दत्तात्रेय तंत्र वशीकरण प्रयोग
दत्तात्रेय तंत्र वशीकरण प्रयोग- प्रभु दत्तात्रेय का रूप साक्षात भगवान शंकर से मिलता है। महाराज दत्तात्रेय की आराधना बहुत ही फलदायक औरशीघ्र फल देने वाली है। महाराज दत्तात्रेय तीनो ईश्वरीय शक्तियो से समाहित आजन्म ब्रह्मचारी, अवधूत, और दिगम्बर रहे थे, वे कण–कण मेंसमाए हैं और अपने भक्तों की किसी भी प्रकार के संकट में बहुत जल्दी सुध लेते हैं, यदि मन, कर्म और वाणी से महाराज दत्तात्रेय की उपासना कीजाए तो किसी भी कठिनाई का बहुत ही सरलता से अंत हो जाता है।
भगवान दत्तात्रेय की उपासना विधि
श्री दत्तात्रेय जी की मूर्ति, चित्र अथवा यंत्र को लाल कपडे पर स्थापित करें और चन्दन लगाकर, फूल चढाकर, नैवेद्य चढाकर धूप की धूनी देकर, आरती उतारकर पूजा करें। पूजा करते समय पहले स्तोत्र को ध्यान से पढ़ें और फिर मन्त्र का जाप करें। उनकी उपासना का प्रभाव तुरंत ही प्रारंभ होजाता है और वे शीघ्र ही भक्त को अपनी उपस्थिति का आभास देने लगते हैं। भक्तों को प्रायः साधना के समय अचानक स्फूर्ति के आने से उनकीउपस्थिति का आभास होता है। भगवान दत्तात्रेय बड़ हीे दयालू और सरल हैं, जब भी भक्त संकट में पड़ने पर उन्हें सहायता के लिए पुकारतें हैं वे तुरंतही सहायता के लिये अपनी शक्ति को भेजते है।
भगवान दत्तात्रेय की उपासना में विनियोग विधि
पूजा की शुरूआत में भगवान श्री दत्तात्रेय का आवाहन किया जाता है। इसके लिए एक साफ बर्तन में पानी लेकर पास में रखें और बायें हाथ में एकफूल और चावल के दाने लेकर इस प्रकार से विनियोग करें –
‘‘ष्ऊँ अस्य श्री दत्तात्रेय स्तोत्र मंत्रस्य भगवान नारद ऋषिरू अनुष्टुप छन्दरू,श्री दत्त परमात्मा देवतारू, श्री दत्त प्रीत्यर्थे जपे विनोयोगरूष’’
यह उच्चारण करके दाहिने हाथ में फूल और चावल लेकर भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति, चित्र या यंत्र पर सिर को झुकाकर चढ़ाएँ। इसके पश्चात हाथों कोपानी से साफ कर लें और दोनों हाथों को जोडकर उनके लिये जप स्तुति करें। जो इस प्रकार से है –
‘‘ष्जटाधरं पाण्डुरंगं शूलहस्तं कृपानिधिम। सर्व रोग हरं देव,दत्तात्रेयमहं भज’’
अपने भक्तों पर आने वाले संकटों को दत्त भगवान तुरंत दूर करते हैं और उनके जीवन में खुशहाली लाते हैं। दत्तात्रेय जयंती के दिन इन मंत्रों कास्फटिक की माला से हर रोज 108 बार मंत्र जाप करने से मनुष्य जीवन के समस्त कष्ट और संकट शीघ्र ही दूर हो जाते हैं।
तांत्रोक्त दत्तात्रेय मंत्र– ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः
यह भगवान दत्तात्रेय का प्रिय दत्त गायत्री मंत्र है –
‘‘ॐ दिगंबराय विद्महे योगीश्रारय् धीमही तन्नो दतरू प्रचोदयात’’
एक समय ऐसा था, जब वैदिक कर्मों का, धर्म का तथा वर्णव्यवस्था का लोप हो गया था। उस समय भगवान दत्तात्रेय ही थे, जिन्होंने इन सबकापुनरूद्धार किया था।
दत्तात्रेय तंत्र में यह जिक्र भी आता है कि भगवान् शिव ने स्वयं ऋषि दत्तात्रेय को वरदान दिया था कि मैं स्वयं तीन अवस्थाओ मे भक्तों के साथरहूँगा
- जहाँ किसी की स्त्री का हरण हुआ हो
- जहाँ किसी का किसी ने धन चुराया या कब्ज़ा किया हो
- किसी ने किसी दूसरे की जमीन को अनधिकृत जप्त किया हो
उस समय मैं उस भक्त के साथ उस दुष्ट के विरुद्ध स्वयं विराजमान होता हूँ परंतु जब कोई अपनी शक्ति का दुरूपयोग या अनैतिक कर्म करे, तो मैंउस साधक का विनाश भी कर सकता हूँ। इसलिए इस लिए तंत्र विद्या का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए केवल बहुत जरुरी होने पर ही इस काप्रयोग करना चाहिए।
दत्तात्रेय तंत्र वशीकरण प्रयोग –
किसी भी बुधवार की रात को पीले वस्त्र पहनकर पीले रंग के आसन पर बैठें और आपका मुख उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए। अपने सामने एकचैकी पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर दत्तात्रेय यंत्र रखें और उस पर सिंदूर रखें। घी का एक दीपक जलाएँ और मूल मंत्र का रुद्राक्ष माला से 11 मालाका जप करें। जप के पूरा होने पर सिंदूर को एक चाँदी की डिबिया में संभालकर रख लें। अब जब भी आपको किसी व्यक्ति को अपनी बात मनवानी होया कोई काम करवाना हो, तो मंत्र का 11 बार जप करके चाँदी की डिबिया में रखे सिंदूर को अपने माथे पर लगाकर उस व्यक्ति के पास चले जाएँ, आपका कार्य अवश्य ही सफल होगा।
जिन महिलाओं के पति गलत संगत में पड़ गए हों, और उन्हें सुधारने के सभी उपाय विफल हो चुके हों, वे महिलाएँ इस सिंदूर को अपनी माँग में भरें याइसका टीका लगाएँ। उनका पति अवश्य ही सही मार्ग पर आ जाएगा। बस इस साधना को पूर्ण विश्वास और धैर्य के साथ सही प्रकार से विधिपूर्वककरें।
मंत्र – ‘‘ॐ श्रीं हृीं क्लीं ग्लौं द्राम दत्तात्रेयाय नमः’’
तंत्र को कामना की शीघ्रता से सिद्धि करने वाला कहा जाता है। भगवान् दत्तात्रेय को अवतार माना गया है। कलियुग में अमर और प्रत्यक्ष देवता के रूपमें भगवान् दत्तात्रेय का स्थान हमेशा प्रशंसित एवं प्रतिष्ठित रहेगा। दत्तात्रेय तंत्र देवाधिदेव महादेव शंकर के साथ महर्षि दत्तात्रेय का एक संवाद पत्रहै।
- मोहन प्रयोग– ‘‘तुलसी–बीजचूर्ण तु सहदेव्य रसेन सह। रवौ यस्तिलकं कुर्यान्मोहयेत् सकलं जगत’’।
तुलसी के बीज के चूर्ण को सहदेवी के रस के साथ पीसकर तिलक के रूप में उसे माथे पर लगाएं। ऐसा करने पर उसको देखने वाला मोहित हो जाता है।
- ‘‘हरितालं चाश्वगन्धां पेषयेत् कदलीरसे। गोरोचनेन संयुक्तं तिलके लोकमोहनम’’
हरताल तथा असगन्ध को केले के रस के साथ पीसकर उसमें गोरोचन मिलाएं तथा उसका मस्तक पर तिलक लगाएं तो उसको देखने से सामने वालाव्यक्ति मोहित हो जाता है।
- ‘‘श्रृङ्गि–चन्दन–संयुक्तो वचा–कुष्ठ समन्वितः। धूपौ गेहे तथा वस्त्रे मुखे चैव विशेषतः। राजा प्रजा पशु–पक्षि दर्शनान्मोहकारकः। गृहीत्वामूलमाम्बूलं तिलकं लोकमोहनम।’’
काकडा सिंगी, चंदन, वच और कुष्ठ इनको मिलाकर चूर्ण बना लें और इससे बनी धूप से अपने शरीर तथा वस्त्रों पर धूप देने तथा इसी चूर्ण से तिलकलगाने पर राजा, प्रजा, पशु और पक्षी उसे देखने से ही मोहित हो जाते हैं। इसी प्रकार ताम्बूल की जड़ को घिस कर उसका तिलक करने से लोगों कोमोहन होता है।
- ‘‘सिन्दूरं कुङ्कुमं चैव गोरोचन समन्वितम। धात्रीरसेन सम्पिष्टं तिलकं लोकमोहनम’’
सिन्दूर, केशर, और गोरोचन इन तीनों को आंवले के रस में पीसकर तिलक लगाने से लोग मोहित हो जाते हैं।
- ‘‘सिन्दूरं च श्वेत वचा ताम्बूल रस पेषिता। अनेनैव तु मन्त्रेण तिलकं लोकनोहनम’’
सिन्दूर और सफेद वच को पान के रस में पीस कर नीचे दिए गए मंत्र से तिलक करें तो लोग मोहित हो जाते हैं।
- अपामार्गों भृङ्गराजो लाजा च सहदेविका। एभिस्तु तिलकं कृत्वा त्रैलोक्यं मोहयेन्नरः।
अपामार्ग–ओंगा, भांगरा, लाजा, धान की खोल और सहदेवी इनको पीस कर उसका तिलक करने से व्यक्ति वांछित व्यक्ति को मोहित करने में सफलसहता है।