मन्त्रों का प्रयोग करने से पहले गुरु गोरखनाथ को मन्त्रों से प्रसन्न करना बहुत फायदेमंद होता है.

गोरखनाथ वशीकरण मंत्र:

सत नमो आदेश! गुरूजी को आदेश!

ॐ गुरूजी!

डार शाबर बर्भर जागे, जागे अढ़ैया और बराट

मेरा जगाया न जाग,

 तो तेरा नरक कुंड मं वास!

दुहाई शाबरी माई की!

दुहाई शाबरनाथ की!

आदेश गुरु गोरख की!!

 

इस मंत्र के लिए एक गोबर का कंडा कर सुलगाएं. अब इस पर गुगुल डालें और इस मंत्र का उच्चारण करें. इस मंत्र को जाग्रत करने के लिए इसका 108 बार उच्चारण करें. इस विधि के अनुसार लगातार 21 दिनों तक मन्त्रों का जाप करना चाहिए.

गोरखनाथ विशिकरण सिद्धि में किसी मंत्र के द्वारा किसी को अपने वश में किया जा सकता है. वशीकरण के लिए इस मंत्र का प्रयोग किया जाता है.

गोरखनाथ वशीकरण मंत्र:

ओम एक नमक रमता माता, दूसरा नमक विरह से आता।

तीसरा नमक औरी-बौरी, चैथा नमक रहै कर जौरी।

यह नमक अमुक 1 खाए, अमुक 2 को छोड़ दूसरा नहीं जाए।

दुहाई पीर औलिया की, जो कहे सो सुने।

जो मांगे सो देय। दुहाई गौरा पर्वती की।

दुहाई कामख्या की। दुहाई गुरू गोरखनाथ की।

इस मंत्र में अमुक1 और अमुक2 आया है. इसके लिए जब आप मंत्र का उच्चारण करें तो अमुक1 की जगह वशीकरण करने वाले का नाम लें तथा अमुक2 की जगह जिसको वश में करना है उसका नाम लें. इस मंत्र को मुख्य रूप से किसी स्त्री को वश में करने के लिए प्रयोग किया जाता है.

गोरखनाथ वशीकरण सिद्धि से जीवन साथी का वशीकरण करने के लिए पाने के पत्ते के डंठल को घिस कर तिलक लगायें. इसके प्रयोग से आपके जीवनसाथी या प्रेमी पर आपका आकर्षण सदैव बना रहेगा.

गोरखनाथ वशीकरण सिद्धि में बिगड़े हुए पति को रास्ते पर लाने के लिए भी मंत्र है. अगर किसी स्त्री का पति व्यभिचारी है और दूसरी स्त्रियों के पीछे पागल रहता है तो ये मंत्र उपयोगी होता है.

मंत्र: ओम काम मालिनी ठः ठः स्वाहा!

ओम र्हीं क्लीं कलिकुंड स्वामिनी अमृत वक्र अमुकं जुमभय मोहय स्वाहा!!

अगर आप एकसाथ कई लोगों को अपने वशीभूत करना चाहते हैं तो इसके लिए भी गोरखनाथ मंत्र साधना में मंत्र उपलब्ध हैं. अगर आप चाहते हैं हर कोई आपकी बात को महत्व दे और आपकी बातों की उपेक्षा न करे तो इस मन्त्र का जाप 108 बार करें.

गोरखनाथ वशीकरण मंत्र –

ओम नमो भगवती मातंगेश्वरी सर्व मन रंजनी सर्वषान महातगे कुवरी के नंद नंद जिव्हे सर्व जगत वश्य मानय स्वाहा!!

गुरु गोरखनाथ के उपाय में ये मंत्र भी बहुत कारगर है. इस मंत्र का उपयोग किसी भी वशीकरण के प्रभाव को नष्ट कर देता है. वशीकरण का प्रभाव नष्ट करने के लिए सात नदी या सात कुओं से पानी ला कर वशीभूत व्यक्ति को इस मंत्र का उच्चारण करते हुए नहलाया जाता है. यह उपाय बिमारियों से भी मुक्ति दिलाता है.

गोरखनाथ वशीकरण मंत्र –

ओम वज्र में कोठा, वज्र में ताला, वज्र में बंध्या दस्ते द्वार,

तहां वज्र का लग्या किवाड़ा!

वज्र में कील, जहां से आया तहां से जावे,

जाने भेजा, जाकूं खाए, हमको फेर न सूरत दिखाए!

हाथ कुं, नाक कुं सिर कुं पीठ कुं कमर कुं छाती कुं!

जो जोखो पहुंचाए, तो गुरु गोरखना की आज्ञा फुरे!

मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, फुरो मंत्र इवरोवाचा!

गोरखनाथ वशीकरण सिद्धि में एक अन्य बहुत ही सिद्ध मंत्र होता है. इस मन्त्र के लिए कोई विशेष विधि करने की आवश्यता नही होती है. इस मंत्र का जाप 31 बार रात के समय करना चाहिए. यह मंत्र इस प्रकार है:

ॐ नम: महादेवी सर्वकार्य सिद्धिकर्णी जो पाती पुरे,

ब्रह्म: विष्णु महेश तीन देवतन मेरी भक्ति गुरु की,

शक्ति श्री गुरु गोरखनाथ की दुहाई फुरो मंत्र ईश्वर वाचा!!

 

गोरखनाथ वशीकरण सिद्धि को करने के लिए आपको कुछ ज़रूरी बाते ध्यान में रखनी चाहिए. अगर आप इन बातों को ध्यान में रखकर विधिपूर्वक मंत्रो का जाप और साधना करते हैं तो आपको काफी अच्छा परिणाम बहुत ही कम समय में देखने को मिल जायेगा.

गोरखनाथ के उपाय करते समय ध्यान रहे कि आप इनका प्रयोग किसी सकारात्मक उद्देश्य की पूर्ति के लिए कर रहे हों. गोरखनाथ के उपायों किसी विशेष प्रकार की विधि की आवश्यता नही होती है. अपने सकारात्मक उद्देश्य की पूर्ति के लिए इनका प्रयोग आशाजनक परिणाम देता है साथ ही इनके प्रयोग से किसी के द्वारा किये गए वशीकरण के प्रभाव को नष्ट भी किया जा सकता है.

गोरखनाथ वशीकरण सिद्धि किसी भी उम्र का व्यक्ति कर सकता है. कोई भी व्यक्ति बिना किसी सिद्ध गुरु के बैगर इन मंत्रो के जाप से लाभ प्राप्त कर सकता है. इन मंत्रो और साधनाओं को करने के लिए लाल या सफ़ेद रंग का आसन उपयुक्त होता है. इन मंत्रो का जाप करते हुए गुरु गोरखनाथ के प्रति मन में पूर्ण श्रद्धा होनी चाहिए.

गोरखनाथ वशीकरण सिद्धि का प्रयोग करने पर कोई भी साधक अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है. आप अपने उद्देश्य के प्रति एकाग्र हो कर अगर गोरखनाथ के उपाय करेंगे को आपको निश्चित तौर पर सफलता मिलेगी.

पति को पराई स्त्री दूर करने का उपाय

पति को पराई स्त्री दूर करने का उपाय

अगर आप अपने पति को पराई स्त्री से दूर करना चाहती हैं तो आपको निराश होने की आवश्यता नही है. क्योंकि यहाँ दिए गए अपनी पति को पराई स्त्री दूर करने का उपाय/सौतन से छुटकारा पाने के उपाय आपके लिए काफी उपयोगी साबित होंगे.

अगर आपका पति पराई स्त्री के रूप यौवन के पीछे दीवाना हो जाए तो आपकी खुशियों को ग्रहण लग जाता है. ऐसे में कोई भी चीज़ आपको सुख नही देती. आपके पास एक ही उपाय होता है कि किसी तरह आप अपनी सौतन से छुटकारा पायें.

पति को पराई स्त्री दूर करने का उपाय
पति को पराई स्त्री दूर करने का उपाय

हालाँकि पुराने समय में एक से अधिक स्त्रियाँ रखने का चलन था. लेकिन अब परिस्थितयां बदल चुकी है और कानून भी बदल चूका है. इसलिए ये सौतन आपके लिए नही मुसीबत खड़ी करे, इससे छुटकारा पा लेना ही बेहतर है.

शादी के शुरुआत में तो आपके पति आपसे काफी प्रेम करते हैं. लेकिन 2-3 वर्षों के बाद उनका आपके प्रति आकर्षण कम होने लगता है. अब उनका ध्यान इधर-उधर भटकने लगता है. ऐसे में आपका मन अशांत और परेशान होने लगता है.

अगर आस पड़ौस या ऑफिस में खूबसूरत और जवान लड़कियाँ होती हैं तो आपके पति का मन विचलित होने में देर नही लगती. आपकी कोशिश रहती की आपकी सौतन न रहे. लेकिन आज की जीवन शैली और टीवी को देखकर कोई भी मचल सकता है.

अगर आपका पति किसी भी कारण से पराई स्त्री के चुंगल में फँस गया है तो उससे छुटकारा पा सकती हैं. सौतन से छुटकारा मंत्र और सौतन को दूर करने का टोटका इसमें आपकी मदद करेंगे.

यहाँ पर सौतन को दूर करना का टोटका बताया जा रहा है. इस टोटके के पीछे ये सिद्धांत है कि आप अपने पति पर आपना प्रेम जाल फैला दें. इससे सौतन का आकर्षण ख़ुद ब ख़ुद समाप्त हो जायेगा. ये टोटका इस तरह से है:

ये उपाय आपको भगवान श्री कृष्ण का नाम ले कर करना है. शुक्रवार के दिन 3 इलायची लें. इन्हें अपने पहने हुए परिधान में लपेट कर रख लें. अगले दिन शनिवार को इन्हें पीस कर खाने में मिला कर अपने पतिदेव को खिला दें. इस टोटके को लगातार 3 शुक्रवार करें. ऐसा करने पर आपक पति ख़ुद ब ख़ुद आपके प्यार में दीवाना होने लगता है. और सौतन अपने आप दूर हो जाती है.

इसी सिद्धांत पर आधारित एक और उपाय है. इस उपाय से आपके पति पर आपके रूप सौन्दर्य का जादू चढ़ जायेगा और वह सौतन से कोसों दूर हो जायेगा. ऐसा करने के लिए आपको अपने पति को एक ख़ास किस्म का तिलक लगना है. तिलक लगने की विधि इस प्रकार है:

नारियल, कपूर और धतूरे के बीजो को पीस ले. जब भी आपका पति सामने हो, आप इसका तिलक लगायें. इसके आपका पति आपके प्रेम में पागल होने लगेगा और आपकी सौतन से दूर होने लगेगा. इस उपाय को पूरे आत्म-विश्वास के साथ नियमित करें. आपको इससे काफी अच्छा परिणाम प्राप्त होगा.

एक और सौतन से छुटकारा मंत्र है. पति को पराई स्त्री दूर करने का उपाय मंत्र के रूप में है. इसका नियमित उच्चारण करने से आपके यौवन की शक्ति बढ़ जाती है. अगर आपके यौवन में दमदार ताकत है तो आपके पति फिर से आपके प्यार में पड़ जायेंगे. ये कामदेव का पति को पराई स्त्री दूर करने का उपाय/मंत्र है:

ओम कामदेवाय विद्यम्हे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात्।

अपने प्रभाव को मज़बूत करने के लिए शाबर मंत्र का प्रयोग भी करें.

सौतन से छुटकारा शाबर मंत्र :

ओम नमो भगवते कामदेवाय यस्य यस्य दृश्यो, भवामि यस्य यस्य मम मुखं पश्यति तं तं मोहयतु स्वाहा।

पति पर अपने यौवन का जादू डालने का मंत्र. ये शुक्र गृह का मंत्र है. इसके आपके यौवन का प्रभाव बढ़ जायेगा. शुक्र मंत्र – ओम दां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः

आपके पति का दूसरी औरत या लड़की के प्रति आकर्षित होने का मतलब है कि उन्हें आपके प्यार नही मिल पा रहा है. इसलिए आपकी कोशिश रहनी चाहिए कि आप अपने पति की शारीरिक और भावनात्मक ज़रूरतों का ख़ास ख़याल रखें. साथ ही पति को पराई स्त्री दूर करने का उपाय भी लगातार करती रहें.

अगर आप अपने पति से सच्चा प्यार करती हैं, तो किसी सौतन को उन्हें आपसे छीनने के हिम्मत नही हो सकती. पति को पराई स्त्री दूर करने का उपाय पूरे मनोयोग से करना चाहिए. आप कोशिश करें कि आपके बीच क्लेश उत्पन्न न हो. घर में प्यार का वातावरण हो तो प्रेम का स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है.

सौतन से छुटकारा मंत्र बहुत कारगर होता है. घर से क्लेश मिटाने के लिए इस मंत्र का ४२००० बार उच्चारण करें. मंत्र इस प्रकार है:

धाम धिम धूम धुर्जट पत्नी वां वीं वुम वागधिश्वरी।

क्राम क्रीम कृम कालिका देवि, शाम शिम शुम शुभम कुरु।।

इस मन्त्र का जाप आप सुबह माँ दुर्गा या काली देवी की तश्वीर की सामने करें. धुप बत्ती और फूल अर्पित करने के बाद इस मंत्र का उच्चारण करें. ऐसा करने पर आपके घर में सुख शांति की बरसात होने लगेगी.

सौतन को दूर करने का टोटका ये टोटका काफी उपयोगी साबित हुआ है. इस टोटके में साबूत पान के पत्ते पर कपूर और चन्दन लगायें. इनके मिश्रण से एक तिलक लगायें और पति या उनकी तस्वीर के शामने जाएँ. ये उपाय 43 दिन तक करना चाहिए. 43 दिन तक प्रयोग करने के बाद इस पत्तों को बहते पानी में छोड़ दें.

पति को पराई स्त्री से दूर करने का उपाय जो यहाँ दिया गया है, बहुत कारगर साबित हुआ है. इस उपाय के अनुसार आपको माहवारी के दौरान रात में पति की छोटी से कुछ बाल काट लेना है. याद रहे आपके पति को इसके बारे में कुछ पता नही चलान चाहिए. कुछ दिनों बाद इन बालों को जला कर पैरों से कुचल दें. और घर से बाहर फैक दें. ऐसा करने पर धीरे-धीरे आपके पति की अकल ठिकाने आने लगेगी और आप सौतन के झंझट से मुक्त हो जाएँगी.

यहाँ एक और सौतन को दूर करने का टोटका बताया जा रहा है. इस टोटके के परिणाम भी बड़े ही चमत्कारिक होते हैं. ये टोटका इस प्रकार है:

इस टोटके में आपके रविवार के दिन अपने शयनकक्ष में अपनी सौतन का नाम ले कर गुगुल की धुनी दें. ऐसा पूरी श्रद्धा से लगातार 4 रविवार तक करें. इसके आपको बड़ा लाभ होगा.

इसमें से कोई भी पति को पराई स्त्री दूर करने का उपाय आपके काफी काम आ सकता है. आपको इनको करते हुए मन में प्रेम और विश्वास रखने के आवश्यकता होगी. आपका प्रबल मनोबल इसमें आपके काफी काम आएगा.

कर्ण पिशाच साधना

कर्ण पिशाच साधना

कर्ण पिशाचिनी विद्या प्रयोग, कर्ण पिशाचिनी साधना मंत्र, कर्ण पिशाचिनी सिद्धि विधि – कर्ण पिशाचिनी साधना के बारे मे सबके अपने मत है, कुछ का मानना है की ये एक अनोखी साधना है जिसे व्यक्ति को कभी अकेले नहीं करना चाहिए, अगर उसको इस साधना करने का पूर्ण ज्ञान नहीं, क्यूकी एक गलत कदम भी उस व्यक्ति के जीवन पर बुरा असर डाल सकता है। इसलिए इस कर्ण पिशाचिनी साधना को करते वक़्त व्यक्ति किसी गुरु की मदद ले। दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी है जो ये बात कहते है की कर्ण पिशाचिनी को भी देवी का रूप माना गया है, जैसे की कई मंत्रों मे यह देवी शब्द आता है। यहाँ तक भी कहा गया है की ये साधना पारलौकिक शक्तियों को अपने वश में करने की एक गोपनीय विद्या है, जिसके बारे मे आम लोगों को कम ही पता है।

कर्ण पिशाच साधना
कर्ण पिशाच साधना

तो चलिये कर्ण पिशाचिनी साधना को करने के लिए हम पहले मंत्र से आपको परिचित करवाते है। मंत्र है: “”।।ॐ नम: कर्णपिशाचिनी अमोघ सत्यवादिनि मम कर्णे अवतरावतर अतीता नागतवर्त मानानि दर्शय दर्शय मम भविष्य कथय-कथय ह्यीं कर्ण पिशाचिनी स्वहा।।“” अब इस साधना को करने से पहले ध्यान रखे की इसके दौरान आपको काले रंग का कपड़ा पहनना होगा, स्त्री से बात करने की मनाही होती है इस समय काल मे व आपको सिर्फ एक समय ही भोजन लेना होता है। साधना के लिए शमशान की राख, काली हकीक की माला, काला आसान, एक अनार व लाल रंग के फूल सामग्री के तौर पर चाहिए होंगी। इन बातों को ध्यान मे रख कर अब आप साधना को शुरू कर सकते है, जिसके लिए जरूरी है कि आप सबसे पहले काँसे की एक थाली  में सिंदूर से त्रिशूल बना ले और मंत्र द्वारा इस त्रिशूल कि पूजा करे। आप गाय के शुद्ध घी का दीपक भी जलाए और ऊपर बताए गए मंत्र का 1100 बार जप करे। रात के समय भी त्रिशूल कि पूजा करनी होगी। इस साधना को आपको 11 दिन रोज करनी होगी, वो भी रात और दिन को उचित चौघड़िया में करे। इस तरीके से आप कर्ण पिशाचिनी साधना को सिद्ध कर सकेंगे। इसके बाद आप जो सवाल भी मन मे करेंगे ‍पिशाचिनी कान मे उसका उत्तर देगी।

एक अन्य प्रयोग ये भी कर सकते है जिसके अंतर्गत आपको काले कपड़े की जगह इसमे लाल रंग के वस्त्र पहनने होते है। फिर रात को घी का दीपक जालना होगा और उसके बाद मंत्र – “”ओम् भगवति चंडकर्णे पिशाचिनी स्वाहा”” का नित्य 10,000 बार जप करना होता है। 21 दिन रोज इस विधि को करने के बाद इस साधना को सिद्ध किया जाता है। कर्ण पिशाचिनी साधना के लिए आप इस मंत्र का सहारा भी ले सकते है, मंत्र: ॐ ह्यीं नमोहः भगवतीयः कर्णपिशाचिनी चंडवेगिनी वद वद स्वहः। इस साधना के लिए आपको चाहिए कि गाय के गोबर मे सेंधा नमक मिला ले पूजा वाली जगह को अच्छे से लीप ले। जैसे ही वो जगह सुख जाये तो ऊपर से वहां कुमकुम, हल्दी ,अक्षत डाल दे, फिर वहां कुश का आसन बिछा ले। अब आपको रुद्राक्ष की माला से 11 दिन रोज 10,000 बार बताए मंत्र का जप करना होगा। ऐसा करके आप कर्णपिशाचिनी साधना को सिद्ध कर पाएंगे और इसके उपरांत आपकी सभी इच्छा भी पूरी हो जाएगी।

कर्ण पिशाचिनी साधना को पूर्ण करने के लिए क्यूकी काफी सारे मंत्रों कि चर्चा की गई है तो आप एक और मंत्र को जान ले। मंत्र है: ॐ लिंग सर्वनाम शक्ति भगवती कर्ण-पिशाचिनी चड रुपी सच-सच मम वचन दे स्वाहा। इस साधना को आप किसी भी नवरात्र में भूत-शुद्धि, स्थान-शुद्धि, गुरु स्मरण या गणेश पूजन से पहले करे। साधना शुरू करने से पहले एक चौकी पर साफ़ लाल कपडा बिछा ले। फिर उसपर एक तांबे का लोटा रखे। उसपर या कलश पर सूखा नारियल रख दे। अब धन दे की उस कलश के चारों ओर आपको पान, सिन्दूर, दो लड्डू, एक कटा हुआ मुर्गा व एक लोटे मे उस मुर्गे का खून रख दे। उस कलश की पूजा करने के बाद सारी सामग्री के चारों ओर उस खून से स्तंभित कर दे। ये सब कर लेने के बाद आप अपने कंधे पर उस लाल कपड़े को रखे और बताए गए मंत्र का जप शुरू करे। 9 दिन तक प्रतिदिन 1000 बार मंत्र जप करना होगा और फिर दसवें दिन इसी मंत्र का 1000 बार जप किसी शमशान या कब्रिस्तान में जाकर करें। इस प्रकार साधना सिद्ध होते ही आप पिशाचिनी के माध्यम से अपने किसी भी सवाल का जवाब पा सकते है व अपनी समस्या हल कर सकते है।

अंत मे हम यही कहेंगे की जो साधक इस कर्ण पिशाचिनी विद्या पर यकीन करते है, वो इसे करने से नहीं डरते। पर फिर भी बहुत से ऐसी बाते कही गई है इस विद्या के बारे मे की जिसे जान एक आम व्यक्ति जरूर भयभीत होगा, जैसा की इस साधना का संबंध होता है पिशाच पर वशीकरण करके उसके द्वारा मन मे उठने वाले हर सवाल का जवाब पाना। वैसे ये बाते तभी मायने रखती है, जब कोई व्यक्ति सच्च मे आपके खयालों मे चलने वाले सवालों के जवाब पाकर पहले ही होने वाली घटना से सतर्क होना चाहे। पर ये कहा भी गया है कि एक बार पिशाचिनी को वश मे करने के बाद वो उस साधक के शरीर से ही जुड़ जाती है और उसे छोड़कर कभी नहीं जाती, यहा तक की मृत्यु के बाद भी और इसमे कोई भी दूसरा व्यक्ति सड़क की मदद नहीं कर पता। ये बात जरूर डराने वाली है, पर हम यही कहेंगे की ऊपर बताए गई साधना को अकेले न करे, बिना ज्ञान के। किसी गुरु की मदद से विधि को साधा जा सकता है।

शत्रु को भगाने के टोटके उपाय

शत्रु को भगाने के टोटके उपाय

शत्रु को भगाने के टोटके उच्चाटन मंत्र उपाय- ऐसी मान्यता है की हम लोग कलि-युग में जी रहे हैं।  ज़्यादातर वारदातें इस समय की छापों की साक्षी हैं। आप अगर किसी भी दिन का अख़बार पढ़ लें तो आप को पता लग जायेगा की लोगों में उत्पीड़न और उस उत्पीड़न से जागृत आक्रोश से एक दूसरे के प्रति घृणा कितनी बढ़ गयी है।

हम एक दूसरे का गला काटने दौड़ते हैं, पड़ोसियों तक से बात-चीत नहीं रखते जबकि अभी कुछ समय पहले तक इंसान गाँव के हर घर के बारे में सब कुछ जानता था। तो हम एक दूसरे से अलग भी होते जा रहे हैं, यह एक यूरोपी सामाज का प्रभाव भी है।

शत्रु को भगाने के टोटके उपाय
शत्रु को भगाने के टोटके उपाय

पर इन सब चीज़ों से होने वाली मायूसी और अकेलापन से आखिर होता क्या है? हम बुरे काम करने लगते हैं क्योंकि जैसा कहा जाता है की खाली दिमाग शैतान का घर होता है। तो फिर अगर लोग आप को परेशान कर रहे हैं, मुक़दमाबाज़ी करके या फिर गुंडागर्दी कर के या फिर अभद्रता पे उतर आकर तो कुछ सरल उपाय क्या हैं इन्हें रोकने के?

यह कुछ उपाय मैं आपके समक्ष रखता हूँ और आशा करता हूँ की आप इसका सही समय और सही परिस्थिति में ही प्रयोग करेंगे। शत्रु पर विजय के लिए कई तरीके के मंत्र-तंत्र और टोटके होते हैं।

उच्चाटन उन्ही कुछ उपायों में से एक है जो ऐसी परिस्थिति में बताया जाता है। उच्चाटन शब्द का अर्थ होगा मन का हटना, जैसे आपका मन किसी टॉफ़ी से हट जाये तो आपका टॉफ़ी से उच्चाटन होंना कहलायेगा। यह क्रिया ज़्यादातर तो स्वाभाविक रूप से मन खुद अपने हिसाब से करता रहता है।

पर कुछ बार तांत्रिक अपने षट्कर्म से उच्चाटन करके किसी को किसी स्थान, व्यक्ति, गुण या वस्तु आदि से अरुचित कर देते हैं।  इस क्रिया से आप बड़ी-बड़ी मुश्किलों से बच सकते हैं और ख़ुशी से जीवन व्यतीत करने में मदद पा सकते हैं।

उच्चाटन का प्रयोग बहुत असरदार और दुर्लभ है अगर घर का कोई सदस्य किसी और सदस्य से रूठ जाये या वशीभूत हो जाये, अपने कैरियर की राह में रास्ते से अलग चल पड़े, बुरे लोगों के बीच फंस जाये, दारू, मांस और नशे आदि चीज़ों का आदि बन जाये तो उच्चाटन प्रयोग किया जा सकता है।

पति या पत्नी का किसी और से सम्बन्ध बनने को हो जाये , घर टूट जाये या घर का मान-सम्मान बिगड़ने लगे, प्रतिष्ठा पर आंच आये, देश के रीत-रिवाज़ टूटें और जेल आदि की नौबत आने को हो जाये, किसी के प्रति दूरी बनाने की ज़रुरत हो तो उच्चाटन सही कदम है।

बुरी हवा लगने पर या फिर किसी की कुंडली के बुरे ग्रहों के प्रकोप को तोरड़ना हो, या फिर किसी के घर में किसी ने रुपये-पैसे पर कब्ज़ा कर लिया हो तो उसे हटाने यह प्रयोग कारगर है।

जैसे वशीकरण होता है, उच्चाटन वैसा बिलकुल भी नहीं होता क्योंकि इसमें जिन शक्तियों का प्रयोग है वह वशीकरण आदि से ज़्यादा उग्र होती हैं। इसीलिए ज़्यादातर इनके आवाहन का तरीका सार्वजनिक या सामाजिक तौर पर नहीं बताया जाता।

कार्य की विधि है – आप मंगलवार या शनिवार के दिन भैरवजी के मंदिर जाएं और वहां पर चौमुखिया आंटे का दीपक जलाएं जिसकी लौ लाल रंग की बना लें, इसको ऐसा बनाने बनाने के लिए रोली का प्रयोग कर सकते हैं। शत्रु को मन में याद करें और सरसों दीपक में डाल दें।

फिर एक श्लोक २१ बार मन में बोलें और २१ बार उरद की दाल दीपक में डालते जाएं, वह श्लोक जो बोलना है है –

ध्यायेन्नीलाद्रिकान्तम  शशिश्कलधरम मुण्डमालं महेशम्।

दिग्वस्त्रं पिंगकेशं डमरुमथ सृणिं खडगपाशाभयानि।।

नागं घण्टाकपालं करसरसिरुहै र्बिभ्रतं भीमद्रष्टम।

दिव्यकल्पम त्रिनेत्रं मणिमयविलसद किंकिणी नुपुराढ्यम।।

फिर उसके बाद एक चुटकी लाल सिन्दूर लेकर दीपक में ऐसे डालें जैसे क्षत्रु के मुंह में डाल रहे हों। अब मंत्र पढ़ते हुए एक लौंग लेकर पूरा मंत्र पढ़कर दीपक में डाल दें, क्षत्रु का नाम मन में याद रखें, लौंग का फूल ऊपर को रहे। फिर अगला लौंग डालें, ऐसे २१ बार  डालें और २१ बार मंत्र पढ़ें। मंत्र है

ॐ ह्रीं भैरवाय वं वं वं ह्रां क्ष्रौं नमः

यदि भैरव मन्दिर न हो तो शनि मन्दिर में भी ये प्रयोग कर सकते हैं

फिर उस क्षत्रु से छुटकारा पाने के लिए प्रार्थना कर के मंदिर से चल दें।

इस तरह मैंने आपके समक्ष एक पूरा विधान रखा है, इसको करने में कई बार अड़चन आ सकती है।  तब आप भैरों बाबा के मंदिर जाने के बजाय घर में ही दक्षिण दिशा की ओर मुख कर के पूजा कर सकते हैं।  पूजा संपन्न  करने के बाद, दीपक को लें और किसी सुनसान चौराहे पर रख आएं।

अगर कोई आपको चौराहे पर दीपक रखते देख ले तो वह विघ्नित पूजा मानी जाएगी और फिर से करना उचित रहेगा। यह दीपक रख के आने की क्रिया आप रात के १२ बजे ही करें न पहले न ज़्यादा बाद में।

घर चौराहे से बिना पीछे देखे आएं और असर कम होने पर यह कार्य पञ्च बार तक दो महीने के अंदर किया जा सकता है।

अगर क्षत्रु बहुत ज़्यादा परेशान करे और आपको सांस न लेने दे, आपका जीना दूभर कर दे तो आप यह पूरा  बताया कार्य लाल बत्ती की बजाये दीपक में मदर के पेंड़ की कपास से बनायें और दीपक जा के शत्रु के द्वार पर रख आएं।

एक और असरदार तरीका है की आप किसी भी महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी को या फिर अगर यह न हो पाए तो शनिवार को ११ बजे रात को स्नान कर लाल कपडे पहन लें , फिर दक्षिण दिशा में पूजा स्थान बनाएं जहाँ दुर्गा माता की प्रतिष्ठित मूर्ति या प्रतिमा हो और यन्त्र भी हो, फिर हाथ में जल लेकर अपनी परेशानी माता के समक्ष रखें और उसके बाद एक मूंगे की माला लें।

और इस माला से यह मंत्र ५१ बार जपें –

ॐ दुँ दुर्गायै *अपना नाम*  उच्चाटय उच्चाटय शीघ्रं सर्व शत्रु बाधा नाशय नाशय फट

यह कार्य दो दिन तक करें और फिर सारी सामग्री (यन्त्र, माला, प्रतिमा आदि ) को एक गड्ढे में गाड़ दें। असर अवश्य मिलेगा।

इस तरह मैंने आपके समक्ष कुछ व्यवस्थाएं रखी हैं, आप इनका सदुपयोग करें और ज़रुरत पड़ने पर किसी अच्छे ज्योतिषी या तांत्रिक से सलाह लें।

शूकर-दन्त वशीकरण मन्त्र

शूकर-दन्त वशीकरण मन्त्र

शूकर.दन्त वशीकरण मन्त्र प्रयोग ए शुक्र दन्त सिद्धि मंत्र ए शूकर.दन्त वशीकरण टोटके विधिध उपाय- इस सृष्टि में जितने भी प्राणी हैं सभी ईश्वर की रचना है, तथापि सूअर एक ऐसा ऐसा प्राणी है जिसका नाम लेते ही मन घृणा से भर उठता है। अत्यधिक गुस्से में जब किसी को गाली देना हो जुबान पर एक ही शब्द आता है सूअर कहीं का! परंतु तंत्र विद्या में सूअर का दांत जिसे संस्कृत में शूकर दंत कहा जाता हे बड़े ही कमाल का वस्तु होता है। पुराणों में वर्णित है कि ब्रम्हाजी ने मनु और शतरूपा को सृष्टि की आज्ञा दी| परंतु उसके लिए जिसकी भूमि की आवश्यकता थी, उसे हिरण्याक्ष तकिया बनाकर सोया था| देव गण वहाँ तक न पहुँच सकें इसलिए चारो ओर उसने विष्ठा का घेरा बना दिया था| कोई भी देवता उस विष्ठा के निकट नहीं पहुँच सकते थे इसलिए ब्रम्हा ने विचार किया कि शूकर ही वह प्राणी है जो विष्ठा के समीप भी जा सकता है| उन्होने विष्णु का ध्यान किया और अपनी नासिका से वराह देव को उत्पन्न किया| वराह देव ने समुद्र में उतरकर हिरण्याक्ष का वध किया तथा रसातल से पृथ्वी को बाहर निकाला|

शूकर-दन्त वशीकरण मन्त्र
शूकर-दन्त वशीकरण मन्त्र

सुअरों के थूथन से दो दांत निकले होते हैं जिन्हें कुकुर दंत कहा जाता है। ये इतने सख्त तथा मजबूत होते हैं कि किसी का भी पेट फाड़ देते हैं चाहे वह घोड़ा ही क्यों न हो। ऊपर के कुकुर दंत थोड़े घुमावदार होते हैं परंतु नीचे के दांत आकार में बड़े और सीधे होते हैं। जैसे ही इनका जबड़ा बंद होता है दोनो दांत आपस में रगड़ खाते हैं, जिसकी वजह से ये हमेशा नुकीले बने रहते हैं। तंत्र में इन्हीं कुकुरदंतों का इस्तेमाल होता है। यह किसी भी कसाई के यहां से प्राप्त किया जा सकता है। अथवा किसी ऐसे व्यक्ति से जो सूअर पालता हो। यद्यपि यह भी कहा जाता है कि स्वाभाविक मृत्यु के बाद प्राप्त किया गया दंत ज्यादा कारगर होता है।

शूकर दंत वशीकर मंत्र

इस मंत्र के द्वारा शूकर दंत लेकर वाराह देव की साधना की जाती है| सिद्ध शूकर दंत की सहायता से वशीकरण ही नहीं अपितु मारण मोहन उच्चाटन, स्तंभन कुछ भी किया जा सकता है| इसलिए वशीकर हेतु शूकर दंत को पहले सिद्ध करना आवश्यक है, जिसकी विधि अत्यंत सरल है। होली दीपावली, दशहरा अथवा ग्रहण काल में अपने दाहिने हाथ में शूकर दंत रखें तथा 108 बार निम्नलिखत मंत्र का जाप करें-

ओम ह्नीं क्लीं श्री वाराह दंताय भैरवाय नमः

जाप पूर्ण होते ही शूकर दंत पर फूंक मारे। इस अभिमंत्रित दंत को ताबीज बनाकर धारण कर लें। इस ताबीज से वशीकरण प्रभाव उत्पन्न होता है। इस ताबीज को पहनकर इच्छित व्यक्ति को सरलता से सम्मोहित किया जा सकता है। वशीकरण के अतिरिक्त यह अभिमंत्रित ताबीज चमत्कारी प्रभाव उत्पन्न करता है।

अभिमंत्रित शूकर दंत से लाभ

  1. जिस घर में शूकर दंत स्थापित हो वहाँ भूत-प्रेत तथा ऊपरी बाधा का भय नहीं रहता|
  2. सुनवाई के समय जेब में अभिमंत्रित शूकर दंत रखने से अदालती मामलों में जीत होती है|
  3. रोगी को शूकर दंत का ताबीज पहना देने से पुरानी बीमारी से निजात मिलती है चाहे वह कैसी भी हो।
  4. साक्षतकार हेतु जाते समय जेब में अभिमंत्रित शूकर दंत रख लें| इससे बेरोजगारों को नौकरी मिल जाती है तथा जो नौकरी में उन्हें पदोन्नति प्राप्त होती है।
  5. इसका ताबीज धारण करने से अविवाहितों को मनोवांछित विवाह प्रस्ताव प्राप्त होता है। यदि प्रेम संबंध टूट गया हो तो फिर से जुड़ जाती है|
  6. यदि गलत गवाही के कारण जेल हो गई हो तो उससे भी मुक्ति मिल जाती है अथवा सरलता से उसे बेल मिल सकती है।
  7. यदि चारो ओर से शत्रुओं से घिर गए हो तो शूकर दंत की ताबीज धारण करें, इससे शत्रुओं का नाश होता है।
  8. मात्र घर में स्थापित कर देने से आर्थिक लाभ होता है, पुराने कर्जों से मुक्ति मिल जाती हैं|
  9. परिवार में सुख शांति रहती है। पति पत्नी में अनबन दूर हो जाते हैं।
  10. यदि परिवार को कोई सदस्य खो गया हो तो वह मिल जाता है।

शूकर दंत की सहायता से कर्ण पिशाचिनी साधना

इस साधना का त्वरित प्रभाव होता है। विशेष लाभ यह है कि इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता है। क्योंकि सिद्धि प्राप्त कर लेने के पश्चात साधक इतना शक्ति सम्पन्न हो जाता है कि कोई भी संकट उसे छू नहीं पाता। इस साधना का प्रारंभ सावन मास के शुक्रवार से करें।  अपने सामने सरसो तेल का दीपक लगाएं, उसमें थोड़ा सा इत्र डाल दें। गुग्गल का धूप जलाएं। अब दक्षिण दिशा में लाल आसन बिछाकर उसके नीचे शूकर का दंत, एक साही का कांटा रख दे। अब उसी आसन पर लाल वस्त्र धारण कर बैठंे तथा निम्नलिखित मंत्र का जाप अगले 21 दिनों तक 21 माला नित्य करें –

ओम ह्नीं श्रीं क्लीं नृम ठं ठं नमो देवपुत्री स्वर्ग निवासिनी

सर्व नर नारी मुख वार्ताली, वार्ता कथय

सप्त समुद्रान दर्शय दर्शय

ओम ह्नीं श्रीं क्लीं नृम ठं ठं फट स्वाहा।

उक्त मंत्र के जाप के लिए लाल हकीक की माला अथवा रूद्राक्ष उपयोग करें। इस साधना में ध्यान रखने योग्य बात यह कि कि शूकर दंत उसकी स्वाभाविक मृत्यु के पश्चात प्राप्त किये गए हों।

शूकर दंत वशीकरण टोटके विधि / उपाय

  1. नौ इंच लंबा गरूड़ वृक्ष की लकड़ी लेकर उसे नौ बराबर हिस्सों में काट लें। अब उसे नौ शूकरदंतों के साथ घर के अलग-अलग हिस्सों में ठोक दें। ऐसा करने से घर से ऊपरी बाधा, भूत-प्रेतों की समस्या दूर हो जाएगी।
  2. भूत-प्रेत से पीड़ित व्यक्ति के लिए अभिमंत्रित शूकर दंत लेकर उस व्यक्ति के पुराने कपड़े में लपेटकर नदी में प्रवाहित कर दें।
  3. सोने से बनी लाॅकेट में शूकर दंत डालकर नवजात शिशु को पहना दें। उसको नजर नहीं लगेगी।
  4. अभिमंत्रित शूकर दंत घर में रखने मात्र से परिवार की सभी समस्या समाप्त हो जाती है।
  5.  यदि कारोबार अचानक मंदा हो जाए, बिक्री गिर जाए अथवा किसी के द्वारा बांध दिये जाने की आशंका हो तो अपनी दुकान अथवा कार्य स्थल की दीवार पर शूकर दंत इस प्रकार मढ़वाकर टांग दें कि वह आपको और बाहर से आने वालों को पहली ही नज़र में दिख जाए|

शिव वशीकरण मन्त्र तंत्र सिद्धि

शिव वशीकरण मन्त्र तंत्र सिद्धि

शिव वशीकरण मन्त्रशिव साधना के उपायशिव को प्रसन्न करने की तंत्र सिद्धि – सृष्टि के संहारक रूप में ज्ञात शिव का स्वरूप अनिर्वचनीय है| सृष्टि व्यवस्था में ब्रम्हा सृजनकर्ता, विष्णु पालनकर्ता तथा शिव संहारकर्ता माने जाते हैं| परंतु उनका स्वरूप यहीं तक सीमित नहीं है| जब वह क्रोधित होते हैं, उनका त्रिनेत्र खुल जाता है, तथा सम्मुख खड़ा कोई भी हो वह भस्म हो जाता है| कामदेव ने भी एक बार इसी प्रकार उन्हें रुष्ट कर दिया था, परिणामस्वरूप वह शिव के कोप भाजनबनकर वहीं भस्म हो गए| कामदेव की पत्नी रति के विलाप से द्रवित होकर उन्हें पुनः पृथ्वी पर जन्म लेने का आशीर्वाद दिया| अपने सौम्य रूप में वह भोलेनाथ हैं| अर्थात, अपने भक्तो पर सर्वाधिक कृपालु शिव को ही माना जाता है| भस्मासुर को वर देने वाले भोलेनाथ शिव ही थे| रावण शिव का आराधक ही था| वर देते समय उन्हें इस बात का भान नहीं रहता कि वह देव है अथवा दानव| इतना ही नहीं संगीत के अधिष्ठाता भी शिव ही हैं| विशेष रूप से नृत्य प्रवीण कलाकार शिव भक्त ही होते हैं| उनका नटराज स्वरूप उनकी उत्प्रेरणा होती है| दूसरी तरफ तंत्र मार्ग में भी  शिव प्रमुखता से उपस्थित हैं| यहाँ पार्वती उनकी शक्ति रूप में पूजित होती हैं| वास्तविकता तो यह है कि सम्पूर्ण तंत्र विज्ञान शिव-और शक्ति की अवधारणा पर ही आधारित है|

शिव वशीकरण मन्त्र तंत्र सिद्धि
शिव वशीकरण मन्त्र तंत्र सिद्धि

शिव साधना के उपाय

शिव की साधना तंत्र मार्ग तथा भक्ति मार्ग दोनों ही विधियों से की जा सकती है|

भक्ति मार्ग के तहत निम्नलिखित प्रकार से साधना की जा सकती है|

  • सोमवार का व्रत रखें|
  • महादेव को बिल्वपत्र, आक, धतूरा, भंग आदि का भोग लगाएँ|
  • पंचामृत(दूध, दही, घी, शक्कर तथा शहद अर्पित करें|
  • ढेर सारे मंत्र नहीं आते हों तो मात्र ॐ नमः शिवाय का जाप ही काफी है| इस मंत्र में अपार शक्ति है| आदि शंकराचार्य ने इस पंचाक्षर मंत्र पर आधारित शिव पंचाक्षर स्तोत्र की रचना की है| जिसका पहला पद है – नागेंद्र हाराय त्रिलोचनाय भसमांग रागाय महेश्वराय, नित्याय शुध्याय दिगंबराय, तस्मै नकाराय नम: शिवाय| प्रत्येक पद में नकाराय, मकाराय, शिकाराय आदि के क्रम के साथ पूर्ण किया गया है|

तंत्र मार्ग के तहत शिव की आराधना –

तंत्र मार्ग में एकल शिव पूजित नहीं है| बल्कि शक्ति के साथ ही उनकी आराधना होती है| तंत्र में भी कई मार्ग हैं, वाम मार्ग में मांस, मदिरा तथा मैथुन तीनों ही प्राथमिक रूप से अपनाए जाते हैं| अघोरपंथी शमशान में शव साधना करते हैं| शिव को यहाँ भैरव माना जाता है, तथा अखंड कुमारी कन्याएँ भैरवी मानी जाती हैं| भैरवी पूजन के बिना यह साधना संभव नहीं है| कई अघोरपंथी तांत्रिक इसके लिए छोटी-छोटी कन्याओं का अपहरण कर लेते हैं जिसे जायज नहीं कहा जा सकता| प्राचीन काल में तंत्र सिद्धि हेतु शिव को नरबलि दी जाती थी| परंतु वर्तमान में यह संभव नहीं है| इस साधना में विश्व की निकृष्टम वस्तुओं को अपने जीवन शैली का हिस्सा बना लेना पड़ता है| एक शिवत्व प्राप्त तांत्रिक के लिए मिष्ठान्न और विष्ठा में कोई फर्क नहीं है| वह सूअर के साथ सो सकता है| गले हुए मुरदों का मांस भक्षण कर सकता है| यह साधना बिना गुरु के नहीं करना चाहिए| इस पथ पर एक बार चल पड़ने के बाद लौटकर आना संभव नहीं होता|

शिव मंत्र साधना

पूरब की ओर मुख करके बैठे, अपने सामने शिवलिंग स्थापित करें| पूजा घर में कर रहे हों तो पार्थिव महादेव(मिट्टी के बने शिवलिंग) भी स्थापित कर सकते हैं| उनके सम्मुख सुगंधित अगरबत्ती तथा घी का दीपक जलाएँ| अब पंचोपचार विधि से पूजन करें| अब हाथ जोड़कर अपनी अभिलाषा मन ही मन दोहराएँ तथा सफ़ेद फूल उन्हें अर्पित करें| इसके बाद शिव के मनोहारी स्वरूप की कल्पना करें तथा नेत्र बंद कर उनका ध्यान करें| इसके बाद निम्नलिखित मंत्र का जाप 11 माला 21 माला अथवा51 माला करें-

              ह्रीं-ओम-हौं-शंभो-नमो-भगवते-सदाशिवाय

जाप के लिए रुद्राक्ष की माला श्रेष्ठ है| इस मंत्र की ऊर्जा से बदन में गर्मी बढ़ जाती है| अधिक संख्या में जाप के उपरांत तनिक नशा जैसा अनुभव होता है| इसके बाद आरती करें, प्रसाद बांटे तथा स्वयं भी ग्रहण करें| पुनः थोड़ी देर के लिए एकांत कक्ष में लेट जाएँ| संभवतः तुरंत नींद आ जाएगी| न भी आए तो कुछ देर लेते रहें उसके बाद सामान्य दिनचर्या में लग जाएँ| इस साधना से घर में सब मंगल होता है| दृढ़ निश्चय के साथ अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु की गई यह साधना कभी निष्फल नहीं जाती|

यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि भक्ति मार्ग में विधि विधान से अधिक भक्ति की भावना प्रमुख है| निश्चय ही बड़े-बड़े तांत्रिक और मांत्रिक शिव की आराधना से असीम शक्ति प्राप्त कर लेते हैं| लेकिन दूसरी तरह यह भी सत्य है कि मात्र सोलह सोमवार दुग्ध अथवा जल से अभिषेक करने पर वह कन्याओं को सुयोग्य वर भी देते हैं| अर्थात हृदय में भक्ति रहकर शिव का ध्यान करने वाला कभी खाली हाथ नहीं रहता|

शिव वशीकरण मंत्र

सोमवार के दिन मंदिर अथवा अपने आवास पर ही विशेष शिव मंत्र की साधना से किसी को भी वशीभूत किया जा सकता है| इस दिन अपने पूजा स्थल पर समस्त पूजन सामग्री का इंतजाम पहले से ही कर लें| जैसे –रुद्राक्ष की माला, धूप, दीप, ताम्बूल आदि| वशीकरण हेतु पूजा में सदैव पूरब की ओर मुख करके बैठना चाहिए|  हाथ में अछिंजल(गंगाजल अथवा कोई भी स्वच्छ पात्र में भरा जल) लेकर चारो ओर सिक्त कर दिशा शोधन करें| पंचोपचार विधि से शिव विग्रह, चित्र अथवा शिवलिंग का पूजन करें| जिसका वशीकरण करना है उसका नाम लेकर शिव से प्रार्थना करें तथा निम्नलिखित मंत्र का जाप 21 माला करें –

ओम हंससोहं परमशिवाय नमः

यह विधि 11 सोमवार तक करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है| इसके उपरांत मुट्ठी में कोई खाद्य पदार्थ रखें,  जिसे वश में करना हो उसका नाम लेते हुए 11 बार इस मंत्र को पढ़कर मुट्ठी में फूँक मारें तथा लक्षित व्यक्ति को खिला दें| वह वशीभूत हो जाएगा| इस मंत्र का दुरुपयोग करने से आप शिव के कोपभाजन भी बन सकते हैं| स्मरण रखें वह ब्रम्हपिशाचिनी अथवा जिन्न नहीं है जिसे अपना दास बनाकर आप अपना काम निकलवा लेंगे| वह शिव हैं, अंतर्यामी हैं, आपकी आराधना का ध्येय भी जानते हैं और आपकी नीयत भी|

भूत प्रेत बाधा निवारण उपाय

भूत प्रेत बाधा निवारण उपाय

आज के समय में कुछ लोग भूत-प्रेत जेसी चीजों को बिकुल नहीं मानते खासकर वो लोग विज्ञान को ज्यादा मानते हो, लेकिन तथ्य यह है कि कुछ नकारात्मक शक्तियाँ होती है, और वर्तमान अवधि में, एक अभूतपूर्व गति पर ऐसी शक्तियों  की संख्या बढ़ रही है|यह कुछ लोगो के लिए आश्चर्यजनक विषय हो सकता है जो यह मानते है की यह युग ऋषि “कलियुग” है और इस युग में ऐसे विषयों की कोई मान्यता नहीं है, लेकिन मुझे लगता है कि नकारात्मक शक्तियां होती है और यह दिन ब दिन मजबूत होती जाती हैं।

मनुष्यकृत समाजों के साथ यह समस्या है जो कुछ भी वो समझते नहीं स्वीकार करना चाहते ही नहीं है। सत्य विज्ञान का मानना है कि ऐसी घटना के पीछे निहित कारणों का वर्णन होता है, और यह बिलकुल सहि नहीं है की अगर आप नकार्त्मकता को समझ नहीं पाते तो उसे स्वीकारते भी नहीं है |यह आपके लिए हानिकारक हो सकता है|

भूत प्रेत बाधा निवारण उपाय
भूत प्रेत बाधा निवारण उपाय

कोई भी व्यक्ति जो एक खुले दिमाग का नहीं नहीं है वह वैज्ञानिकताको नहीं समझ सकता, और उसे यह लेख पढ़ना बंद कर देना चाहिए क्यूकि यह आलेख केवल उन लोगों के लिए, जो यहाँ एक खुले दिमाग के साथ नकारात्मकता के मतलब को समझते हो और उससे बचने के उपाय खोज रहे हो। इस लेख में नकारात्मकता के लक्षण एवं उनसे बचने का उपचार बताया जाएगा| यह उपचार एवं लक्षण कुछ इस तरह के है –

ऊपरी बाधा के लक्षण –

नकारात्मक बाधा के लक्षण निम्नलिखित हैं। कृपया ध्यान दें कि उनमें से कुछ नकारात्मक बाधा के लक्षण नहीं हो सकते है लेकिन आप को जरूरत है एक संयुक्त दृष्टिकोण का पालन करने की। कुछ स्थितियों में शारीरिक लक्षण मानसिक शर्तों के साथ मेल नहीं खा रहे हो लेकिन मनोवैज्ञानिक शर्तों से मेल खाती है। कृपया इसे अन्यथा न लें, लेकिन कई रोगि जो कुछ मनोवैज्ञानिक उपचार पिछले कई वर्षों से ले रहे थे वह सब ठीक आध्यात्मिक उपचार के दौरान थे। कृपया निम्न लक्षण एक खुले दिमाग के साथ पढ़ें। एक व्यक्ति जो अनिष्ट शक्ति से आवेशित है कभी नहीं स्वीकारता कि वह अनिष्ट शक्ति से आवेशित है।

  • दोहराव माइग्रेन।
  • हाथ, आँखेंनीचे के पास सूजन या (गुर्दों का ख़राब होना) या सामान्य सूजन।
  • अचानक बिना कारण ठंड लगना।
  • अत्यंत कमजोर शरीर किसी भी रोग के बिना। (हड्डियों का फैला हुआ होना)
  • एलर्जी नकारात्मक बाधा के लक्षण नहीं हैं, लेकिन उनमें से कुछ नकारात्मक बाधा के निश्चित लक्षण हैं। असली लक्षण गर्दन के पीछे से शुरू होता है, लेकिन अनिष्ट शक्ति से आवेशित व्यक्ति इसे भूल जाता है।
  • जो बार-बार घटित बताई नहीं जा सकती और अपरिभाषित चिकित्सक समस्याए, उदाहरण के लिए माइग्रेन, थायराइड।
  • मंदी या चरम गतिविधि।
  • रंग में अचानक परिवर्तन। (काले या सफेद टोन)
  • चरक सहिंता के अनुसार (प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रन्थ), अलौकिक शक्ति, ऊर्जा, उत्साह, करिश्मा, स्मृति; कलात्मक, भाषण, और व्यक्ति में आध्यात्मिक क्षमताए आ जाति है। (अतीत जानने या हाल की घटनाओं के बारे में)। ऐसे लोगो को अपने भूतकाल या वर्तमान के बारे में कुछ पता नहीं होता और उनके साथ क्या चल रहा है यह भी वह नहीं जानते। वे केवल धटनाए जो एक वर्ष के लिए या एक महीने की अवधि के भीतर जगह ले रहे हैं सिर्फ उनका वर्णन कर सकते हैं।
  • अचानक अज्ञात बुखार, जो निश्चित अंतराल पर दोहराता है।
  • गंदे बाल रखना।
  • ऊँची आवाज में कुछ भी बोलना औरबिना वजह हँसते रहना| इस तरहके व्यक्ति हँसने के दौरान अपने कंधे हिलाता है और केवल हँसता जाता है मुस्कुराता नहीं है।
  • अचानक अपनी बातेढंग से बता नहीं पाते और बात के बीच में बेवजह रोने लगते है।
  • कभी कभी एक व्यक्ति के नियम अनुसार खाने से ज्यादा खाना खा लेना या फिर कुछ दिनों के लिए खाना ही ना खाना ।
  • बहुत ज्यादा नींद लेना या बिलकुल नींद ही ना लेना(अनिद्रा)|
  • लाल आँखें या असंतुलित आँखे हो जाना।
  • सिर रोटेशन में चलना। (शास्त्रीय चौकीलक्षण)
  • बिल्कुल सफाई से ना रहना | शरीर एवं आस –पास गन्दगी पसंद करना|
  • बहुत ज्यादा इत्र का प्रयोग करना एवं खुले बाल रखना (महिलाओं में) नकारात्मक शक्ति को दर्शता है।

भूत प्रेत बाधा उपचार –

  • उपर्युक्त कारणों को समाप्त करने का प्रयास करें।
  • कुंडली दोष भी नकारात्मक शक्तियों को इंगित करता है|अगर आपकेकर्मो के कारण अनिष्ट शक्ति आप पर आवेशित है तो उपचार भी आपको बचा नहीं सकती|
  • उपचार प्रत्येक व्यक्ति पर अपने प्रभाव नहीं दिखाती।
  • हमेशा अपने बाल बाँध कर रखे। खासकर महिलाएँ|
  • मंत्र या तांत्रिक मंत्रो का जाप ना करे और ना ही कभी उन्हें सुने।
  • नियमित रूप से एक पवित्र जगह पर जाएँ। आप के अंदर की आत्मा आपको इस अभ्यास को छोड़ने के लिए बाध्य करेगा।
  • बहुत ज्यादा इत्र का उपयोग न करें।
  • संभव हो तो हमेशा स्वच्छ रहने का प्रयास करें। अपने बाल और नाखून नियमित आधार पर काटते रहे।
  • शराब और नशीले पदार्थों से बचें।
  • नकारात्मक क्षेत्रों पर ना जाए और नकारात्मक स्थानों और नकारात्मक लोगों से बचें।
  • जयपुर में शिवदासपुरा के पास बड़ा “पदमपुरा” नामक एक मंदिर है। एक और मंदिर थाना गाज़ी में स्थित है। अलवर के पास। व्यक्तिगत रूप से इन मंदिरों का परीक्षण किया गया है। वहाँ पर कोई तंत्र मंत्र नहीं होते। कुछ भी पैसे के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता । अधिकांश लोग ठीक हो जाते है। और लोगों को जंजीरों में भी नहीं बांधते।
  • चौकिस एवं, पात्री का पालन ना करे और पितरो को भोग ना लगाए |भारत में कुछ लोग इन अनुष्ठानों का पालन करते है। वे प्रभावित हो सकती है। बस हर अमावस्या या कोई चंद्रमा के दिन पर गरीब लोगों को भोजन प्रदान कीजिए। यह पित्री रिनससे छुटकारा पाने के लिए सबसे आसान तरीका है।
  • कुछ लोग हैं, जिन्हें लगता है कि वहईश्वर एवं प्रेतों के माध्यम हैं ऐसे लोग वास्तव में सबसे बड़े मूर्ख हैं। उनके कार्य उनके जीवन को खतरे में डाल देते है। ऐसे लोग मृत्यु के बाद “प्रेत योनी ” से ग्रस्त हो जाते हैं। इसे लोग भूतो द्वारा पसंद किए जाते है और मृत्यु के बाद वह उन्हें उनकी दुनिया में ले जाया करते हैं। वे नबी नहीं हैं लेकिन वे अनिष्ट शक्ति से आवेशित होते हैं और उनके शरीर भूतों के लिए द्वार बन चुके होते है। इसलिए अपनाप को किसी का भी माध्यम ना समझे जब तक की आपको उस विषय के बारे में पूरी जानकारी ना हो ,नहीं तो यह आपके जीवन के लिएहानिकारक हो सकता है|

तो यह थे भूत बाधा के कुछ निम्नलिखित लक्षण एवं उपचार जिससे हम पता लगा सकते है की किसी व्यक्ति पर अनिष्ट शक्ति आवेशित है या नहीं और अगर है तो उसको मिटाने के उपाय क्या है |

मनचाहा जीवनसाथी वर प्यार  पाने के उपाय

मनचाहा जीवनसाथी वर प्यार  पाने के उपाय

दुनिया में हर व्यक्ति प्यार की डोर से बंधा होता है। जब यह डोर जनम से बांधती है तो समय के थपेड़े इसे ढीला कर सकते हैं, लेकिन तोड़ नहीं सकते। लेकिन जब यह डोर मन से बंधती है तो न ढीली होती है और न ही  टूटती है। सच्चे प्यार की तलाश में कभी-कभी ज़िंदगी का एक बड़ा हिस्सा निकल जाता है, और वो नहीं मिलता है।

मनचाहा जीवनसाथी वर पाने के उपाय
मनचाहा जीवनसाथी वर पाने के उपाय

उम्र बचपन का साथ छोड़कर यौवन का हाथ पकड़ने को बेताब होती है तब मनचाहे प्यार की तलाश सब करते हैं। आप किसी ऐसे का साथ चाहते हैं जो आपके दर्द और मुस्कान को समझ सके। इसके लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं।मनचाहा प्यार पाने का टोटका आजमाने का प्रयास भी आप करते हैं। तो आइये देखें ज्योतिष में वो कौन से उपाय हैं जिनको आजमा कर आप मनचाहा जीवनसाथी पा सकते हैं।

मनचाहा प्यार पाने के ज्योतिष उपाय

आपकी ज़िंदगी का सफर बहुत सरल हो जाता है जब आप उसके साथ यह सफर बिताएँ जिसे आप चाहते हैं। प्रेमी को प्रेमिका और पत्नी को पति का प्यार मन से मिले तो कोई गम या परेशानी नहीं होती है। लेकिन हमेशा यह आसान नहीं होता है। कभी वक्त की मजबूरी तो कभी समाज के बंधन यह रिश्ता बनने नहीं देते हैं। ऐसे में अपना मनचाहा जीवनसाथी पाने का मंत्र एक ही है। राधा-कृष्ण की प्रेम लीला को आधार बना कर इस मंत्र की रचना करी गयी है। “ओमक्लींकृष्णायगोपीजनवल्लभायस्वाहः” अपनी नियमित पूजा करने के बाद पूजा-घर में रखी राधा-कृष्ण की मूर्ति को साक्षात प्रणाम करें । अब इस मंत्र का जाप 108 बार मन से करें। यह उपाय शुक्रवार को करने से बहुत जल्दी फल मिल सकता है।

प्रकर्ति में शिव-पार्वती जैसा पति-पत्नी का प्रेम कोई दूसरा नहीं है। पार्वती ने शिव को पाने के लिए कठिन से कठिन तपस्या करी थी। इसी प्रकार शिव से जब पार्वती का साथ छूट गया तो वे विक्षिप्त हो गए थे। आप भी ऐसा ही जीवनसाथी अपने जीवन में चाहते हैं। मनचाहे प्यार पाने का टोटका रुद्राभिषेक भी है। इसे पूरे शुद्ध मन से और पूरे विधि-विधान से करने से निश्चय ही आपको मनचाहा जीवनसाथी मिल सकता है। अगर चाहें तो किसी ब्राह्मण की मदद से यह उपाय कर सकते हैं ।

मनचाहा वर पाने के उपाय

कहते हैं की पार्वती जी ने अपना मनचाहा वर पाने के लिए शिव जी के व्रत किए थे। इसी से प्रेरित होकर कुंवारी कन्याएँ मनचाहा वर पाने का उपाय के लिए सोलह सोमवार के व्रत कर रहीं हैं। एक सुंदर, सुशील, विद्वान और हमेशा प्रेम करने वाला पति हर युवती का स्वप्न होता है। सोलह सोमवार के व्रत हर युवती के लिए उसके मनचाहे वर पाने का उपाय है। राधा-कृष्ण जैसा अलौकिक प्यार हर युवक-युवती का सपना होता है। आप भी अगर ऐसा ही प्यार अपने जीवन में पाना चाहते हैं तो राधा-कृष्ण की भक्ति अचूक उपाय हैं। “ओमहुंह्रींसःकृष्णायनमः” वह मंत्र है जो आपके जीवन में कभी प्यार की कमी न होने देगा। इसके लिए आपको कुछ खास नहीं करना है। बस शुद्ध मन से राधा-कृष्ण की युगल जोड़ी का चित्र सामने रखें और फिर इस मंत्र का जाप करें। निश्चय ही आपको अपने उद्देश्य में सफलता मिलेगी और आपको मनचाहा प्यार मिल जाएगा।

गृह-नक्षत्रों के दोष भी कई बार हमारे जीवन के हर पहलू पर प्रभाव डालते हैं। जब यह प्रभाव हमारे जीवन में आए प्यार पर असर डालते हैं तो उसके बचाव में कुछ उपाय भी हैं। हम अपने मनचाहे प्यार या जीवनसाथी को पाने के टोटके भी अपनाते हैं। ऐसा ही एक टोटका है विष्णु-लक्ष्मी के मंत्र का उच्चारण करना । मनचाहा जीवनसाथी को पाने का मंत्र है “ओमलक्ष्मीनारायणनमः’| हिन्दू धर्म में कोई भी अच्छा काम शुक्ल पक्ष से ही करते हैं। इसलिए इस मंत्र का जाप भी शुक्ल पक्ष से ही शुरू करना चाहिए। विष्णु जी की पूजा बृहस्पति के दिन होती है। इसलिए इस मंत्र को भी शुक्ल पक्ष के बृहस्पतिवार से ही शुरू करना चाहिए। अगर आप मन से लगभग तीन महीने तक इस मंत्र का जाप करेंगे तो निश्चय ही आपको मनचाहा जीवन साथी मिल जाएगा।

मनचाहा प्यार पाने का टोटका

किसी को अपने वश में करने के लिए उसकी ओर एक प्यार भरी नज़र ही काफी होती है। लेकिन कभी-कभी यह भी नाकाफी हो जाती है। ऐसे में आप निराश न हों। आप जिसे चाहते हैं उसे अपने वश में करने के लिए एक सुंदर छवि वाली नकल तैयार कर लें। यह किसी कपड़े या आटे से बनाई जा सकती है। ध्यान रहे, आपको यह काम शनिवार को ही करना है। अब इस सुंदर सी नकल के पेट पर अपने प्यार का नाम लिख लें। इसके आगे का कदम आसान होते हुए भी कठिन है। आपको यह नाम लिखी नकल अपने असल प्यार को दिखानी है। अब आप इस नकल छवि को अपने सीने से लगा सकते हैं। आपके लिए मनचाहा प्यार पाने का इससे सरल टोटका और क्या हो सकता है।

प्रेम के सागर में गोते लगाने वाले प्रेमी हर समय एक दूसरे के साथ बिताना चाहते हैं। एक पल का भी विछोड़ा किसी को भी सहन नहीं होता है। लेकिन कभी किस्मत साथ न दे तो जीवनसाथी बनने के डगर में कठिनाई आ जाती है। इसे दूर करने के लिए आप लोग शुक्रवार और पूर्णिमा को मिलें तो मनचाहा जीवनसाथी पाने का मंत्र इससे सरल और कुछ नहीं है ।

किसी को भी अपने जीवन में जब सच्चा प्यार मिल जाता है तो उसको फिर किसी चीज की जरूरत नहीं होती है। प्रेमी और प्रेमिका की सच्ची चाहत, लगाव और भावनाएँ  किसी को मिल जाएँ तो वह सबसे बड़ा धनी होता है। लेकिन ऐसा न हो  तो दिल संसार की किसी बात में नहीं लगता है और कभी-कभी तो ऊब जाता है। ऐसे में ज्योतिषीय विधियाँ और उपाय प्रेमी-प्रेमिका की मदद करते हैं । यह उपाय सरल भी होते हैं और कारगर भी । आप इन उपायों को अपनाकर अपना मनचाहा प्यार पा सकते हैं और उसी मनचाहे जीवनसाथी के साथ जीवन व्यतीत कर सकते हैं। एक बार इन उपायों को अपना कर देखें।

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